Shibu Soren: सोरेन परिवार की मुसीबतें नहीं कम हो रहीं! अब एक और मामले में दर्ज होगी FIR
शिबू सोरेन परिवार की मुश्किलें कम होने नहीं हो रही है। सोरेन परिवार के खिलाफ अब लोकपाल ने भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआइ को एफआइआर दर्ज करने का आदेश दिया। दरअसल वोट के बदले नोट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है और 1998 के फैसले को पलटते हुए अदालत ने कहा कि सांसद और विधायकों को रिश्वत मामले में कोई छूट नहीं दी जा सकती है।
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन और उनके परिवार की मुश्किलें बढ़ने वाली है। आय से अधिक संपत्ति के मामले में लोकपाल ने सीबीआइ जांच का आदेश दिया है। लोकपाल ने सीबीआइ को छह माह में जांच पूरी करने को कहा है। साथ ही जांच रिपोर्ट लोकपाल के यहां प्रस्तुत करने को कहा है।
लोकपाल ने अपने आदेश में कहा है कि मामले में प्रारंभिक जांच में मिले तथ्यों के आधार पर सीबीआइ अपने स्तर से कार्रवाई करने के लिए भी स्वतंत्र है। लोकपाल ने सीबीआइ को प्रत्येक माह जांच की प्रगति रिपोर्ट मांगी है। इसकी पहली जांच रिपोर्ट 30 अप्रैल 2024 से पहले लोकपाल को सौंपा जाना है।
लोकपाल ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया है कि शिकायतकर्ता अपनी शिकायत से सात साल पूर्व में अर्जित 80 संपत्ति के बारे में पीसी एक्ट के तहत सक्षम प्राधिकार के यहां शिकायत करने के लिए स्वतंत्र है, क्योंकि नियमानुसार लोकपाल उन संपत्तियों की जांच का आदेश नहीं दे सकता है।
इस संबंध में गोड्डा से भाजपा के सांसद निशिकांत दुबे ने पांच अगस्त 2020 को लोकपाल के यहां शिबू सोरेन से जुड़े आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने की शिकायत की थी, जिसमें कहा गया था कि शिबू सोरेन और उनके परिजनों ने रांची, धनबाद, दुमका सहित अन्य जगहों पर कई बेनामी संपत्ति अर्जित की है।
सोरेन परिवार ने सरकारी धन का दुरुपयोग कर संपत्ति अर्जित की
कहा गया है कि शिबू सोरेन और उनके परिवार लगातार सरकारी धन का दुरुपयोग कर संपत्ति अर्जित की है। पूर्व सीएम हेमंत सोरेन ने कोलकाता के कारोबारी अमित अग्रवाल के साथ मिलकर कई कंपनियों के नाम पर कोलकाता और झारखंड में संपत्ति खरीदी है। जबकि उक्त कंपनी को हमेशा घाटे होने का विवरण दिया गया है। इस मामले में पूर्व में लोकपाल ने सीबीआइ को प्रारंभिक जांच करने का आदेश दिया था। जिसके आधार पर लोकपाल ने मामले में आगे की जांच जारी रखने का निर्देश दिया है।शिकायत पर लोकपाल को सुनवाई का अधिकार नहीं- शिबू सोरेन के पक्षकार
इससे पूर्व शिबू सोरेन की ओर से पेश हुए अधिवक्ताओं ने लोकपाल को बताया कि शिकायतकर्ता के आवेदन पर सुनवाई नहीं होनी चाहिए। इस तरह की शिकायत पर लोकपाल को सुनवाई करने का अधिकार नहीं है। इसके अलावा शिकायत सात साल बाद की गई है। ऐसे में उक्त संपत्ति अर्जित करने के मामले में सुनवाई नहीं की जा सकती है।
उनकी ओर से यह भी कहा गया कि यह शिकायत राजनीति विद्वेष से की गई है। शिबू सोरेन ने अपने अर्जित संपत्ति का ब्योरा भी दिया है। यह शिकायत पीसी एक्ट या अन्य कानून के तहत की जा सकती है, लेकिन सात साल की बाध्यता होने के बाद लोकपाल के इसकी सुनवाई नहीं की सकती है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद लोकपाल ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले की सीबीआइ जांच छह माह में पूरा करने का निर्देश दिया है।
इस मामले में शिकायतकर्ता सांसद निशिकांत दुबे ने एक्स पर लिखा है कि झारखंड के सोरेन परिवार के लिए सबसे बुरी खबर है। मेरी शिकायत व कानूनी लड़ाई के बाद लोकपाल ने भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआइ को प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया। कुल 108 संपत्ति का जिसका ज़िक्र न चुनाव आयोग और न ही इनकम टैक्स विभाग को शिबू सोरेन के परिवार ने दिया है।
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