VHP ने पूरे देश में मनाया अखंड भारत दिवस; विहिप के प्रांत मंत्री ने कहा- हमें भारत को अखंड बनाने का संकल्प लेना है
VHP News विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने रविवार को अमृत महोत्सव के साथ-साथ अखंड भारत दिवस भी देश के सभी प्रखंड मुख्यालयों में मनाया। विहिप के प्रांत मंत्री ने कहा कि हमें भारत को अखंड बनाने का संकल्प लेना है।
रांची, जासं। VHP News एक तरफ जहां पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, वहीं विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने रविवार को अमृत महोत्सव के साथ-साथ अखंड भारत दिवस भी देश के सभी प्रखंड मुख्यालयों में मनाया। सभी स्थानों पर अखंड भारत माता की पूजा करने के साथ ही उपस्थित लोगों ने अखंड भारत के सपने को साकार करने का संकल्प लिया। अधिकतर स्थानों पर विहिप के पदाधिकारियों ने अपने संबोधन में कहा कि सच्चे मन से लिए गए संकल्प को धरातल पर उतारना असंभव नहीं है। संगठित व मजबूत हिंदू समाज और मजबूत राष्ट्रीय सरकार के समन्यव से यह संभव हो सकता है।
हमें खंडित आजादी मिली: केशव राजू
विहिप के चेन्नई क्षेत्र के संगठन मंत्री व पूर्व में झारखंड व बिहार के क्षेत्र संगठन मंत्री रहे केशव राजू ने रांची में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि हमें आजादी तो मिली पर यह खंडित आजादी है। समय-समय पर भारत के कई हिस्से अलग होते चले गए। स्वतंत्रता के समय 1.25 करोड़ हिंदुओं को विस्थापित होना पड़ा। 10 लाख हिदुओं की बर्बर हत्या हुई और एक लाख से अधिक हिंदू महिलाओं के साथ दुष्कर्म हुए। अगर मुस्लिम तुष्टीकरण नहीं किया जाता तो जेहादी अलगाव का दानव इतना बड़ा आकार नहीं लेता।
भारत पुरातन संस्कृति का हृदय स्थल है, हमें भारत को अखंड बनाने का संकल्प लेना है: विहिप
रांची में आयोजित एक कार्यक्रम में विहिप के प्रांत मंत्री डा. वीरेंद्र साहू ने कहा कि भारतवर्ष पुरातन संस्कृति का हृदय स्थल है। भारत का कल्पना मात्र भारत वर्ष तक ही सीमित नहीं है, बल्कि हमारी कल्पना जंबूद्वीप है। जंबूद्वीप का तात्पर्य यूरोप और एशिया है। हमारी पुरातन संस्कृति संपूर्ण जंबूद्वीप में था। 2000 वर्ष पूर्व ईसा मसीह के जन्म के बाद एक नई संस्कृति का जन्म हुआ, जिसका केंद्र यूरोप रहा। वहीं, दूसरी ओर लगभग 1400 वर्ष पूर्व हजरत मोहम्मद के जन्म के बाद दूसरी प्रकार की संस्कृति का जन्म हुआ, जिसका केंद्र अरब रहा। छोटे-छोटे कबीले में रहने वाले सनातन परंपराओं के लोगों को तलवार के बल परास्त करते हुए जंबूद्वीप को खंडित कर छोटे-छोटे देश बनते चले गए। परिणाम स्वरूप सनातन परंपरा को नष्ट करने का जारी सिलसिला के कारण एक ओर लगभग 50 से 60 ईसाई देश तो वहीं दूसरी ओर 50 के लगभग मुस्लिम देश बन गए। यह सिलसिला भारत में अंग्रेजों के आने के बाद तक जारी रहा। भारत से 1876 में अफगानिस्तान से शुरू होकर 1947 तक नेपाल, भूटान, म्यांमार, तिब्बत, श्रीलंका, पूर्वी पाकिस्तान,पश्चिम पाकिस्तान जैसे देशों का बनना जारी रहा। मुस्लिम एवं ईसाईकरण के प्रभाव क्षेत्र सदैव जंबूद्वीप से कटते रहे। वर्तमान का भारतवर्ष आज भी मतांतरण का दंश झेल रहा है। हमें भारत को अखंड बनाने का संकल्प लेना है।