हार्ट अटैक आते ही सबसे पहले जेब से निकालकर मुंह में रख लें यह दवा, दिल को होती रहेगी ब्लड की सप्लाई; बच सकती है जान
आज के समय में हार्ट अटैक की समस्या बेहद आम है। कम उम्र के युवा भी अब इसकी चपेट में आने लगे हैं। रिम्स के कार्डियोलाॅजिस्ट व एसोसिएट प्रोफेसर डा. प्रकाश कुमार बुधवार को दैनिक जागरण कार्यालय में आयोजित प्रश्न पहर कायर्क्रम में पहुंचे तो उन्होंने इससे संबंधित कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि दिल का दौरा पड़ने पर जेब में रखे एस्प्रीन का प्रयोग करें।
जागरण संवाददाता, रांची। ब्लड प्रेशर के मरीज अपनी जेब में एस्प्रीन और सोरविटेट दवा जरूर रखें। हार्ट अटैक की स्थिति या सीने में अचानक तेज दर्द होने पर तत्काल इसका सेवन करें। इसके बाद शीघ्रता से अस्पताल पहुंचें या चिकित्सक से संपर्क करें। ऐसा करने से मई मरीजों की जिंदगी बच सकती है। ब्लड का सप्लाई होता रहेगा।
हार्ट रोगी होने के ये हैं लक्षण
ये बातें रिम्स के कार्डियोलाॅजिस्ट व एसोसिएट प्रोफेसर डा. प्रकाश कुमार ने दैनिक जागरण कार्यालय में आयोजित प्रश्न पहर के दौरान पाठकों के सवाल का जवाब दे रहे थे।
उन्होंने बताया कि सीने में दर्द, सीढी चढ़ने में सांस फूलना, चलने के वक्त सीने में दर्द बढ़ना और रुकने के बाद दर्द कम होना हार्ट के रोगी होने का लक्षण हैं। इसे हल्के में न लें। इलाज कराएं।
डॉ. प्रकाश कुमार।
प्रश्न प्रहर
सवाल- हाइपरटेंशन के मरीज अपना ख्याल कैसे रखें?
जवाब- हाइपरटेंशन के मरीजों को विशेष ख्याल रखना चाहिए। दवाओं का नियमित सेवन करें। सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर 150 तक होने पर एम्लोडीपीन- 5 एमजी खाएं और 150 से ज्यादा होने पर एम्लोडीपीन 10 एमजी खाएं।सवाल- पिता और दादा का निधन हार्ट अटैक से हुआ था। क्या परिवार के सदस्य को भी हार्ट अटैक होने की आशंका है?जवाब- यह बीमारी वंशानुगत है। इसलिए स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा सजग रहना होगा। नियमित ब्लड प्रेशर की जांच करानी होगी। 40 वर्ष के बाद एक बार इसीजी और इको जरूर करा लें। मधुमेह के रोगी दवाओं का नियमित सेवन करें।
सवाल- दादी को सीने और पैर में दर्द की शिकायत रहती है। खांसी भी होती है...जवाब- पैर में दर्द का कारण आस्टियोआर्थराइटिस हो सकता है। इसके लिए किसी हड्डी रोग विशेषज्ञ को दिखाएं। सीने में दर्द और खांसी के लिए एक बार इसीजी और इको कराएं।सवाल- हार्ट में कितना प्रतिशत ब्लाॅकेज पर स्टेंट लगाया जाता है?जवाब- हार्ट में 70 प्रतिशत ब्लाकेज के बाद अमूमन स्टेंट लगाया जाता है। इससे कम होने पर दवाइयां चलाई जाती हैं। यह देखा जाता है कि मरीज के स्वास्थ्य की स्थिति कैसी है। उसके बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाता है।
सवाल- ठंड के मौसम में मार्निग वाॅक कब करना चाहिए?जवाब- ठंड के मौसम में आर्टरी में सिकुड़न हो जाती है। ब्लड प्रभाव भी कम हो जाता है। ऐसे में सुबह नौ बजे के बाद ही टहलना चाहिए।यह भी पढ़ें: राहुल गांधी के झारखंड आने के ठीक पहले होगी एकता महारैली, आदिवासियों के मुद्दों पर होगी बात; बंधु ने दी जानकारी
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