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Lok Sabha Elections: झामुमो के दबाव में झुकेगी कांग्रेस? गठबंधन में खींचतान जारी, समझें क्या है सियासी समीकरण

Lok Sabha Election 2024 लोकसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है लेकिन आइएनडीआइए में अभी तक सीटों के बंटवारे पर पूरी तरह सहमति नहीं बन सकी है। झारखंड में गठबंधन के घटक दलों के भीतर सीटों को लेकर खींचतान चल रही है। सत्तारूढ़ क्षेत्रीय दल झारखंड मुक्ति मोर्चा गठबंधन में बड़े भाई की भूमिका में रहने की बात कह चुका है।

By Pradeep singh Edited By: Shashank Shekhar Updated: Sun, 17 Mar 2024 07:38 PM (IST)
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Lok Sabha Elections: झामुमो के दबाव में झुकेगी कांग्रेस? गठबंधन में खींचतान जारी (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, रांची। लोकसभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है, लेकिन आइएनडीआइए में अभी तक सीटों के बंटवारे पर पूरी तरह सहमति नहीं बन सकी है। झारखंड में गठबंधन के घटक दलों के भीतर सीटों को लेकर खींचतान चल रही है।

सत्तारूढ़ क्षेत्रीय दल झारखंड मुक्ति मोर्चा गठबंधन में बड़े भाई की भूमिका में रहने की बात कह चुका है। वर्ष 2019 के चुनाव में राज्य की 14 सीटों के बंटवारे में कांग्रेस के हिस्से में नौ और झामुमो के खाते में पांच सीटें आई थीं। कांग्रेस ने अपने कोटे की दो सीटें उस वक्त झारखंड विकास मोर्चा के लिए छोड़ी थी।

कांग्रेस की सीटिंग सीट पर झामुमो का दावा

इस बार झामुमो ज्यादा सीटों की मांग कर रहा है। दावेदारी सात सीटों की है। कांग्रेस की सीटिंग सीट सिंहभूम पर झामुमो का पुख्ता दावा है। कांग्रेस ने जमीनी स्थिति को भांपते हुए झामुमो की दावेदारी को स्वीकार भी कर लिया है। सिंहभूम से झामुमो प्रत्याशी देगा।

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस की निवर्तमान सांसद गीता कोड़ा ने पाला बदलकर भाजपा का दामन थाम लिया है। भाजपा ने उन्हें प्रत्याशी भी घोषित कर दिया है। कोड़ा के पाला बदलने की बड़ी वजह यह भी है कि कांग्रेस को तालमेल के तहत यह सीट मिलने के कम आसार थे।

फिलहाल, ज्यादा सीटों के लिए कांग्रेस पर उसका दबाव असर दिखाता भी नजर आ रहा है। हालांकि, झामुमो के लिए इन सीटों पर परिणाम देना बड़ी चुनौती है। ऐसा नहीं हुआ तो गठबंधन में बड़े भाई की उसकी भूमिका को झटका लगेगा। इससे इस वर्ष के अंत में राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में सीटों के तालमेल संबंधी गणित पर भी असर पड़ सकता है।

सीटें बढ़ाने का रहेगा दबाव

2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने सिंहभूम और झामुमो ने राजमहल सीट पर जीत हासिल की थी। ऐसे में सीटों की संख्या बढ़ाने का दबाव गठबंधन पर होगा। गठबंधन के रणनीतिकारों का दावा है कि प्रत्याशियों की घोषणा में इसी वजह से देरी हो रही है।

उल्लेखनीय है कि भाजपा ने 11 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। गठबंधन मजबूत प्रत्याशियों का चयन कर मतदान में उतारना चाहता है ताकि परिणाम में उलटफेर कर भाजपा को झटका दिया जा सके।

हेमंत सोरेन के बगैर चुनाव प्रचार

झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन अभी जेल में हैं। वे चुनाव प्रचार से दूर रहेंगे। उनकी पत्नी कल्पना सोरेन के जिम्मे उनके स्थान पर प्रचार का दारोमदार होगा।

कल्पना सोरेन लगातार सार्वजनिक सभाओं में भाग ले रही हैं। इसके अलावा मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को भी जोर लगाना पड़ेगा। चुनाव की आधिकारिक घोषणा के साथ ही उनके कार्यक्रम तय किए जा रहे हैं।

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