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Uttarkashi Tunnel Rescue: 17 दिन बाद टनल से निकले श्रमिक, झारखंड में बेटों को देख छलके स्वजनों के आंसू, अब घर वापसी का इंतजार

उत्तराखंड के उत्तरकाशी सीलक्यारा टनल में फंसे मजदूरों के मंगलवार की रात टनल से बाहर निकलते ही उनके स्वजनों में खुशी का ठिकाना नहीं रहा। अपने लोगों को टनल से निकलता देख ग्रामीणों के बीच खुशी की लहर दौड़ गई। गांव वालों ने बताया कि अपने बेटे की सुरक्षा को लेकर चिंतित स्वजनों के चेहरे पर 17 दिन बाद मुस्कान देखने को मिली।

By Jagran NewsEdited By: Shubham SharmaUpdated: Wed, 29 Nov 2023 05:00 AM (IST)
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17 दिन बाद टनल से निकले श्रमिक। (फाइल फोटो)
अमोद-कुलदीप, ओरमांझी-चुटूपालू। उत्तराखंड के उत्तरकाशी टनल में फंसे अपने बेटों के निकलने की सूचना मिलते ही रांची और खूंटी के स्वजनों के चेहरों पर एक खुशी चमक उठी। घर पर भले ही टीवी नहीं थी। लेकिन मोबाइल से अपनों को टनल से निकलता देख ग्रामीणों के बीच खुशी की लहर दौड़ गई।

खुशी से चमक उठे चेहरे 

वहीं, ओरमांझी प्रखंड के खीराबेड़ा में ग्रामीणों व स्वजनों की चेहरे खुशी से चमक उठे। ग्रामीणों व स्वजनों ने मिठाइयां बांटकर खुशियां मनाई। हालांकि, स्वजनों ने कहा बेटों से बात होने पर ही उन्हें संतोष होगा। अभी तक आप लोगों से ही जानकारी मिली है। गांव में आ रहे है मीडिया वालों से ही जानकारियां उपलब्ध हो पा रही है कि अब बेटे निकल गए हैं।

छलके खुशी के आंसू

घर में टीवी नहीं रहने के कारण अपने बेटे को हाल जानने के लिए पल-पल इंतजार करना पड़ रहा था। स्वजन बताते हैं कि जब से उनके बेटे टनल में फंसे हैं वे लोग ठीक से सोए भी नहीं हैं। गौरतलब हो कि खीराबेड़ा के नौ युवक मजदूरी करने उत्तराखंड गए हैं। इनमें तीन मजदूर के उतरकाशाी टनल में फंस गए थे।

अपने बेटों के सकुशल निकलने की सूचना जैसे ही उन्हें मिली उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा, खुशी से उनके आंशू छलक आएं। टनल में फंसे राजेंद्र बेदिया के माता-पिता फूलो देवी व श्रवण बेदिया के साथ उसकी बहन चांदनी कुमारी ने कहा आज सुरक्षित निकलने की खुशी है। कहा कि जब बेटा घर आ जाएगा, तो जमकर खुशियां मनाएंगे। 

मजदूरों के घर पहुंचे लोग, जताई खुशियां

गांव के तीनों बेटों राजेंद्र बेदिया, सुखराम बेदिया व अनिल बेदिया के 16 दिन बाद जैसे ही टनल से बाहर आने की सूचना मिली गांव वाले तीनों के घर पहुंचने लगे। गांव में मिठाई बांटे जाने लगी। टनल में फंसे सुखराम बेदिया के घर में टीवी है, लेकिन मंगलवार को 3.30 बजे से बिजली नहीं थी। शाम पांच बजे के करीब जैसे ही बिजली आई।

सुखराम बेदिया की भाभी संगीता देवी दौड़ते हुए टीवी खोली। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण सिग्नल भी ठीक नहीं था। बार-बार चैनल बदल कर अपने देवर की टनल से बाहर आने की समाचार जानने को बेचैन थी। वहीं, गांव वालों ने बताया कि अपने बेटे की सुरक्षा को लेकर चिंतित स्वजनों के चेहरे पर 16 दिन बाद मुस्कान देखने को मिल रही है।

गांव में बंटी मिठाई

टनल में फंसे खीराबेड़ा गांव के तीनों मजदूरों के बाहर आने की खुशी में गांव के सामाजिक कार्यकर्ता ने खुशी का इजहार करते हुए मिठाइयां बांटी और मजदूरों के परिजनों को भी मिठाई खिलाने की कोशिश की। राजेंद्र बेदिया के दिव्यांग पिता श्रवण बेदिया, मां फुलकुवारी देवी, बड़े पिता गुला बेदिया के चेहरे खुशी से दमक रहे थे। वहीं, सुखराम बेदिया के घर पर भी सभी खुश थे। अनिल बेदिया की मां संजू देवी, चाची पैनी देवी घर के बाहर बैठ बेटे की आने की इंतजार में है।

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