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Swami Vivekananda Smriti Divas: स्वामी विवेकानंद से प्रेरित होकर जमशेदजी ने रखी थी टाटा स्टील की बुनियाद

Swami Vivekananda Smriti Divas 2020. शिकागो के धार्मिक सम्मेलन में शामिल होने जाते समय 30 साल के विवेकानंद ने 54 साल के जमशेदजी टाटा को मेक इन इंडिया का मंत्र दिया था।

By Alok ShahiEdited By: Updated: Sat, 04 Jul 2020 06:30 PM (IST)
Swami Vivekananda Smriti Divas: स्वामी विवेकानंद से प्रेरित होकर जमशेदजी ने रखी थी टाटा स्टील की बुनियाद
जमशेदपुर, जासं। Swami Vivekananda Smriti Divas 2020 पूरी दुनिया में भारतीय ज्ञान, अध्यात्म और दर्शन की पताका फहराने वाले स्वामी विवेकानंद देश को विज्ञान और तकनीक का सहारा लेते हुए स्वदेशी ज्ञान व कौशल के जरिये देश को आत्मनिर्भर बनाने के पक्षधर थे। देश के सबसे बड़े औद्योगिक घराने टाटा को भी उन्होंने इस विषय में अपनी सलाह दी थी। तब टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी नसरवान जी टाटा स्वामी विवेकानंद की विज्ञान, तकनीक, अर्थशास्त्र, उद्योग और खनिजों के संबंध में गहरी जानकारी से दंग रह गए थे। स्वामी विवेकानंद के कहने पर ही जमशेदजी ने देश की प्रतिष्ठित टाटा स्टील कंपनी की बुनियाद जमशेदपुर शहर में रखी थी। टाटा स्टील कंपनी के संग्रहालय में उपलब्ध दस्तावेज में स्वामी विवेकानंद और जमशेदजी के बीच हुई बातचीत का ब्यौरा है।

दस्तावेजों के अनुसार 1893 में स्वामी विवेकानंद शिकागो के धाॢमक सम्मेलन में शामिल होने शिप (पानी के जहाज) से जा रहे थे। उसी शिप में जमशेदजी नसरवानजी टाटा भी सवार थे। इस यात्रा के दौरान दोनों में लंबी बातचीत हुई थी। स्वामीजी ने जमशेदजी को पानी के जहाज में ही लौह खनिज संपदा और संसाधनों की जानकारी दी थी। इसके लिए उन्होंने सिंहभूम में ही फैक्र्ट्री लगाने की भी सलाह दी थी।  

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी पिछले दिनों विवेकानंदजी के शिकागो भाषण की 125वीं सालगिरह पर एक कार्यक्रम में इस बात का जिक्र किया था कि कैसे स्वामी विवेकानंद ने मेक इन इंडिया का आह्वान करते हुए जमशेदजी टाटा को इसके लिए प्रेरणा दी थी। जिस वक्त स्वामीजी ने ये सुझाव दिया था, उस समय उनकी उम्र महज 30 वर्ष थी, जबकि जमशेदजी टाटा 54 वर्ष के थे।

जमशेदजी ने बताया था कि वो भारत में स्टील इंडस्ट्री लाना चाहते हैं। तब स्वामी विवेकानंद ने उन्हेंं सुझाव दिया कि टेक्नोल़ॉजी ट्रांसफर करेंगे तो भारत किसी पर निर्भर नहीं रहेगा, युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। स्वामीजी ने ही टाटा को जमशेदपुर की राह दिखाई थी।

मील का पत्थर बनी थी वह ऐतिहासिक यात्रा

जमशेदजी और स्वामी विवेकानंद के बीच हुई यह चर्चा इसलिए भी अहम थी, क्योंकि उस वक्त स्वामी विवेकानंद शिकागो के उसी धार्मिक सम्मेलन में भाग लेने जा रहे थे, जिसक बाद पूरी दुनिया ने भारतीय ज्ञान का लोह माना। उधर, जेएन टाटा भारत में लोहा-इस्पात का कारखाना लगाने के लिए विशेषज्ञों से मिलने शिकागो जा रहे थे। एक आध्यात्मिक क्रांति की चेतना जगाने निकला था, जबकि दूसरा औद्योगिक क्रांति। जमशेदजी टाटा अपनी परिकल्पना को साकार व मूर्तरूप देने के लिए जर्मनी, इंग्लैंड होते हुए अमेरिका जा रहे थे। जलयान पर एक दूसरे के सामने बैठे हुए दोनों के बीच बातचीत आरम्भ हुई तो सिलसिला काफी लंबा चला।

क्या कहा था स्वामीजी ने

स्वामी विवेकानंद ने जेएन टाटा को छोटानागपुर इलाके में न केवल लोहा-इस्पात उद्योग के लिए आवश्यक खनिज संपदा होने की जानकारी दी, बल्कि मयूरभंज (ओडिशा) राजघराने में कार्यरत भूगर्भशास्त्री प्रमथनाथ बोस से मिलने की भी सलाह दी। जेएन टाटा ने वहीं से अपने बड़े पुत्र दोराबजी टाटा को पीएन बोस से मिलने की सलाह दी। इसके बाद जमशेदजी की परिकल्पना को साकार रूप देने के लिए पुत्र दोराबजी टाटा भूगर्भ शास्त्रियों पीएन बोस व सीएम वेल्ड के साथ निकल पड़े। इस दौरान उनके मित्र श्रीनिवास राव भी साथ रहे। खनिज पदार्थों की पड़ताल पूरी होने के बाद दोराबजी ने दिसंबर 1907 में जिस स्थान का चुनाव किया, वह जमशेदपुर था।

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