Hindu Nav Varsh 2024: हिंदू नववर्ष से स्कूली बच्चों को जागरूक करा रही विद्या भारती, कई सालों से किया जा रहा अवगत
मंगलवार को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा ( नवसंवत्सर) है और यह हिंदू नववर्ष है। इस दिन का इंतजार करोड़ों भारतवासियों को रहता है। बता दें कि भारत ही नहीं विदेश में रहने वाले भारतीय भी इसे मनाने लगे हैं। इसलिए चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का महत्व क्या है। वर्तमान समय में आने वाली पीढ़ी को बताने की जरूरत है। इसको लेकर विद्या भारती स्कूल में पढ़ने वाले को जागरूक कर रही है।
संजय कुमार, रांची। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा ( नवसंवत्सर) मंगलवार को है। इस दिन का इंतजार करोड़ों भारतवासियों को रहता है, क्योंकि यह हिंदू नववर्ष है। भारत ही नहीं विदेश में रहने वाले भारतीय भी इसे मनाने लगे हैं।
वैसे भारत की बड़ी आबादी एक जनवरी को नया साल के रूप में मनाती है। दैनिक कामकाज में इसी तिथि का उपयोग होता है। इसलिए चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का महत्व क्या है, यह वर्तमान के साथ-साथ आने वाली पीढ़ी को बताने की जरूरत है।
34 लाख से अधिक पढ़ते हैं बच्चे
यह काम विद्या भारती की ओर से पूरे देश में संचालित 20,000 से अधिक विद्यालयों में वर्षों से जारी है। वहां पढ़ने वाले 34 लाख से अधिक बच्चे, जिसमें लगभग 68000 मुस्लिम और ईसाई मतावलंबी बच्चे भी हैं, को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा नवसंवत्सर के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाती है।यही बच्चे देश का भविष्य हैं। बच्चों को बताया जाता है कि अपना नववर्ष इसी दिन से प्रारंभ होता है। इसका असर भी समाज में दिखने लगा है। विद्या भारती के प्रांत मंत्री अजय तिवारी ने कहा कि विद्यालयों में वर्षों से चलाए जा रहे इस प्रयास से समाज में बहुत बड़ा परिवर्तन देखने को मिल रहा है।
बच्चों में दिख रहा परिवर्तन
जो बच्चे पहले एक जनवरी को ही अपना नववर्ष समझते थे, आज उन बच्चों के साथ-साथ उनके परिवारों में भी परिवर्तन देखने को मिलता है। बच्चे भी अपने परिवार में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा की चर्चा करते हैं। एक- दूसरे को शुभकामना संदेश भेजते हैं। स्कूल की ओर से भी बच्चों के स्वजन को भी हिंदू नववर्ष का संदेश भेजा जाता है।
वहीं, विद्या भारती के संभाग निरीक्षक अखिलेश कुमार कहते हैं, सभी विद्यालयों में वर्ष प्रतिपदा के दिन सुबह में बच्चों द्वारा शोभायात्रा निकालकर आसपास के लोगों को भी इसके बारे में जानकारी दी जाती है। स्कूलों में बच्चों को बताया जाता है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ही विक्रम संवत की शुरुआत हुई तो ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की। भगवान राम और युधिष्ठिर का राज्याभिषेक भी हुआ।
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