Israel Hamas War : महज डेढ़ मिनट में बचानी पड़ती थी खुद की जान, इजरायल से रांची पहुंची विनीता ने सुनाई दर्द भरी दास्तान
Israel-Hamas War रांची की छात्रा विनीता घोष इजरायल के तेल अबीव विश्वविद्यालय में पीएचडी की पढ़ाई कर रही थी। वॉर शुरू होने के दौरान वह वहीं थी। रांची वापस लौटने के बाद विनीता ने बताया कि इजरायल गवर्नमेंट ने हमारी सुरक्षा की। वहां हमारे मोबाइल में एक एप था। अलार्म बजने पर डेढ़ मिनट के अंदर हमें बंकर में जाना पड़ता था।
By Rajesh PathakEdited By: Aysha SheikhUpdated: Sun, 15 Oct 2023 09:09 AM (IST)
जागरण संवाददाता, रांची। इजरायल के तेल अबीव विश्वविद्यालय में पीएचडी कर रही रांची की छात्रा विनीता घोष शनिवार को इंडिगो के विमान से संध्या 3:50 बजे बिरसा मुंडा एयरपोर्ट पहुंची।
एयरपोर्ट पर राज्यसभा सदस्य डॉ. महुआ माजी, विनीता के माता-पिता समेत स्वजन और तमाम शुभचिंतक पहुंचे थे। विनीता के स्वागत के लिए साथ में कीर्तन मंडली भी पहुंची थी।विनीता जैसे ही निकास द्वार के पास पहुंची तो पिता विश्वजीत घोष अपनी बाहें फैलाए बेटी को गले लगाने के लिए आगे बढ़े और विनीता को सीने से लगा लिया। राज्यसभा सदस्य डॉ. महुआ माजी समेत स्वजन ने फूलमाला पहनाकर विनीता का स्वागत किया।
'इजरायल गवर्नमेंट ने हमारी सुरक्षा की'
विनीता ने बताया कि इजरायल में युद्ध के दौरान मिसाइल से हमले हो रहे हैं। हालात खराब हैं, लेकिन इजरायल गवर्नमेंट ने हमारी सुरक्षा की। वहां अभी भी मुश्किल वक्त है। बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो रही है।जब ऑपरेशन अजय लांच हुआ और मैं पहली फ्लाइट से भारत पहुंची। आप सोच नहीं सकते कि इंडियन एंबेसी कितनी तेजी से काम कर रही थी। फर्स्ट फ्लाइट से ही सभी को भेज दिया गया। इसके लिए भारत सरकार को बहुत-बहुत धन्यवाद।
हमारे मोबाइल में एक एप था : विनीता
इजरायल गवर्नमेंट हमारे साथ थी। इंडियन गवर्नमेंट व भारतीय एंबेसी ने भी साथ दिया। शुक्रवार को भी वहां मिसाइल से हमले हो रहे थे। हमारे हॉस्टल के हर फ्लोर पर बंकर थे। खाने-पीने की कोई समस्या नहीं थी। वहां हमारे मोबाइल में एक एप था।समय-समय पर अलर्ट रहने के लिए एप का अलार्म बजता था। डेढ़ मिनट के अंदर हमें बंकर में जाना पड़ता था। सेफ्टी के प्रति इजराइल गवर्नमेंट ने पूरी व्यवस्था की थी। फिर भी हालात इतने खराब थे, जिसे मैं शब्दों में बयां नहीं कर पा रही हूं।
मैं इजरायल गवर्नमेंट से मिली स्कॉलरशिप के तहत चार साल की पीएचडी कर रही हूं। अभी डेढ़ साल ही हुए हैं। जब वहां सबकुछ ठीक हो जाएगा तो मैं वापस जाऊंगी। साइंस की पढ़ाई के लिए इजरायल बहुत ही अच्छा है। वहां से वापस आने के बाद मैं अपनी मम्मी-पापा को साक्षात देख रही हूं। इससे अधिक खुशी मेरे लिए और क्या होगी।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।