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Jharkhand News: कोख के अवैध कारोबार पर रोक, सरोगेसी बोर्ड तथा प्राधिकरण का गठन

Surrogacy Board Jharkhand झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता की अध्यक्षता में सरोगेसी बोर्ड का गठन। कई विभागों के सचिव बने पदेन सदस्य। केंद्र सरकार के द सरोगेसी रेगुलेशन एक्ट 2021 के तहत इस बोर्ड का गठन किया गया है। इससे झारखंड में कोख के अवैध करोबार पर रोक लगेगी।

By M EkhlaqueEdited By: Updated: Fri, 26 Aug 2022 09:05 AM (IST)
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Surrogacy Board Jharkhand: झारखंड में भी सरोगेसी बोर्ड व प्राधिकार कर गठन कर दिया गया है।

रांची, राज्य ब्यूरो। Surrogacy Board And Authority Jharkhand झारखंड में किराये की कोख के अवैध कारोबार पर रोक लगेगी। इसे लेकर राज्य में सरोगेसी बोर्ड का गठन कर दिया गया है। केंद्रीय सरोगेसी रेगुलेशन एक्ट 2021 के प्रविधानों के तहत केंद्र के निर्देश पर स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में यह बोर्ड गठित किया गया है। इसी के साथ राज्य सरकार ने सरोगेसी प्राधिकरण का भी गठन कर दिया है। स्वास्थ्य विभाग ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है। बोर्ड और प्राधिकरण का काम द सरोगेसी रेगुलेशन एक्ट 2021 के प्रविधानों का राज्य में सख्ती से अनुपालन कराना तथा सरोगेसी के दुरुपयोग को रोकने को लेकर राज्य सरकार को अपनी अनुशंसा देना होगा।

इस बोर्ड में जानिए कौन कौन लोग शामिल

स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में गठित राज्य सहायता प्राप्त प्रजनन प्रौद्योगिकी तथा सरोगेसी बोर्ड में विभाग के अपर मुख्य सचिव पदेन अध्यक्ष बनाए गए हैं। इसके अतिरिक्त तीन विधायक, महिला एवं बाल विकास, गृह, विधि विभाग के प्रधान सचिव या सचिव या उनके द्वारा मनोनीत पदाधिकारी, निदेशक प्रमुख, स्वास्थ्य सेवाएं इसके पदेन सदस्य बनाए गए हैं। विभाग के संबंधित विषय देखनेवाले पदाधिकारी भी इसके पदेन सदस्य होंगे। इनके अतिरिक्त दो आनुवांशिकविद, दो स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ, महिला कल्याण संगठनों के दो प्रतिनिधि, महिला एवं बाल विकास के क्षेत्र में काम करनेवाले दो विशेषज्ञ भी इसके सदस्य होंगे। इनका चयन बाद में किया जाएगा। विधायकों की सदस्यता तीन साल के लिए होगी। यदि संबंधित विधायक मंत्री या स्पीकर बनते हैं तो वे सदस्य नहीं रह सकेंगे। इसी तरह, राज्य सहायता प्राप्त प्रजनन प्रौद्योगिकी एवं सरोगेसी प्राधिकरण में स्वास्थ्य विभाग के संबंधित विषय देखनेवाले पदाधिकारी पदेन अध्यक्ष बनाए गए हैं। वहीं, उपनिदेशक, संयुक्त निदेशक या निदेशक में से कोई एक पदेन उपाध्यक्ष होंगे। विधि विभाग के उपसचिव भी पदेन सदस्य होंगे। महिला संगठन की प्रतिष्ठित महिला प्रतिनिधि तथा एक पंजीकृत प्रतिष्ठित चिकित्सक भी इसके सदस्य होंगे। सरोगेसी बोर्ड की बैठक प्रत्येक चार माह पर होगी।

झारखंड में भी बढ़ा है सरोगेसी का प्रचलन

महानगरों की तरह झारखंड में भी सरोगेसी का प्रचलन बढ़ा है। सरोगेसी वह प्रक्रिया है, जिसमें बच्चे के वास्तविक माता-पिता संतान को जन्म देने के लिए किसी अन्य महिला की कोख का इस्तेमाल उसकी सहमति से करते हैं। आमतौर पर इसके लिए निश्चित रकम भी चुकाई जाती है। जो दंपत्ति किसी कारण से संतान को जन्म नहीं दे पाते हैं, वह इस प्रक्रिया का सहारा लेते हैं। इसमें एक महिला की कोख किराये पर ली जाती है। इसके बाद आइवीएफ के जरिये शुक्राणु को कोख में प्रत्यारोपित किया जाता है। जो महिला बच्चे को कोख में पालती है, उसे सरोगेट मदर कहा जाता है। इस प्रक्रिया का दुरुपयोग न हो, इसे लेकर ही केंद्र ने उक्त कानून को लागू किया है।

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