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राजबाला ने लूटी वाहवाही तो किरकिरी भी कम नहीं झेली, सरयू राय ने कुछ यूं दागे सवाल

कई मामलों में राजबाला वर्मा की किरकिरी भी जमकर हुई। सेवानिवृत्ति के लगभग अंतिम छह महीने वे खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय के रडार पर रहे।

By Sachin MishraEdited By: Updated: Wed, 28 Feb 2018 05:36 PM (IST)
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राजबाला ने लूटी वाहवाही तो किरकिरी भी कम नहीं झेली, सरयू राय ने कुछ यूं दागे सवाल
राज्य ब्यूरो, रांची। मुख्य सचिव राजबाला वर्मा का 23 महीनों का कार्यकाल कई मायनों में जहां उपलब्धियों भरा रहा, वहीं कई मामलों में उनकी किरकिरी भी जमकर हुई। सेवानिवृत्ति के लगभग अंतिम छह महीने वे खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय के रडार पर रहे। सेवानिवृत्ति से दो दिन पूर्व उन्हें चारा घोटाले मामले में सरकार ने क्लीन चिट भले ही दे दी हो, परंतु राजबाला को लेकर सरयू के सवाल आज भी अनुत्तरित है। पूर्व मुख्य सचिव सुशील कुमार चौधरी के बाद सबसे अधिक दिनों तक राज्य प्रशासन के शीर्षस्थ पद पर रही राजबाला वर्मा ने एक अप्रैल 2016 को राज्य के मुख्य सचिव पद की कमान संभाली थी। बुधवार को अपने पद से सेवानिवृत्त हो रहीं राजबाला वर्मा ने अपने कार्यकाल में जहां वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए निचले स्तर तक के पदाधिकारियों से जुड़ी रहीं, वहीं एक निश्चित अंतराल पर राज्य के शीर्षस्थ अधिकारियों के साथ विभागवार समीक्षा करती रहीं। इसका फलाफल राज्य शासन और यहां की जनता को मिला। इस अवधि में शिक्षा के क्षेत्र में उनका खास फोकस रहा।

निजी विद्यालयों की ही तर्ज पर सरकारी विद्यालयों में जहां बिजली-पानी की उपलब्धता सुनिश्चित हुई, वहीं बच्चों को बेंच-डेस्क मयस्सर हुआ। रक्षा विश्वविद्यालय की अवधारणा भी उनके कार्यकाल में मूर्त रूप ले सकी। स्वास्थ्य सुविधाओं की बात करें तो देवघर में एम्स के अलावा हजारीबाग, दुमका और पलामू में मेडिकल कालेज खोलने की सहमति भी उनके हस्ताक्षर से ही बनी।लगभग तीन लाख करोड़ की करार वाला मोमेंटम झारखंड जहां उनके कार्यकाल की विशेष उपलब्धि रही, वहीं इज ऑफ डूइंग बिजनेस, कैशलेस झारखंड, डिजिटलाइजेशन, समय से पूर्व राज्य के शहरों का ओडीएफ होना, खाद्यान्न में ई-पॉश का समावेश, ग्रामीण सड़कों के निर्माण की दोगुनी रफ्तार, उज्ज्वला योजना, सरकारी जमीन पर बसे हजारों परिवारों की अवैध जमाबंदी को नियमित करने जैसे उनके प्रयास उनके कार्यकाल की याद दिलाएगी।

चारा घोटाले और ट्वीट मामले में मिली क्लीन चिट

राजबाला वर्मा को राज्य सरकार ने चारा घोटाला मामले में क्लीनचिट दे दिया है। सरकार के स्पष्टीकरण मांगें जाने का जवाब नहीं देने के कारण कार्मिक विभाग ने इन्हें नोटिस किया था। इसका जवाब भी उन्होंने दिया है। सरकार ने इस मामले में उन्हें क्लीनचिट दे दी है। उधर एक फर्जी ट्वीट मामले में भी उन्हें पाक साफ करार दिया गया। देवघर, गढ़वा, सिमडेगा आदि जिलों में भूख से हुई तथाकथित मौतों की विभिन्न वजहों में एक कारण उन्हें भी माना गया, जिसमें उन्होंने आधार नहीं रहने पर राशन नहीं देने का फरमान जारी किया। सरयू राय ने इन तीनों ही मामले में जहां उन्हें घेरे रखा, वहीं विधानसभा की कार्यवाही तक बाधित रही। इस बीच वह तमाम विपक्षी दलों के रडार पर भी रहीं।

सरयू राय ने कुछ यूं दागे सवाल

-सीबीआइ यूं ही नहीं करती किसी को आरोपित, मुख्य सचिव ने चारा घोटाले मामले में दर्जनों नोटिस का क्यों नहीं दिया जवाब।

-30-40 फीसद सीडी रेशियो के लिए तरस रहे अन्य बैंक। इंड्सइंड का 273 फीसद कैसे पहुंचा।

-रांची क्यों आए थे बैंक अफसर, किन बिंदुओं पर हो रही जांच, बताए विशेष शाखा।

-विधानसभा में हंगामे के बाद सरकार हरकत में क्यों आई?

-विशेष शाखा का दायित्व सिर्फ सूचनाओं का संग्रह करना है, फिर वह इस मामले का जांच कैसे कर रही है। अगर कर भी रही है तो जांच के बिंदु क्या हैं।

-बैंक के अफसर ने अपने ट्वीट में हर (एचइआर) शब्द का प्रयोग किया था। ऐसे में जांचकर्ताओं को यह जानने की कोशिश करनी चाहिए कि किन-किन राज्यों में महिला मुख्य सचिव हैं। उनमें से कितने के पुत्र बिजनेस में हैं। संबंधित कंपनी में उनका शेयर है तो कितना, उनकी कंपनी प्राइवेट लिमिटेड है या कुछ और?

- मुख्य सचिव के पत्र के बाद बिना आधार वाले राशन कार्ड रद कर दिए गए। इस मामले में मुख्य सचिव से जवाब मांगा गया, परंतु उन्होंने चार महीने में भी जवाब नहीं दिया। 

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