गांडेय सीट पर उपचुनाव को लेकर जल्द होगा सस्पेंस खत्म! मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से मिला JMM डेलीगेशन
झामुमो विधायक सरफराज अहमद के इस्तीफे से खाली हुई गांडेय सीट पर उपचुनाव को लेकर सियासी पारा हाई है। एक ओर जहां इस सीट पर उपचुनाव कराने को लेकर भाजपा विरोध कर रही है तो वहीं झामुमो ने जल्द उपचुनाव कराने की मांग चुनाव आयोग से की है। झामुमो डेलीगेशन शुक्रवार को मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से कार्यालय में मुलाकात की और इस संबंध में ज्ञापन सौंपा है।
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड में झामुमो विधायक सरफराज अहमद के इस्तीफे से रिक्त हुई गांडेय सीट पर उपचुनाव का जहां भाजपा विरोध कर रही है, वहीं झामुमो ने वहां जल्द उपचुनाव कराने की मांग चुनाव आयोग से की है। झामुमो के एक प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार से उनके धुर्वा स्थित कार्यालय में मिलकर इसे लेकर ज्ञापन सौंपा।
संविधान के प्रावधान, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 व शीर्ष कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए वहां छह माह के भीतर उपचुनाव को बाध्यकारी बताया। प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (सीईओ)को बताया कि पंचम झारखंड विधानसभा का प्रथम सत्र छह जनवरी 2020 को शुरू हुआ था और भारत के संविधान के अनुच्छेद 172 के तहत पंचम झारखंड विधानसभा का कार्यकाल पांच जनवरी 2024 तक है।
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 151 ए में प्रावधान है कि विधानसभा का कार्यकाल एक साल से अधिक होने की स्थिति में रिक्त सीट पर छह माह के भीतर उपचुनाव कराया जाना चाहिए। सरफराज अहमद ने 31 दिसंबर 2023 को विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया है। विधानसभा के एक वर्ष से अधिक कार्यकाल से पहले यह सीट रिक्त हुई है। इस कारण यहां उपचुनाव होना चाहिए।
'गांडेय में छह माह के अंदर उपचुनाव कराना होगा'
प्रतिनिधिमंडल ने प्रमोद लक्ष्मण गुडाधे बनाम भारत निर्वाचन आयोग एवं अन्य मामले में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि गांडेय में छह माह के भीतर उपचुनाव कराना बाध्यकारी है। प्रतिनिधिमंडल में झामुमो महासचिव विनोद पांडेय, सुप्रियो भट्टाचार्य, फागू बेसरा, विधायक नलिन सोरेन, भूषण तिर्की तथा दिनेश विलियम मरांडी सम्मिलित थे।
बता दें कि ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में सीएम हेमंत सोरेन से पूछताछ करना चाह रही है। इसके लिए वह हेमंत को सात समन भेज चुकी है, लेकिन हेमंत पूछताछ के लिए उपस्थित नहीं हुए। ऐसे में ईडी के तेवर भी तल्ख हैं। इस बीच यह चर्चा शुरू हुई कि अगर हेमंत सोरेन के खिलाफ एक्शन लिया गया तो वह अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को सीएम का पद दे सकते हैं।
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