Unique Snakes World: सांप को मारने पर हो सकती सजा.. झारखंड में 26 प्रकार के सांप... इन पांच से बचकर रहें आप
Unique World Of Snakes झारखंड में कुल 26 प्रकार के सांप पाए जाते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इनमें पांच प्रकार के सांप सर्वाधिक विषैले होते हैं। इनसे आपको बच कर रहना चाहिए। अगर आप सर्पदंश के शिकार हो जाएं तो झाड़ फूंक के चक्कर में नहीं पड़ें।
रांची, {आमोद कुमार साहू}। बारिश शुरू होते ही झारखंड में सर्पदंश की घटनाएं बढ़ गई हैं। इस मौसम में खेत, मैदान व घरों के आसपास अक्सर सांप देखे जाते हैं। बारिश के दिनों में सांपों के निकलने के दो कारण है होते हैं। पहला- हाइबरनेशन के बाद तापमान का बढ़ना। दूसरा- सांप के बच्चे भी अंडों से खूब निकलते हैं। साथ ही वर्षा के मौसम में उमस अधिक होने से सूखी जगह की तलाश में सांप अक्सर घरों में घुस जाते हैं। मुश्किलें उस समय बढ़ जाती हैं जब किसी को काट लेते हैं।
भय के कारण मर जाते हैं ज्यादातर लोग
वाइल्डलाइफ कंजेवेशन रांची के सचिव सह बिरसा जैविक उद्यान के सलाहकार रमेश कुमार महतो कहते हैं कि झारखंड में कुल 26 प्रकार के सांप पाए जाते हैं। इनमें पांच प्रकार के सांप सर्वाधिक विषैले होते हैं। इनके काटने से आपकी जान भी जा सकती है। इसलिए झाड़ फूंक के बजाए तुरंत अस्पताल में इलाज कराना चाहिए। सांप दिखने पर घबराना नहीं चाहिए। सभी सांप विषैले नहीं होते हैं। सांप काटने के बाद भय से लोगों की मौत हो जाती है। थोड़ी सावधानी से हम सर्पदंश से होने वाली मौत को कम कर सकते हैं।
राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वाधिक विषैले सांप
झारखंड में हर साल हजार लोगों की मौत सर्पदंश से हो जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में विषैले सांप अधिक पाए जाते हैं। यही कारण है कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की मौत अधिक होती है। इसका मुख्य कारण ग्रामीण क्षेत्र के लोगों में जागरूकता की कमी और अंधविश्वास है। ज्यादातर लोग झाड़ फूंक कराने के चक्कर में अपनी जान गंवा देते हैं। सरकारी आंकड़ों में मौत का ग्राफ कम दिखता है, वजह कई लोगों की मौत की सूचना सरकार तक पहुंच ही नहीं पाती है।
भारत में सभी सांप संरक्षित, इन्हें मारना गुनाह
सांप पयार्वरण व आहार श्रृंखला बनाए रखने के लिए काफी महत्वपूर्ण माने जाते हैं। सांप विभिन्न प्राकर के छोटे बड़े जीवों को खासकर पर्यावरण को नियंत्रित करते हैं। भारत में लगभग 300 प्रजाति के सांप पाए जाते हैं, जिनमें कुछ ही सांप विषैले होते हैं। झारखंड में अब तक 26 प्रजाति के सांप की पहचान हुई है। जिसमें मात्र पांच ही जानलेवा हैं। इनमें कॉमन करैत, कोबरा, बेंडेड करैत, रसल वाइपर व वीट वाईपर शामिल हैं। भारत में सभी सांप वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत संरक्षित हैं। उन्हें मारने व नुकसान पहुंचाने पर सजा का भी प्रविधान है।
सर्पदंश के बाद मरीज को क्या करना चाहिए
सबसे पहले सांप के काटने पर घबराए नहीं। पीड़ित को हौसला दें। अनावश्यक भीड़ न लगाएं। पीड़ित को हतोत्साहित नहीं करें। सपर्दंश के स्थान पर ब्लेड या किसी धारदार वस्तु से चिरा न लगाएं। चूस कर विष निकालने का भी प्रयास ना करें। इससे जान जाने की खतरा है। झाड़ फूंक नहीं कराएं। जिला अस्पताल में मरीज को लेकर जाएं। सभी जिले के मुख्य अस्पताल में निश्शुल्क उपचार की व्यवस्था है। ध्यान रखें कि इस दौरान पीड़ित को नींद नहीं आए।
सर्पदंश से बचने हेतु लोगों को क्या करना चाहिए
अपने घर के आसपास साफ सफाई रखें। झाड़ी या कचरा नहीं रहने न दें। चूहों के घर भी सांप को आमंत्रित करते हैं। घर के पुराने सामान या स्क्रैप को हटा दें। घर के बाहरी हिस्सों में ब्लीचिंग पाउडर व फेनाइल का छिड़काव करते रहें। सांप घरों में घुस जाए तो पहचान के लिए फोटो लें। तत्काल वन विभाग या किसी रेस्क्यू टीम को सूचना दें। जब तक मदद नहीं पहुंचे। सांप पर नजर बनाए रखें। प्रकृति में सांपों का होना सामान्य है। धरती पर जीवन संरक्षित करने के लिए पयार्वरण के साथ सांप का भी रहना जरूरी है।