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खूंखार नक्‍सली कमांडर की सलाखों के पीछे तन्‍हाई में कट रह जिंदगी, अपनों ने भी छोड़ा साथ, अब चला 'गीता' की राह

भाकपा माओवादी के शीर्ष नक्सली कमांडर प्रशांत बोस इन दिनों जेल में बंद है। उसकी गिरफ्तारी नवंबर 2021 में हुई थी। सलाखों में उसके दिन तन्‍हाई में गुजर रहे हैं। कोई भी उससे मिलने के लिए नहीं आता है। ऐसे में वह गीता पढ़कर अपना वक्‍त बिताता है।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Mon, 16 Jan 2023 04:30 PM (IST)
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पकड़े जाने के बाद भाकपा माओवादी के शीर्ष नक्सली कमांडर प्रशांत बोस

नीलमणि चौधरी, रांची। जिंदगी भर धर्म को बकवास बताने वाले भाकपा माओवादी के शीर्ष नक्सली कमांडर प्रशांत बोस को बुढ़ापे में धर्म का मर्म समझ में आया है। जेल पहुंचने के बाद जब संगठन समेत परिवार के लोगों ने उससे मुंह मोड़ लिया, तो वह गीता पढ़कर शांति की तलाश में जुटा है। 80 वर्षीय प्रशांत बोस जेल प्रशासन से बार-बार गीता के अंग्रेजी अनुवाद की मांग करता है। बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा के पुस्तकालय से उसे पिछले 13 महीने में दो बार गीता की अंग्रेजी प्रति उपलब्ध कराई जा चुकी है।

दर्जनों बड़े नक्‍सली हमलों का मास्‍टर माइंड रहा है प्रशांत

प्रशांत बोस उर्फ किसान दा उर्फ बूढ़ा और उसकी पत्नी शीला मरांडी को नवंबर 2021 में सरायकेला से गिरफ्तार किया गया था। कभी सैकड़ों हथियारबंद माओवादी गुरिल्लों से घिरा रहने वाला यह नक्सली कमांडर आज जेल की सलाखों के पीछे तन्हाई में समय काट रहा है। डेढ़ साल पहले तक उसके पीछे कई राज्यों की पुलिस पड़ी थी। बिहार, झारखंड और ओडिशा में वह दर्जनों बड़े नक्सली हमलों का मास्टरमाइंड रहा है। प्रशांत बोस के उसका एक इशारे पर कभी झारखंड, बिहार और ओड़िशा का बड़ा हिस्सा थम जाता था।

प्रशांत के एक इशारे पर घटनाओं को दिया जाता था अंजाम

वह हमलों की रणनीतियां बताने के साथ लेवी वसूली का प्रबंधन भी देखता था। उसके एक इशारे पर नक्सली बड़ी से बड़ी घटनाओं को अंजाम दे देते थे। नक्सली संगठन भाकपा माओवादी में उसकी हैसियत पोलित ब्यूरो सदस्य और ईस्टर्न रीजनल ब्यूरो के सचिव की थी।

जेल में प्रशांत हुआ अकेलेपन का शिकार

जेल सूत्रों की मानें तो गिरफ्तारी के 13 महीने बाद भी अब तक प्रशांत बोस से मिलने जेल में कोई नहीं आया है। स्वजनों तक ने किनारा कर लिया है। शरीर के अंग एक-एक कर शिथिल पड़ते जा रहे हैं। आज प्रशांत बोस जेल के संतरियों को अपनी ओर आते देखकर कातर दृष्टि से उन्हें एकटक निहारता है। उसे लगता है कि सामने से आ रहा संतरी जेल के दरवाजे पर किसी से मिलवाने का संदेश देगा, लेकिन निराशा हाथ लगती है। जीवन का सत्य उसे धीरे-धीरे समझ आ रहा है।

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