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झारखंड में क्यों घटता चला गया RJD का जनाधार? इस कद्दावर नेता की 'पलटी' ने बिगाड़ा लालू का 'खेल'

झारखंड की कद्दावर नेता अन्नपूर्णा देवी के बीजेपी में जाने के बाद राजद आजतक संभल नहीं पाया। 2009 के विधानसभा चुनाव के बाद से ही राजद का राज्य में जनाधार घटता चला गया। 2009 में पांच सीटें जीतने वाले राष्ट्रीय जनता दल का 2014 में तो सूपड़ा साफ हो गया था। वहीं 2019 में एक सीट पर ही जीत मिली।

By Dilip Kumar Edited By: Rajat Mourya Updated: Wed, 04 Sep 2024 06:35 PM (IST)
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राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, रांची। पड़ोसी बिहार के मुकाबले लालू यादव की राजद झारखंड में कुछ नहीं कर पा रही है। कोडरमा से 2005 व 2009 में पार्टी की विधायक रहीं अन्नपूर्णा देवी का दल छोड़ना राजद को महंगा पड़ गया। अन्नपूर्णा देवी ने भाजपा का रुख किया और अभी वह केंद्रीय राज्यमंत्री हैं। उनके जाने के बाद राजद संभल नहीं पाया।

पार्टी कद्दावर नेताओं की कमी झेल रही है। यही वजह है कि पिछले एक साल में प्रदेश नेतृत्व राज्य में एक भी बड़ा आयोजन नहीं करा सका। प्रदेश नेतृत्व को लेकर पार्टी में अंदरखाने असंतोष भी है।

झारखंड में लगातार घटता गया राजद का जनाधार

उल्लेखनीय है कि झारखंड बनने के बाद राज्य में राजद का जनाधार था। 2009 के विधानसभा चुनाव में राजद ने पांच सीटें जीती थी। 2014 के विधानसभा चुनाव में पार्टी शून्य पर आ गई। 2019 के विधानसभा चुनाव में राजद ने गठबंधन के तहत सात सीटों पर चुनाव लड़ा।

इनमें गोड्डा, कोडरमा, देवघर, छतरपुर, हुसैनाबाद, चतरा व विश्रामपुर सीट शामिल थी। इनमें सिर्फ चतरा सीट पर राजद प्रत्याशी सत्यानंद भोक्ता को जीत मिली। इस बार राजद की दावेदारी 20 सीटों की है। देवघर, हुसैनाबाद, चतरा, विश्रामपुर, गोड्डा और कोडरमा के अलावा अन्य सीटें इस सूची में शुमार हैं।

पार्टी का दावा, विधानसभा चुनाव में दिखाएंगे दम

राजद के प्रदेश अध्यक्ष संजय सिंह यादव ने कहा कि विधानसभा चुनाव को लेकर राजद तैयार है। बूथ स्तर तक उनकी तैयारी चल रही है। बड़ा आयोजन नहीं कराए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि किसी भी पार्टी ने बड़ा आयोजन नहीं किया है। राजद महागठबंधन में सरकार के साथ है। पूरे प्रदेश में कार्यक्रम चल रहा है।

प्रमुख महासचिव संजय यादव ने कहा कि भाजपा के पास पर्याप्त संसाधन है। राजद सीमित संसाधन में बूथ स्तर तक बेहतर अभियान चला रहा है। राजद के कार्यकर्ता बिना किसी स्वार्थ के कदम से कदम मिलाकर चलते हैं। इस बार को जितनी सीटें मिलेगी, सभी में जीत हासिल करेंगे।

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