वेब सीरीज की तर्ज पर घर बैठे देखें नाटक, झारखंड फिल्म एंड थियेटर एकेडमी करेगी सीधा प्रसारण
Jharkhand News Hindi Samachar कोरोना काल में रंगमंच के माध्यम से दर्शकों का मनोरंजन करने के लिए पूर्ण कालिक नाटक मैं राम बनना चाहता हूं को तीन एपिसोड में प्रत्येक शनिवार को लाइव स्ट्रीम किया जाएगा। यूट्यूब चैनल पर यह शाम 6 बजे प्रसारित किया जाएगा।
By Sujeet Kumar SumanEdited By: Updated: Thu, 06 May 2021 05:19 PM (IST)
रांची, जासं। Jharkhand News, Hindi Samachar कोरोनाकाल में घर बैठे दर्शकों के लिए मनोरंजन के साधनों में ओटीटी (वेब सीरीज) का बोलबाला है। ऐसे में रंगमंच पूरी तरह से ठप पड़ा है। ऐसे माहौल में झारखंड फिल्म एंड थियेटर एकेडमी का रंगमंच के लिए प्रयास सतत जारी है। यूटयूब चैनल इंडियन थियेटर-स्ट्रीमिंग लाइव के माध्यम से प्रत्येक शनिवार शाम 6 बजे एक नाटक का सीधा प्रसारण किया जाता है। इसका घर बैठे ही दर्शक लुत्फ उठाते हैं। इसी क्रम में वेब सीरीज की ही तर्ज पर पूर्ण कालिक नाटक ''मैं राम बनना चाहता हूं'' को तीन एपिसोड में प्रत्येक शनिवार को लाइव स्ट्रीम किया जाएगा।
इसमें पहले एपिसोड का सीधा प्रसारण आठ मई को किया जाएगा। इसी कड़ी में ''नाटक मैं राम बनना चाहता हूं'' का मंचन किया गया। इसका लेखन और निर्देशन राजीव सिन्हा ने किया है। 16 किरदारों वाले इस नाटक में रामलीला के माध्यम से रामायण के किरदारों की तुलना कलयुग के लोगों से की गई है। नाटक में अभिनय कर रहे कलाकारों में ललित साव, दीप्ति अग्रवाल, आयुष शर्मा, आतिफ हुसैन, अभिषेक साहू, अहमद सालेह फारूकी, आकाश प्रामाणिक, मन्नु कुमार, सुरोत्मा, अनमोल, साहिल शर्मा और मनवीर सिंह शामिल हैं।
यह है कहानी
रामपुर का एक युवक मुरली जो पिछले चार सालों से रामलीला में दरबारी का रोल निभा रहा है। लेकिन उसका लक्ष्य है राम बनना। इस प्रयास में जब उसे दूसरे मंडली में मौका मिलता है, तो उसे पहले माता सीता के किरदार में खुद को सिद्ध करना पड़ता है। नाटक के अंत में सभी अग्निपरीक्षा से गुजर कर जब मुरली को राम बनने का मौका मिल जाता है तो एमएलए का बेटा गोलू जो रावण के किरदार में होता है, और पूर्व एमएलए का बेटा परपेंडी कूलर पांडेय के बीच की निजी दुश्मनी खड़ी हो जाती है और मुरली दरकिनार हो जाता है। ऐसे में मुरली पूरे समाज पर बरसता है।
"मुरली: बंद करो। बंद करो ये झूठा द्वन्द ....अरे हमने क्या गलती कर दी....जो हमने अपना सपना पूरा करना चाहा...क्या गलती हो गई हमसे जो हम राम बनना चाहते थे.....क्या इतना मुश्किल है आज की तारीख में भगवान् राम का रूप धरना....क्यों आज के रावण के आगे राम की एक नहीं चलती....क्यों आज का लक्ष्मण भ्रातृ प्रेम को भूल कर इतना स्वार्थी हो गया है....क्यों आज की सीता पैसों के पीछे भाग रही है....क्यों आज का हनुमान स्वामी भक्ति को छोड़ कर इतना दल बदलू हो गया है....क्यों आज का विभीषण स्वभाव से मौका परस्त हो गया है.......क्यों राजनीतिक द्वंद में फंसे हैं आज राम....क्या कभी किसी ने भगवान राम के आदर्शों को समझने की कोशिश की....
जिसको देखो राम के नाम पर ही अपनी रोटियां सेंक रहा है....और हम...हम जैसे नौजवान...समझ ही नहीं पा रहे कि आखिर ये हो क्या रहा है...सपने क्या देखते हैं...हो क्या जाता है...बनना क्या चाहते हैं बन क्या जाते हैं....हमसे कहाँ कोई पूछता है...कि हम क्या बनना चाहते हैं....चाहे हम जो कुछ भी बनना चाहते हों पर आज तो ये तय हो गया कि कितना मुश्किल है आज राम बनना, भगवान राम का रूप धरना .....देख रही हो न शालू तुम की आज का राम कितना बेबस और लाचार है...माफ कर दो शालू, हमें माफ कर दीजिये बाबू जी हम गलत थे ...आप सही थे.....अब नहीं बनना हमको राम....नहीं देखना हमें इतना बेबस और लाचार सपना... क्योंकि केवल धार्मिक नाम रख लेने से कुछ नहीं होता....उनके आदर्शों पर भी चलना पड़ता है......"
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