Jharkhand News: बंजर होते खेतों की सेहत वापस लौटाएगी 'सुधन खाद', आधी लागत में होगा जबरदस्त उत्पादन
रासायनिक खाद के प्रयोग से मिट्टी की सेहत दिन-प्रतिदिन खराब हो रही है। इसकी वजह से खेत बंजर होते जा रहे हैं। उत्पादन के चक्कर में रासायनिक खाद का बेधड़क उपयोग किया जा रहा है जो मानव स्वास्थ्य पर भी असर डाल रहा है। ऐसे में अब किसानों को फसलों में उर्वरक के प्रयोग से परहेज करने के साथ जैविक खेती की ओर से लौटना होगा।
By Jagran NewsEdited By: Mohit TripathiUpdated: Sat, 21 Oct 2023 09:53 PM (IST)
मनोज सिंह, रांची। झारखंड मिल्क फेडरेशन बंजर होते खेतों को दोबारा जीवित करने के प्रयास को साकार करने में जुटा है। फेडरेशन की ओर से बेड़ो के चनगनी टिकराटोली में जैविक खाद बनाने का प्लांट लगाया गया है।
यहां आसपास के गांवों के किसानों से गोबर तथा बायो गैस प्लांट से निकलने वाला स्लरी (गोबर का घोल) खरीदा जा रहा है। इस प्लांट में जैविक खाद तैयार की जा रही है। मिल्क फेडरेशन ने इसका नाम सुधन खाद रखा है।
खास बात यह है कि इससे फसलों के उत्पादन में लगभग 20 प्रतिशत की वृद्धि हो गई है, जबकि खेती की लागत में कमी आई है। प्रोजेक्ट समन्वयक राहुल वर्मा ने बताया कि प्लांट में बनी सुधन खाद की गुणवत्ता जांच के लिए 21 किसानों को प्रयोग के लिए दी गई थी।
20 प्रतिशत तक बढ़ा उत्पादन
बेड़ों के किसान बड़ी मात्रा में सब्जी का उत्पादन करते हैं। जैविक खाद के प्रयोग से उनका उत्पादन 20 प्रतिशत ज्यादा हुआ।
सुधन खाद के उपयोग से खीरा, तरबूज, हरी मिर्च, पत्ता गोभी, शिमला मिर्च, बैंगन और टमाटर का 20 प्रतिशत उत्पादन बढ़ा है। इसके अलावा, धान की फसल में इसका जोरदार फायदा हो रहा है।
इस तरह मिट्टी की सेहत दुरुस्त रखती है सुधन खाद
राहुल वर्मा ने बताया कि सुधन खाद के बहुत सारे फायदे हैं। डीएपी खाद मिट्टी में 20 से 30 प्रतिशत ही घुलती है। बाकी मिट्टी के नीचे चली जाती है। इसके लगातार उपयोग की वजह से खेत बंजर हो रहे हैं।
सुधन खाद पूरी तरह से मिट्टी में घुल कर उसकी सेहत को बरकरार रखती है। इस खाद में मिट्टी की जरूरत के सभी पोषक तत्व होते हैं। प्लांट की क्षमता 450 किलो प्रतिदिन खाद बनाने की है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।फॉस्फोरस से भरपूर है सुधन खाद
फॉस्फोरस की अधिकता वाला खाद सुधन खाद में फॉस्फोरस की मात्रा अधिक होती है, जो फसलों के उत्पादन को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है। इसके अलावा, खेत में पहले से मौजूद बैक्टीरिया को बढ़ावा देता है। इससे मिट्टी की सेहत अच्छी होती है। प्लांट में 25 किलो की बोरी तैयार की जाती है।डीएपी की आधी है सुधन खाद की कीमत
डीएपी की खाद की खुदरा कीमत 40 रुपये है, लेकिन सुधन खाद 21 रुपये में मिल जाती है, जो डीएपी के समकक्ष होती है।खाद के अलावा एक लिक्विड खाद भी तैयार की जाती है, जिसे माइक्रो न्यूट्रिएंस रीच लिक्विड (एमआरएल) कहा जाता है। साथ ही रूट गार्ड पौधे की जड़ों की सुरक्षा के लिए भी है।यह भी पढ़ें: Ranchi News: भीषण सूखे की चपेट में झारखंड के इन जिलों के 136 ब्लॉक, इतने हजार की आर्थिक सहायता करेगी सरकार Jharkhand: हजारीबाग में ईसाई बने 15 आदिवासियों ने सनातन धर्म में की वापसी, धर्मांतरण की वजह जान रह जाएंगे हैरानसुधन खाद में हानिकारक तत्व नहीं होने की वजह से मिट्टी की सेहत के साथ-साथ आपका स्वास्थ्य पर कोई बुरा असर नहीं पड़ता है। इससे उत्पादन भी 20 प्रतिशत ज्यादा होता है।
सुधीर कुमार सिंह, प्रबंध निदेशक, मेधा डेयरी