पति से बिना कारण अलग रहने वाली पत्नी नहीं कर पाएगी भरण-पोषण का दावा, जानें क्या है झारखंड हाईकोर्ट का फैसला
झारखंड हाईकोर्ट ने पति से बिना कारण अलग रहने वाली पत्नी के भरण-पोषण का दावे पर बड़ा फैसला सुनाया है। एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि पत्नी बिना किसी वाजिब कारण के पति से अलग रह रही है। ऐसे में उसे भरण- पोषण के लिए राशि नहीं मिल सकती और वह इसकी हकदार नहीं है। अदालत ने निचली अदालत के आदेश को भी रद्द कर दिया।
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि बिना किसी वाजिब कारण के पति से अलग रहने वाली पत्नी पति से भरण- पोषण की हकदार नहीं है।
जस्टिस सुभाष चंद की अदालत ने यह फैसला देते हुए कहा कि इस मामले में कोर्ट के समक्ष जो भी साक्ष्य पेश किए गए हैं, उसमें ऐसा कुछ नहीं है जिससे पता चले कि पत्नी को पति से अलग होने का ठोस कोई कारण है। ऐसे में पत्नी को भरण पोषण के लिए भत्ता पाने का अधिकार नहीं है।
फैमिली कोर्ट के आदेश को किया रद्द
इस निर्देश के साथ ही अदालत ने फैमिली कोर्ट के उस आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसमें पति को हर माह 15 हजार रुपये भरण-पोषण के लिए पत्नी को देने का निर्देश दिया गया था।पति ने फैमिली कोर्ट के आदेश को HC में दी थी चुनौती
इस संबंध में पति अमित कच्छप ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर रांची फैमिली कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। फैमिली कोर्ट ने पति को 30 अक्तूबर 2017 से पत्नी को हर माह 15 हजार रुपये भरण पोषण के लिए देने का निर्देश दिया था।
पति ने कोर्ट के सामने क्या दलील दी
पति की ओर से अदालत को बताया गया कि शादी के कुछ दिनों बाद से ही पत्नी ने पति का घर छोड़ दिया था। वह हर बार किसी न किसी रूप में बहाना बनाने लगी।पति की ओर से बताया गया कि उसके खिलाफ पत्नी ने जो भी आरोप लगाए हैं, वह उचित नहीं है। उसने अपनी मर्जी से घर छोड़ा है।इसके बाद पत्नी ने रांची के फैमिली कोर्ट में भरण-पोषण के लिए आवेदन दिया। इस पर सुनवाई के बाद फैमिली कोर्ट ने पति को हर माह 15 हजार रुपये भरण पोषण के लिए देने का निर्देश दिया।
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