Jharkhand: नकल करने वालों की खैर नहीं! बिना जांच होगी सीधे FIR; विधानसभा में पास हुआ प्रतियोगी परीक्षा बिल
झारखंड में विधानसभा में मानसून सत्र के पांचवे दिन द्वितीय पाली में विपक्ष के विरोध बवाल हंगामे के बीच विधानसभा से कुछ संशोधनों के साथ झारखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) विधेयक 2023 पारित हो गया। विपक्ष के विधायकों ने चर्चा के दौरान इसे काला कानून बताया आसन के सामने नारेबाजी की और विधेयक की प्रतियां फाड़कर सदन का बहिष्कार किया।
राज्य ब्यूरो, रांची: झारखंड में विधानसभा में मानसून सत्र के पांचवे दिन द्वितीय पाली में विपक्ष के विरोध, बवाल, हंगामे के बीच विधानसभा से कुछ संशोधनों के साथ झारखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनों की रोकथाम व निवारण के उपाय) विधेयक 2023 पारित हो गया।
विपक्ष के विधायकों ने चर्चा के दौरान इसे काला कानून बताया, आसन के सामने नारेबाजी की और विधेयक की प्रतियां फाड़कर सदन का बहिष्कार किया।
क्या है विधेयक का प्रविधान
इस विधेयक में यह प्रविधान है कि परीक्षा में नकल करते पकड़े जाने पर बिना जांच सीधे FIR होगी। इसमें उक्त अभ्यर्थी के लिए एक से तीन साल तक की सजा का प्रविधान किया गया है।
विधानसभा में सदन के पटल पर रखे गए इस विधेयक के समर्थन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जोरदार तरीके से अपनी बात रखी।
उन्होंने कहा कि विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं के संचालन में तेजी से परिवर्तन आया है। अब प्रश्न पत्र, डेटा, इलेक्ट्रानिक या डिजिटल रूप में तैयार किया जा रहा है।
इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का प्रयोग आम प्रचलन में है। हाल में ही प्रश्न पत्र लीक होने की घटनाओं ने समाज तथा भर्ती के लिए प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में लगे छात्रों की चेतना को प्रभावित किया है।
सोच-विचार कर लाया गया विधेयक
इन घटनाओं को रोकने के लिए कठोर दंड लगाने के लिए कानूनी प्रविधान किए जाने की आवश्यकता महसूस हुई। इसपर बहुत मंथन व सोच-विचार के बाद इस विधेयक को लाया गया है।
उन्होंने सदन में चर्चा के दौरान आए विचार पर अपनी सहमति देते हुए तीन साल की सजा को एक साल व सात साल की सजा को तीन साल करने की स्वीकृति दी। इस विधेयक की धाराएं गैरजमानतीय हैं।
मुख्यमंत्री की आपत्ति के बाद ही उखड़ा विपक्ष
झारखंड प्रतियोगिता परीक्षा संबंधित उक्त विधेयक के समर्थन में मुख्यमंत्री ने सदन को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि विपक्ष इस विधेयक पर गंभीर भी है और सरकार की मंशा को एक तरफ ठीक बताते हैं और दूसरी तरफ इसे काला कानून बताते हैं।
ये काला चश्मा उतार दें, सबकुछ सफेद दिखने लगेगा। भाजपा को पूरी दुनिया देख रही है। कुछ दिन पहले संसद में राज्य सरकार के विरोध के बावजूद वनाधिकार कानून पारित किया गया। झारखंड में भी 20 साल तक यही विपक्ष सत्ता में रही और नौजवानों के भविष्य से खिलवाड़ की।
अब जब नियुक्तियां निकल रही हैं तो इन्हें दर्द हो रहा है। पूर्व की सरकार अगर नौजवानों के भविष्य की सोंची होती तो ये नौजवान जमीन के धंधे में नहीं जुटते और रांची के दलादली चौक के पास हुई सुभाष मुंडा की हत्या जैसी घटनाएं नहीं घटती।
बेरोजगारी व भूखे पेट रहने वाले बेरोजगार नौजवान ही इस तरह की घटनाओं में लिप्त हैं। इसी लिए यह विधेयक लाया गया है। मुख्यमंत्री के बयान के बाद ही सदन में भाजपा के सभी विधायक आसन के सामने पहुंच गए। काला कानून वापस लो व झारखंड सरकार हाय हाय का नारा लगाने लगे।
दूसरी तरफ से सत्ता पक्ष के भी कुछ विधायक आसन के सामने पहुंच गए और विपक्ष का विरोध करने लगे। इसी बीच आसन के सामने ही भाजपा के विधायक अमित मंडल, शशिभूषण मेहता, अमर बाउरी, नवीन जायसवाल ने विधेयक की प्रतियां फाड़कर सदन में लहरा दिया और सदन का बहिष्कार कर दिया। हंगामे के बीच मुख्यमंत्री ने अपनी बात जारी रखी।
विधेयक पर विधायकों का तर्क
बगोदर से भाकपा माले के विधायक विनोद सिंह, भाजपा के राजमहल के विधायक अनंत ओझा, गोमिया से आजसू के विधायक लंबोदर महतो, चंदनकियारी से भाजपा के विधायक अमर कुमार बाउरी, हटिया से भाजपा के विधायक नवीन जायसवाल, गोड्डा से भाजपा के विधायक अमित कुमार मंडल व बोकारो से भाजपा के विधायक विरंची नारायण ने विधेयक को प्रवर समिति में भेजने की मांग की।
विधायक विनोद सिंह ने तर्क दिया कि संगठित अपराध के अपराधी अपराध करते हैं, छात्र तो शिकार होते हैं। छात्र परीक्षा केंद्र पर थोड़ा विलंब से जाता है तो वहां वाद-विवाद की स्थिति बन जाती है। ऐसे में छात्रों के भविष्य को देखते हुए इस विधेयक में संशोधन की जरूरत है।
विधायक अनंत ओझा, लंबोदर महतो, अमर बाउरी, अमित मंडल ने इसे काला कानून बताया। लंबोदर महतो ने कहा कि इस विधेयक के लागू होने से अगर कोई गरीब छात्र-छात्रा अधिकारियों के षडयंत्र में फंसेगा तो उसका करियर खत्म हो जाएगा।
बिना जांच सीधे FIR का प्रविधान किया गया है, जो गलत है। सीधे जेल भेजने का भी प्रविधान गलत है। विधायक अमर बाउरी ने कहा कि इस विधेयक के लागू होने से परीक्षा संचालन करने वाली एजेंसी निरंकुश हो जाएगी, कोई उसपर अंगुली नहीं उठा पाएगा, जो उठाएगा वह जेल जाएगा, छात्र-छात्राओं का करियर भी बर्बाद होगा।
विधायक नवीन जायसवाल ने कहा कि इस विधेयक के विरोध में लाखों छात्र-छात्राएं सड़क पर उतरेंगे। विधायक अमित कुमार मंडी ने इस एक्ट की तुलना रालेट एक्ट से की।
कदाचार मुक्त परीक्षा के लिए ही लाया गया विधेयक
प्रभारी मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि कदाचार व अनियमितता को रोकने के लिए ही यह विधेयक सभा पटल पर लाया गया है। एक अभ्यर्थी के बदले दूसरा छात्र परीक्षा देता है, इसपर रोक लगाने के लिए यह विधेयक लाया गया है।
इस विधेयक के लागू होने से छात्र-छात्राओं ही नहीं, रैकेट में शामिल लोगों पर भी कार्रवाई हो सकेगी। इससे कोचिंग संस्थानों की मिलीभगत को खत्म करने में भी लाभ मिलेगा।