क्यों लगती हैं फुटपाथ पर दुकानें? जाम की समस्या पर हाईकोर्ट सख्त; चंपई सरकार से पूछा सवाल
Jharkhand High Court झारखंड हाई कोर्ट में फुटपाथ दुकानदारों के पुनर्वास को लेकर दाखिल याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई। इस दौरान अदालत की ओर से सरकार से यह पूछा गया कि दुकानदारों के लिए वेंडर मार्केट जब बना है। इसके बाद भी फुटपाथ पर दुकान क्यों लगती है। इस पर रोक लगाने को लेकर क्या उपाय किया जा रहा है।
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आर मुखोपाध्याय व जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ में फुटपाथ दुकानदारों के पुनर्वास को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि जब दुकानदारों के लिए शहर में वेंडर मार्केट बनाया गया है तो सड़क की फुटपाथ पर दुकान क्यों लगती है। इसपर रोक लगाने को लेकर क्या किया जा रहा है।
जस्टिस आर मुखोपाध्याय ने मौखिक रूप से कहा कि वह लालपुर क्षेत्र में कभी भी निरीक्षण कर सकते हैं। फुटपाथ को बसाने की योजना के बारे में अदालत ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है। मामले में अगली सुनवाई 15 अप्रैल को होगी।
फुटपाथ पर दुकानें लगने के चलते जाम की समस्या होती है- अदालत
सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि लालपुर क्षेत्र में फुटपाथ पर दुकानें लगती है, जिसकी वजह से आवागमन में परेशानी होती है। इस क्षेत्र में जाम की समस्या चुनौती बन गई है। सबसे पहले इस क्षेत्र को जाम मुक्त करने के लिए ट्रैफिक पुलिस और जिला प्रशासन के सहयोग से काम किया जाना चाहिए।इसके अलावा जब इस क्षेत्र की फुटपाथ से दुकानदारों को हटाया जाए तो फिर से उन्हें वहां आने नहीं दिया जाए, ताकि जाम की समस्या से परेशानी नहीं हो। इस दौरान नगर निगम की ओर से बताया गया कि राजधानी रांची में मधुकम, अटल वेंडर मार्केट और कोकर डिस्लरी पुल के पास वेंडर मार्केट बनाया गया है।
पूर्व में हुए सर्वे के अनुसार कोकर वेंडर मार्केट में फुटपाथ दुकानदारों को जगह दी जाएगी। फिलहाल इसको लेकर प्रक्रिया की जा रही है। बता दें कि झारखंड हाकर फेडरेशन की ओर से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई है।
पूर्व में फुटपाथ दुकानदारों का सर्वे किया गया था- नगर निगम
याचिका में कहा गया है कि नगर निगम की ओर से पूर्व में फुटपाथ दुकानदारों का सर्वे किया गया था। उस दौरान राजधानी में पांच हजार से ज्यादा फुटपाथ दुकानदारों को चिह्नित किया गया था। फेडरेशन ने याचिका में कहा है कि फुटपाथ दुकानदारों को तभी हटाया जाए, जब उन्हें किसी दूसरी जगह या वेंडर मार्केट में बसा दिया जाए।
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