डिजाइन थिकिग को हकीकत में उतारने पर ज्यादा तार्किक चीजें सामने आती हैं : डा रामकृष्णन
बीआइटी मेसरा में चल रहे पांच दिवसीय आनलाइन एटीएएल फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम का आयोजन
जासं, रांची : बीआइटी मेसरा में चल रहे पांच दिवसीय आनलाइन एटीएएल फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के दूसरे दिन तीन रिसोर्स पर्सन शामिल हुए। उन्होंने डिजाइन सोच में हितधारकों के महत्व पर चर्चा की। कार्यशाला में डा रामकृष्णन और डा रामनाथ प्रभु फैकल्टी, स्कूल ऑफ डिजाइन थिकिग, चेन्नई और डा रोहित स्वरूप, इनोवेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष और संस्थापक निदेशक एक्सप्लोरा एजुकेशन प्राइवेट लिमिटेड शामिल हुए। डा रामकृष्णन ने डिजाइन सोच में हितधारकों के महत्व पर चर्चा की। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि डिजाइन थिकिग को हकीकत में उतारने पर ज्यादा तार्किक चीजें सामने आती हैं। ग्राहक, अभिनेता, परिवर्तन, विश्वदृष्टि, मालिक और पर्यावरण अवधारणा को समझाते हुए कैटवू अवधारणा पर भी चर्चा की गई। दूसरे सत्र में डा रामनाथ ने 360 डिग्री डिजाइन थिकिग की प्रक्रिया में सुनने, संवाद और अवलोकन के महत्व पर जानकारी दी। डिजाइन थिकिग में अनुमान, दर्ज, संलग्न, बाहर निकलें और प्रतिबिबित की अवधारणा को उनके द्वारा समझाया गया। उन्होंने व्यक्तित्व और यात्रा मानचित्र को समझाने के लिए वास्तविक जीवन का उदाहरण भी दिया। डा रोहित ने चर्चा की कि कैसे डिजाइन थिकिग को पाठ्यक्रम विकास में एकीकृत किया जा सकता है। उन्होंने परिणाम आधारित शिक्षा में इसके महत्व पर भी चर्चा की। अंत में उन्होंने किसी भी नवाचार के लिए ग्राहक के दर्द बिदु को समझने के महत्व पर जोर दिया। सत्र का समापन यह कहते हुए किया कि किसी भी नवाचार में सबसे बड़ी चुनौती संभावित चुनौतियों की पहचान करना है। दूसरे दिन कार्यशाला में डा प्रवीण श्रीवास्तव, एफडीपी के संयुक्त समन्वयक और एचएमसीटी विभाग, बीआइटी मेसरा के सहायक प्रोफेसर ने सबका धन्यवाद किया।