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रांची जमीन घोटाला: जालसाजों ने 1960 में ही शहर अंचल बना कर दिया सेना के कब्जे वाली जमीन का म्यूटेशन

Ranchi Land Scam ईडी ने चार्जशीट में सेना के कब्जे वाली जमीन के फर्जी रैयत प्रदीप बागची के बयान को भी संलग्न किया है। बागची ने यह स्वीकारा है कि उक्त विवादित जमीन से संबंधित दोनों होल्डिंग में जो दस्तावेज दिए गए थे वे फर्जी थे।

By Jagran NewsEdited By: Mohammad SameerUpdated: Wed, 21 Jun 2023 04:30 AM (IST)
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जालसाजों ने 1960 में ही बना दिया रांची का शहर अंचल, कर दिया सेना के कब्जे वाली जमीन का म्यूटेशन

राज्य ब्यूरो, रांची: भूमि घोटाले में दाखिल चार्जशीट में ईडी ने बड़ा व नया खुलासा किया है। सेना के कब्जे वाली 4.55 एकड़ जमीन के दावेदार बीएम मुकुंद राव व बीएम लक्ष्मण राव बताए जा रहे थे, उनकी दावेदारी भी जब्त दस्तावेज के अनुसार प्रथम दृष्ट्या फर्जी साबित हो गई है।

बीएम मुकुंद राव व बीएम लक्ष्मण राव के नाम पर रजिस्टर टू में पेज संख्या 249 है, जिसके अनुसार उन लोगों के नाम पर म्यूटेशन केस नंबर 1298आर27/60-61 शहर अंचल में हुआ था। ईडी ने शहर अंचल से इसकी छानबीन की तो पता चला कि 1960-61 में शहर अंचल अस्तित्व में ही नहीं था। शहर अंचल का नोटिफिकेशन 25 अक्टूबर 1970 में हुआ था और यह 14 अप्रैल 1971 को अस्तित्व में आया था।

जालसाजों ने जालसाजी तो की, लेकिन इतिहास का ज्ञान नहीं होना उनकी जालसाजी पर भारी पड़ गया। इस प्रकार बीएम मुकुंद राव व बीएम लक्ष्मण राव के नाम पर हुआ म्यूटेशन फर्जी निकला, जिसे बैकडेट में किया गया था। ईडी ने गांधीनगर स्थित फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी से इसकी जांच कराई है, जिसमें पंजी-टू में भी फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है।

एफएसएल ने लिखा है कि पंजी टू की पुरानी स्याही व फेरबदल के बाद की श्याही में अंतर मिला है। अब उक्त जमीन पर जयंत करनाड के उत्तराधिकारी होने का सबूत तो पहले से ही नहीं था, बीएम मुकुंद राव व बीएम लक्ष्मण राव के नाम पर हुई दाखिल खारिज भी फर्जी निकल गई है। रिकार्ड के अनुसार उक्त जमीन की खतियान प्रमोद नाथ दास गुप्ता के नाम पर है।

अब दूसरे फर्जी रैयत प्रदीप बागची ने जिस कागजात के आधार पर उक्त जमीन पर दावेदारी की उसके अनुसार उसके पिता प्रफुल्ल बागची ने खतियानधारी प्रमोद नाथ दास गुप्ता से उस जमीन को खरीद ली थी। उन्होंने मौखिक आदेश पर सेना को उक्त जमीन दे दी थी। प्रदीप बागची का दावा भी फर्जी साबित हो चुका है।

लगातार एक-दूसरे के संपर्क में रहे, रुपयों का भी लेन-देन किया

ईडी की चार्जशीट में यह भी खुलासा हुआ है कि भूमि घोटाले के आरोपित लगातार एक-दूसरे के संपर्क में थे। वे एक-दूसरे से रुपयों का लेन-देन भी करते थे। काल डिटेल्स रिकार्ड (सीडीआर) व बैंक डिटेल्स से ईडी ने इसका पता लगाया। जमीन दलाल अफसर अली व मोहम्मद सद्दाम हुसैन के बीच जनवरी 2021 से अगस्त 2022 तक 3000 बार बातचीत हुई है।

इसी प्रकार अफसर अली का फैयाज के साथ जनवरी 2021 से फरवरी 2023 तक 2759 बार, तल्हा खान से 2474 बार, इम्तियाज अहमद से 1347 बार बातचीत हुई है। जनवरी 2021 से दिसंबर 2022 तक अफसर अली ने प्रदीप बागची से 1248 बार तथा प्रेम प्रकाश के सहयोगी राजदीप कुमार से जनवरी 2021 से अप्रैल 2022 तक 608 बार बातचीत की है।

