कहीं खदान की भेंट न चढ़ जाए टंडवा-चतरा मार्ग, विभाग की असफलता या कुछ और? मुश्किलों में जिंदगी
टंडवा-चतरा मार्ग के आने वाले समय में कोयला खदान के भेंट चढ़ने की संभावना है क्योंकि डकरा से टंडवा की ओर जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते जाते हैं वैसे-वैसे आपको सड़कों पर धूल पेड़ों के पत्तों पर कोयले की पतली राख आसमान में धुुआंं नजर आने लगता है। इस सड़क पर कोयला ढोते हाइवा कभी भी आपको अपनी चपेट में ले सकते हैं।
संजय कृष्ण, रांची। डकरा से जब आप टंडवा की ओर बढ़ते हैं तो हरी-भरी वादियां आपका स्वागत करती हैं। चमचमाती सड़कें और विशाल वृक्ष झूमते मिलेंगे। यह अलग बात है कि टंडवा नदी विकास की भेंट चढ़ गई, लेकिन नाम तो है। फिर आपका सामना होता है कोल क्षेत्र से।
पेड़-पौधे पर चढ़ी कोयले की पतली राख
सड़कों के किनारे पेड़-पौधों पर कोयले की पतली राख से पता चल जाता है कि अब आप कोलियरी क्षेत्र में पहुंच गए हैं। हालांकि, आगे बढ़ने पर एक टैंकर सड़क पर पानी का छिड़काव करते जा रहा था, लेकिन ऐसा कुछ दूर तक ही था।
जैसे-जैसे आप आम्रपाली परियोजना की ओर बढ़ते जाएंगे तो सारा आकाश ही धुआं-धुआं नजर आएगा। चारों तरफ कोयले की मोटी राख की परतें। हवा में राख के कण। इस सड़क पर कोयला ढोते हाइवा कभी भी आपको अपनी चपेट में ले सकते हैं।
धूल से भरी सड़क पर गुजरता वाहन
हर साल यहां जान गंवा रहे लोग
डकरा काॅलेज में पढ़ाने वाले पीके पाठक कहते हैं कि यहां हर साल कम से कम पचास लोग अपनी जान गंवा देते हैं। दो पहिया वाहन, आटो या यात्री बस इसी टंडवा-चतरा मुख्य सड़क से गुजरते हैं। निजी वाहन भी। कोयला ढोने के लिए अलग से कोई सड़क यहां नहीं।
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