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Taimara Valley: झारखंड की तैमारा घाटी का जानिए सच, क्या सचमुच यहां बदल जाता है वर्ष, पढ़िए पूरी कहानी

Taimara valley Jharkhand क्या सचमुच तैमारा घाटी में बदल जाता है टाइम जोन? इस समय यह बात सोशल मीडिया में खूब चर्चा में है। सड़क किनारे करीब एक किलोमीटर में फैसली इस घाटी से हर दिन सैकड़ों वाहन गुजरते हैं। यह रांची से करीब 30 किलो मीटर दूर है।

By M EkhlaqueEdited By: Updated: Tue, 16 Aug 2022 06:04 PM (IST)
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Taimara valley Jharkhand: रांची जमशेदपुर एनएच 33 पर तैमारा घाटी।
रांची, डिजिटल डेस्क। Jharkhand Mysterious Taimara Valley झारखंड की तैमारा घाटी इन दिनों सोशल मीडिया में सुर्खियों में है। इस सुंदर घाटी की तरह-तरह की रोचक कहानियां इस समय लोगों को सुनाई दे रही हैं। सबसे ज्यादा चर्चा इस बात की हो रही कि यहां से गुजरते समय मोबाइल का समय और वर्ष बदल जाता है। मोबाइल का टाइम जोन दो वर्ष आगे चला जाता है। यानी यहां जब आप अपना मोबाइल चेक करेंगे तो वर्ष 2022 के बदले आपको वर्ष 2024 नजर आएगा। इतना ही नहीं मोबाइल में घड़ी कुछ और ही समय बयां करने लगती है। यहां पहुंचते ही मोबाइल के वाटसएप पर डेट सेटिंग का मैसेज आने लगता है। सोशल मीडिया में इस चर्चा को लेकर लोग काफी उत्सुक नजर आ रहे हैं।

रांची-जमशेदपुर एनएच-33 पर है यह घाटी

झारखंड की तैमारा घाटी तक पहुंचने के लिए आपको रांची जमशेदपुर हाइवे यानी एनएच-33 पर सफर करना होगा। राजधानी रांची से यह जगह करीब 30 किलोमीटर दूर है। सड़क फोरलेन में तब्दील हो चुकी है। सड़क के दोनों ओर पहाड़ और घाटी का आप दर्शन कर सकते हैं। बरसात के इस मौसम में आप यहां बादलों का आप निकट से साक्षात्कार कर सकते हैं। पहाड़ों से टकराते बादल यहां आपको ठंडक का एहसास कराएंगे। इस समय चहुंओर हरियाली नजर आएगी। कई लोग यहां रूक कर फोटो खींचते और सेल्फी लेते नजर आएंगे। सड़क पर करीब एक किलोमीटर के दायरे में इस घाटी का आप आनंद उठा सकते हैं। वैसे इसका दायरा काफी लंबा है। यह दूर दूर तक फैली हुई है।

सड़क किनारे बजरंग बली व मां काली मंदिर

तैमारा घाटी में कहीं कुछ नजर नहीं आएगा। सिवाय यहां सड़क किनारे एक मंदिर है, जहां बजरंग बली और मां काली की प्रतिमा है। इस मंदिर पर अक्सर राहगीर रूक कर पूजा करते हैं। इसके बाद आगे का सफर तय करते हैं। घाटी के इलाके में सड़क पर सोलर लाइट का भरपूर प्रबंध है। एनएचएआइ की ओर से यह प्रबंध किया गया है। काफी उतार चढ़ाव होने के कारण यहां भारी वाहनों की रफ्तार धीमी हो जाती है। बाइक और अन्य चारपहिया वाहनों से यहां आप सरपट भाग सकते हैं। यह घाटी दशम फाल जाने वाली सड़क के पास से शुरू होती है। इस घाटी के समाप्त होते ही पहाड़ के नीचे एक आदिवासी परिवार का घर दिखाई देगा। आसपास एक दो दुकानें भी हैं।

यदि ऐसा होता तो यह पर्यटन का केंद्र बन जाता

कहा जता है कि इस घाटी में टाइम जोन बदल जाता है, लेकिन यह सच्चाई नहीं है। यहां पहाड़ों पर एक नहीं बल्कि कई मोबाइल टावर लगे हुए हैं। जिस जगह तैमारा घाटी का बोर्ड लगा हुआ है, उसके पास ही मोबाइल टावर आप देख सकते हैं। यहां रूक कर आप फोटोग्राफी कीजिए। खुद अपना मोबाइल चेक कीजिए, आपको कुछ भी नया नजर नहीं आएगा। टाइम जोन में कोई बदलाव नजर नहीं आएगा। दैनिक जागरण संवाददाता ने खुद मोबाइल चेक किया, फोटो भी खींचा, लेकिन कोई बदलाव नहीं दिखा, जैसा कि सोशल मीडिया में इस घाटी को लेकर अफवाह है। यहां मौजूद कुछ लोगों से जब बात की गई तो लोगों ने कहा कि यह अफवाह है। अगर ऐसा होता तो झारखंड का यह पर्यटन केंद्र बन गया होता। आज तक इस बारे में सरकार या किसी एजेंसी ने ऐसी घटना की पुष्टि नहीं की है। इस जोन को लेकर मोबाइल सेवा देने वाली कंपनियां भी सतर्क हो गई होतीं। उनकी ओर से भी कभी इस बारे में कोई सूचना नहीं दी गई है।

घाटी से काफी दूर है कस्तूरबा आवासीय विद्यालय

तैमारा घाटी के पास जिस कस्तूरबा गांधी आवासीय विद्यालय की शिक्षिकाओं का बयान वीडियो फुटेज में दिखाया जा रहा, वह स्कूल तैमारा घाटी से काफी दूर जामचुआ में है। सरकार द्वारा निर्धारित घाटी क्षेत्र में एक भी सरकारी या गैर सरकारी प्रतिष्ठान नहीं हैं। यहां केवल जंगल, पहाड़, मोबाइल टावर, बिजली और मंदिर है। अगर यहां ऐसी घटनाएं होती तो सड़कों पर दौड़ते वाहन रोककर लोग खुद इस खेल का आनंद उठाते, इसके बाद ही आगे का सफर तय करते। हां इतना जरूर है कि यह घाटी बेहद सुंदर है। इसे लोग एक पल जरूर निहारते हैं। स्थानीय लोगों की मानें तो एक जमाने में इस घाटी में लोग हत्या कर शवों को फेंक दिया करते थे। ऐसा इसलिए कि यहां शवों को खोजना काफी कठिन है। कई बार पुलिस ने यहां से शवों को बरामद किया है।

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