गुजरात में भाजपा को रास आया आदिवासी कार्ड, कई राज्यों में दिखेगा इसका असर
गुजरात में आदिवासियों के लिए सुरक्षित विधानसभा सीटों पर भाजपा के पक्ष में अप्रत्याशित परिणाम ने उन दलों की नींद उड़ा दी है जो जनजातीय समुदाय की नाराजगी का मुद्दा उछाल रहे थे।चुनाव के प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार अपनी सभाओं में भी इसका उल्लेख भी करते रहे।
By Jagran NewsEdited By: Sonu GuptaUpdated: Wed, 14 Dec 2022 11:09 PM (IST)
प्रदीप सिंह, रांची। गुजरात में आदिवासियों के लिए सुरक्षित विधानसभा सीटों पर भाजपा के पक्ष में अप्रत्याशित परिणाम ने उन दलों की नींद उड़ा दी है, जो जनजातीय समुदाय की नाराजगी का मुद्दा उछाल रहे थे। इस चुनाव परिणाम ने यह भी प्रमाणित किया कि झारखंड की राज्यपाल रहीं द्रौपदी मुर्मु को राष्ट्रपति पद पर बिठाने का फैसला भी सटीक रहा। इससे आदिवासियों में सकारात्मक संदेश गया। गुजरात में विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार अपनी सभाओं में भी इसका उल्लेख भी करते रहे।
27 में से 24 पर भाजपा ने दर्ज की जीत
27 में से 24 आदिवासी सुरक्षित सीटों पर भाजपा की जीत के पीछे ठोस रणनीति के साथ इन क्षेत्रों में निचले स्तर तक प्रभावी चुनाव अभियान की अहम भूमिका रही। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और जनजातीय मामलों के केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने लगातार गुजरात में कैंप किया। उनका पूरा फोकस जनजातीय सुरक्षित सीटों पर था। इसका परिणाम भी दिखा। चुनाव में बंपर सफलता के बाद अर्जुन मुंडा को भाजपा विधायक चयनित करने के लिए बनी केंद्रीय पर्यवेक्षकों की टीम में शुमार किया गया।
पार्टी के भीतर बढ़ा मुंडा का कद
मालूम हो कि मुंडा अपना प्रभाव बंगाल विधानसभा के चुनावों में भी दिखा चुके हैं। बंगाल में झारखंड से सटे पुरुलिया, बांकुड़ा, मिदनापुर आदि इलाकों में उन्होंने कैंप किया था। वहां भाजपा की सफलता दर बेहतर रही। इससे उनका पार्टी के भीतर भी कद बढ़ा है। गुजरात की सफलता का आने वाले दिनों में झारखंड समेत बंगाल, ओडिशा, छत्तीसगढ़, राजस्थान के विधानसभा चुनावों में भी असर दिखेगा।आदिवासी-मूलवासी वोट को अपने ओर जोड़ने की कवायद
झारखंड में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा को है इस बात का अहसास है कि अगले विधानसभा चुनाव में भाजपा आदिवासी सुरक्षित सीटों पर काबिज होने के लिए पूरा जोर लगाएगी। यही कारण है कि आदिवासी-मूलवासी वोट को अपने साथ जोड़े रखने की पार्टी पूरी कवायद कर रही है। 2019 में राज्य में हुए विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस गठबंधन ने 28 में से 26 सीटों पर जीत हासिल करने में सफलता पाई थी। भाजपा के खाते में सिर्फ दो सीटें आई थी।
मुख्यमंत्री सोरेन ने शुरू की खतियानी जोहार यात्रा
हेमंत सोरेन ने अपने आधार वोट को बनाए रखने के साथ-साथ इसमें विस्तार की भी रणनीति पर काम किया है। उन्होंने खतियानी जोहार यात्रा आरंभ की है, जो फरवरी माह तक चलेगा। आदिवासी-मूलवासी वोटों को जोड़े रखने के लिए उन्होंने 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीयता नीति संबंधी विधेयक विधानसभा में पारित कराया। पिछड़ों का आरक्षण प्रतिशत 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने के साथ-साथ उन्होंने एसटी और एससी के आरक्षण प्रतिशत में भी बढ़ोतरी की।यह भी पढ़ें- सिर्फ मिस्ड कॉल दे कर खाते से गायब नहीं होगा पैसा, जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्टFact Check: गलवान झड़प का वीडियो फुटेज तवांग सेक्टर में हुई सैन्य संघर्ष के नाम पर हो रहा वायरल
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