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लू से मरे चमगादड़ खा गए ग्रामीण, अब सता रही महामारी की चिंता; एक्शन में स्वास्थ्य विभाग की टीम

झारखंड में गर्मी के चलते कई जिलों में सैंकड़ों चमगादड़ मर गए। हजारीबाग रांची और गढ़वा में सबसे ज्यादा मौत हुई हैं। इन जिलों में तापमान 45 डिग्री पार कर चुका है। गढ़वा में गर्मी की वजह से मरे चमगादड़ों को ग्रामीण खा गए। इसके बाद से महामारी की चिंता सताने लगी है। जानकारी के बाद स्वास्थ्य विभाग की टीम गढ़वा पहुंची है।

By Jagran News Edited By: Shashank Shekhar Updated: Fri, 31 May 2024 09:44 AM (IST)
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लू से मरे चमगादड़ खा गए ग्रामीण, अब सता रही महामारी की चिंता (फाइल फोटो)
जागरण टीम, रांची। झारखंड में बढ़ती गर्मी और लू के बीच अलग-अलग जिलों में सैंकड़ों चमगादड़ झुलसकर मर गए हैं। चमगादड़ मरने की ज्यादा घटनाएं हजारीबाग, रांची और गढ़वा में हुई हैं, जहां तापमान 45 डिग्री के पार है। गढ़वा में तो तापमान 48 डिग्री तक पहुंच चुका है।

गढ़वा के सुंडीपुर गांव में मरे हुए चमगादड़ खा लेने के बाद अब गांव वालों को महामारी की चिंता सताने लगी है। ग्रामीणों की चिंता को देखते हुए गुरुवार को उपायुक्त के निर्देश पर गांव में स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची और चमगादड़ खाने वाले 27 लोगों की जांच की गई है। सभी स्वस्थ बताए जा रहे हैं।

स्वास्थ्य विभाग का क्या है प्लान

स्वास्थ्य विभाग की टीम चमगादड़ खाने वाले लोगों को आइसोलेट करने पर भी विचार कर रहा है। स्वास्थ्य विभाग की टीम में शामिल सदस्यों ने बताया कि गांव में शिविर लगाने के दौरान वहां कई चमगादड़ मृत मिले, जिन्हें दफना दिया गया।

पशुपालन विभाग चमगादड़ों की मौत के कारणों की जांच के लिए नमूना एकत्रित कर जांच कराने की तैयारी में है। हजारीबाग के सरैया चट्टी पाठक टोला में भी बड़ी संख्या में चमगादड़ अधिक गर्मी की वजह से झुलस कर मर गए हैं।

स्थानीय ने इस घटना को लेकर क्या बताया

स्थानीय लोगों के अनुसार, यहां पीपल, बरगद इमली, सेमल, आम के पेड़ों पर वर्षों से चमगादड़ों का बसेरा है। कुछ लोग इनके मांस का सेवन भी करते हैं। कोरोना संक्रमण के बाद से लोग डर गए हैं, जिससे इनके शिकार में कमी आई है। पर्यावरणविद डा. मुरारी सह कहते हैं कि चमगादड़ों के पंख महीन झिल्ली से बने होते हैं। वह अधिक तापमान नहीं सह पाते हैं। गर्मी दूर करने के लिए ये पानी में गोता लगाते हैं, जिससे इनके शरीर का तापमान कम हो जाता है।

जहां आसपास जलस्त्रोत नहीं हैं, ऐसे स्थानों पर चमगादड़ों की मौत हो रही है। रांची के मोरहाबादी मैदान के आसपास स्थित पेड़ों पर भी चमगादड़ों का सालों से बसेरा है। यहां हजारों की संख्या में चमगादड़ यूकिलिप्टस आदि ऊंचे पेड़ों पर आशियना बनाए हुए है।

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