Move to Jagran APP

पंडित जवाहर लाल नेहरु ने किया था तिलैया डैम का उद्घाटन, जगह-जगह दिख जाएगी नेहरु की स्मृतियां

Koderma News वर्ष 1948 में योजना पर कार्य शुरू हुआ जो 1953 में पूरा हुआ। 21 फरवरी 1953 को देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इसका उद्धाटन किया। तिलैया डैम पंडित जवाहर लाल नेहरू की ड्रीम परियोजना में से एक थी।

By Madhukar KumarEdited By: Updated: Mon, 24 Jan 2022 04:58 PM (IST)
Hero Image
पंडित जवाहर लाल नेहरु ने किया था तिलैया डैम का उद्घाटन, जगह-जगह दिख जाएगी नेहरु की स्मृतियां
कोडरमा, जागरण संवाददाता। झारखंड के कोडरमा जिला से गुजरने वाली बराकार नदी पर अवस्थित दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी) का तिलैया डैम स्वतंत्र भारत का पहला बहुद्देश्यीय नदी घाटी परियोजना है। हालांकि जल प्रबंधन की यह याेजना प्रायोगिक तौर पर शुरू की गई थी। इसके सफल होने के बाद ही देश के अन्य हिस्सों में दूसरी नदी घाटी परियोजनाओं की शुरूआत हुई। बाढ़ एवं सूखा पर नियंत्रण के लिए शुरू की गई यह योजना आज मील का पत्थर साबित हो रहा है।

पंडित नेहरू का ड्रीम प्रोजेक्ट था तिलैया डैम

इसी परियोजना के मॉडल के आधार पर देशभर में नदियों पर बांध बनाकर बाढ़ एवं सूखे पर नियंत्रण का कार्य शुरू हुआ। वर्ष 1948 में योजना पर कार्य शुरू हुआ जो 1953 में पूरा हुआ। 21 फरवरी 1953 को देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इसका उद्धाटन किया। तिलैया डैम पंडित जवाहर लाल नेहरू की ड्रीम परियोजना में से एक थी। यही वजह कि यहां पंडित नेहरू से जुड़ी कई स्मृतियां है। नेहरू जी के नाम पर चंदवारा से बरही तक 7 किलोमीटर लंबी घाट का नाम जवाहर घाटी पड़ा। इसी तरह यहां बने सेतू का नाम जवाहर पुल व तिलैया डैम के दूसरी तरफ चेचरो में इनके नाम पर चाचा नेहरू पार्क बना है।

चौथा डैम बनकर हुआ तैयार

वर्तमान में यहां दो-दो मेगावॉट क्षमता का दो पनबिजली उत्पादन संयंत्र चल रहा है। इससे उत्पादित बिजली आसपास के इलाके में आपूर्ति की जाती है। वहीं बांध के आसपास का इलाका पर्यटकीय दृष्टिकोण से विकसित है। यहां के खूबसूरत नजारे पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। तिलैया डैम के बाद इसी बराकर नदी पर ही कोनार में 1955 में दूसरे डैम तैयार हुआ। इसी तरह 1955 में मैथन में तीसरा और 1959 में पंचेत में चौथा डैम बनकर तैयार हुआ। नदी पर एक के बाद एक चार डैमों के निर्माण के बाद पश्चिम बंगाल के कई जिलों में बाढ़ पर नियंत्रण पा लिया गया। लेकिन आजादी के इतने वर्षों बाद भी यहां सूखा से फसलों से बचाने के लिए सिंचाई नहर का निर्माण नहीं हो सका। जबकि डैम निर्माण के पीछे परिकल्पना यह थी कि पानी का उपयोग नहर तैयार कर आसपास के इलाके में सिंचाई के लिए किया जाएगा। स्थानीय लोग बीच-बीच में इसके मांग करते रहते हैं, लेकिन इस ओर ना तो कभी सरकार का ध्यान गया और ना ही डीवीसी का। दूसरी ओर पर्यटकीय विकास के लिहाज से यहां प्राकृतिक सुंदरता तो अतुलनीय है, लेकिन पर्यटकों की सुविधा से लिहाज से यहां विकास का कोई काम यहां नहीं हो पाया।

डाक टिकट हुआ था जारी

दामोदर घाटी की तिलैया डैम परियोजना उस दौर में इतनी लोकप्रिय हुई थी कि इसकी तस्वीर के साथ डाक टिकट जारी किया गया था। एक आना का डाक टिकट 26 जनवरी 1955 में तिलैया डैम की तस्वीर के साथ जारी हुई थी। स्वयं तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने इसके लिए पहल की थी, जो उस दौर में देश की अभियंत्रण व निर्माण क्षमता का उदाहरण बना था। इस नदी घाटी परियोजना के निर्माण से हजारों लोगों को रोजगार भी मिला।

पेयजल की जरूरतों का कर रहा पूरा

तिलैया डैम का जलाशय इलाके की लाखों की आबादी की पेयजल की जरूरतों को पूरा कर रहा है। कोडरमा, झुमरीतिलैया, बरही, चौपारण समेत आसपास के कई इलाकों में पेयजलापूर्ति का सबसे बड़ा स्रोत तिलैया डैम है। करीब 65 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला तिलैया डैम के जलाशय से प्रतिदिन लाखों लीटर पानी की निकासी इन इलाकों में स्थापित दर्जनों जलमीनारों के माध्यम से लोगों के घरों तक होती है। वहीं वर्ष 2014 में यहां एक विशाल इंटकवेल का निर्माण किया गया है, जिससे तिलैया डैम के नजदीक ही कोडरमा के बांझेडीह में स्थापित डीवीसी के कोडरमा थर्मल पॉवर प्लांट के लिए पानी की आपूर्ति की जाती है। डीवीसी के इस थर्मल पावर प्लांट की क्षमता 1000 मेगावाट है।

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।