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New Criminal Laws: अब थाने में ऐसे मिलेगी गिरफ्तार हुए व्यक्ति की जानकारी, जानिए किस धारा में क्या है प्राविधान?

एक जुलाई से पूरे देश में तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता व भारतीय साक्ष्य अधिनियम को लागू कर दिया है। इन नए कानूनों में आम जनता के हितों को पूरा ध्यान रखा गया है। इस खबर में हम आपको भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की कई धाराओं में दिए गए प्राविधान के बारे में जानकारी देने वाल हैं।

By Dilip Kumar Edited By: Shoyeb Ahmed Published: Tue, 02 Jul 2024 10:15 PM (IST)Updated: Tue, 02 Jul 2024 10:15 PM (IST)
अब थानों में गिरफ्तार हुए व्यक्तियों की जानकारी के लिए लगाए जाएंगे डिस्पले बोर्ड

राज्य ब्यूरो, रांची। एक जुलाई से पूरे देश में लागू तीन नए कानूनों में आम जनता के हितों को पूरा ध्यान रखा गया है। इन कानूनों में भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता व भारतीय साक्ष्य अधिनियम शामिल हैं।

यहां बात भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की करें तो इसमें पुलिस व आम जनता के अधिकार व कर्तव्यों को विस्तार से उल्लेखित किया गया है।

भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 37 में यह उल्लेखित है कि राज्य सरकार प्रत्येक थाने में एक पदाधिकारी की प्रतिनियुक्ति करेगी। यह पदाधिकारी एएसआइ स्तर तक का भी हो सकता है।

गिरफ्तारी का जानकारी ऐसे होगी जारी

वह उस थाने का अपीलीय पदाधिकारी या पदाभिहित पदाधिकारी होगा। उसकी जिम्मेदारी होगी कि वह प्रत्येक दिन शाम को अपने थाना क्षेत्र से उस दिन की गिरफ्तारी की जानकारी डिस्पले बोर्ड के माध्यम से शेयर करेगा।

मतलब यह है कि नए कानून में अब किसी भी गिरफ्तारी को थाने के इलेक्ट्रानिक बोर्ड पर डिस्प्ले करना अनिवार्य किया गया है। इससे यह होगा कि आम जनता पशोपेश में नहीं रहेगी कि उक्त व्यक्ति की गिरफ्तारी हुई है अथवा नहीं। पहले यह सूचना देने के लिए पुलिस बाध्य नहीं थी, अब पुलिस को इसकी जानकारी सार्वजनिक करनी होगी।

बीएनएसएस की धारा 175 व 176 में ये है उल्लेख

बीएनएसएस की धारा 175 व 176 में इस बात का उल्लेख है कि कोर्ट में किसी भी लोकसेवक के विरुद्ध कोई शिकायत होती है तो कोर्ट सीधे तौर पर उक्त आरोपित को बुलाने के बजाय उस लोकसेवक की व उसके सीनियर से उक्त शिकायत के मामले में पक्ष जानेगा।

दोनों का पक्ष लेने के बाद कोर्ट उसकी समीक्षा करेगा और समीक्षा में दोषी मिलने पर आरोपित के विरुद्ध विधि सम्मत कार्रवाई करेगा।

इसी प्रकार बीएनएसएस की धारा 86 में घोषित अपराधी की संपत्ति जब्त करने के लिए पुलिस को अधिकार प्राप्त है। इस धारा में यह उल्लेख है कि वैसे घोषित अपराधी के विरुद्ध एसपी या एसपी से ऊपर रैंक के अधिकारी संपत्ति जब्त कर सकते हैं।

किस धारा में क्या है प्राविधान

एक जुलाई से पूरे देश में लागू कानून आम नागरिकों को केंद्रित कर बनाया गया है। बीएनएसएस की धारा 173 (1) में नागरिकों ई-एफआइआर कहीं भी दर्ज करा देगा। जरूरी नहीं है कि जहां अपराध हुआ, वहीं एफआइआर होगा।

इतना ही नहीं, बीएनएसएस की धारा 173 (2)(1) के तहत नागरिक बिना किसी देरी के पुलिस से अपनी एफआइआर की एक निश्शुल्क प्रति प्राप्त करने का हकदार भी है। बीएनएसएस की धारा 193 (3)(टू) के तहत पुलिस को 90 दिनों के भीतर जांच की प्रगति के बारे में पीड़ित को सूचित करना अनिवार्य है।

बीएनएसएस की धारा 184 (1) के अनुसार पीड़िता की मेडिकल जांच उसकी सहमति से और अपराध की सूचना मिलने के 24 घंटे के भीतर की जाएगी। बीएनएसएस की धारा 184 (6) के तहत मेडिकल रिपोर्ट भी चिकित्सक सात दिनों के भीतर भेज देंगे।

बीएनएसएस की धारा 18 (8) के तहत नागरिकों को अभियोजन पक्ष की सहायता के लिए अपना स्वयं का कानूनी प्रतिनिधित्व करने का अधिकार है। आपराधिक न्याय प्रणाली को अधिक पारदर्शी, जवाबदेह व सुलभ बनाया गया है।

बीएनएसएस की धारा 230 में नागरिकों को दस्तावेज उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है। बीएनएसएस की धारा 396 में पीड़ित नागरिकों को मुफ्त चिकित्सा उपचार व मुआवजे का अधिकार है। वहीं, बीएनएसएस की धारा 398 में गवाह संरक्षण योजना का प्रविधान किया गया है।

बीएनएसएस की धारा 360 में केस से हटने के लिए सहमति देने से पहले न्यायालयों को पीड़ि की बात सुनने का अधिकार है। यह आपराधिक न्याय के लिए न्याय केंद्रित दृष्टिकोण का सबसे अच्छा उदाहरण है।

बीएनएसएस की धारा 404 में पीड़ितों को न्यायालय में आवेदन करने पर निर्णय की निश्शुल्क प्रति प्राप्त करने का अधिकार है। धारा 530 में कानूनी जांच, पूछताछ व मुकदमे की कार्यवाही को इलेक्ट्रानिक रूप से आयोजित करने का प्रविधान है।

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