प्रदीप बागची ने अगस्त 2021 से अक्टूबर 2022 तक मोहम्मद सद्दाम हुसैन से 108 बार व तल्हा खान से मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच 83 बार बातचीत की है। राजस्व उप निरीक्षक भानु प्रताप प्रसाद ने फरवरी 2021 से सितंबर 2022 के बीच तल्हा खान से 48 बार बातचीत की है।

खातों में लेन-देन की बात करें तो प्रदीप बागची ने इम्तियाज अहमद को 15 लाख, तल्हा को छह लाख, ग्रीन ट्रेडर को 10 लाख, अफसर अली को 14.80 लाख, अफसर अली की पत्नी बिसमिल्ला खातून के खाते में 5.50 लाख, तल्हा खान को दो बार में क्रमश: 4.40 लाख व 5.85 लाख स्थानांतरित किया है।

अफसर-दलाल गठजोड़ का पुख्ता सबूत है ईडी की चार्जशीट

रांची में भूमि घोटाल में मनी लांड्रिंग के तहत जांच कर रही ईडी ने अपनी चार्जशीट में बड़ा खुलासा किया है। ईडी की चार्जशीट रांची के अधिकारियों-दलालों के गठजोड़ का पुख्ता सबूत है। ईडी ने अपनी चार्जशीट में चौंकाने वाला खुलासा किया है जो यह बताने के लिए पर्याप्त है कि बिना अंचल व रजिस्ट्री कार्यालय की मिलीभगत से अफसर अली उर्फ अफ्सू खान इतना बड़ा खेल नहीं कर पाता।

उसके यहां से बरामद 27 भूखंडों की फर्जी डीड से यह खुलासा हुआ है कि उसने रांची के विभिन्न मौजा की 144 एकड़ जमीन को फर्जी डीड बनाकर बेच डाला है। चार्जशीट में इस बात पर भी मुहर लग गई है कि रांची से लेकर बंगाल के तक के रजिस्ट्री कार्यालय जालसाजों की मुट्ठी में थे।

ये वहां के मूल दस्तावेज को निकालते, उसमें फर्जीवाड़ा करते, उसके पन्ने तक बदल देते थे। अब ईडी की विशेष अदालत ने उक्त चार्जशीट पर संज्ञान ले लिया है। इस मामले में जांच आगे बढ़ती है तो रांची के जमीन की खरीद-बिक्री में जालसाजी के एक बड़े रैकेट का खुलासा होगा।

मन मुताबिक काम नहीं करने पर छवि रंजन ने दी हटाने की धमकी

ईडी ने अपनी चार्जशीट में रांची के पूर्व जिला अवर निबंधक घासी रात पिंगुआ के बयान को भी लगाया है। पिंगुआ के समय में ही सेना के कब्जे वाली 4.55 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री जगतबंधु टी इस्टेट के निदेशक दिलीप कुमार घोष के नाम पर हुई थी।

पिंगुआ ने ईडी की पूछताछ में बताया कि उक्त जमीन की रजिस्ट्री के लिए रांची के तत्कालीन उपायुक्त छवि रंजन ने पिंगुआ को अपने घर पर बुलाया था। उन्होंने जगतबंधु टी इस्टेट के निदेशक दिलीप कुमार घोष के नाम पर रजिस्ट्री का दबाव यह कहते हुए बनाया कि उक्त जमीन की खरीद-बिक्री करने वाले प्रभावशाली लोग हैं।

जब पिंगुआ ने कागजात सही नहीं होने व नियमों का हवाला देकर रजिस्ट्री से मना किया तो तत्कालीन डीसी ने धमकाया कि वे अन्यत्र स्थानांतरण करवा देंगे। इसके बाद बड़ागाईं अंचलाधिकारी मनोज कुमार से अनुशंसा करवाकर उक्त जमीन की रजिस्ट्री करवाई गई। पिंगुआ ने उक्त डीड पर अंचलाधिकारी की अनुशंसा का भी जिक्र किया है।

प्रदीप बागची को ईडी के सामने उपस्थित होने से दिलीप घोष ने किया था मना

ईडी ने चार्जशीट में सेना के कब्जे वाली जमीन के फर्जी रैयत प्रदीप बागची के बयान को भी संलग्न किया है। प्रदीप बागची से 16 दिसंबर 2022 को ईडी ने पूछताछ की थी। बागची ने यह स्वीकारा है कि उक्त विवादित जमीन से संबंधित दोनों होल्डिंग में जो दस्तावेज दिए गए थे वे फर्जी थे।

उसने आगे यह भी बताया था कि उसे जगतबंधु टी इस्टेट के निदेशक दिलीप कुमार घोष ने समन पर ईडी के सामने उपस्थित होने से मना किया था। उसने यह कहकर भी धमकाया था कि जमीन की खरीद-बिक्री की सच्चाई को उजागर नहीं करना है। प्रदीप बागची ने दिलीप कुमार घोष से वाट्सएप पर हुई बातचीत से संबंधित सबूत भी ईडी को दिखाया था।

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