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Hemant Soren: क्या इस बार हेमंत सोरेन से छिन जाएगा मतदान का अधिकार? पढ़ लीजिए क्या कहता है कानून

Jharkhand News झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहित राज्य की जेलों में बंद 18 हजार से अधिक कैदी और विचाराधीन बंदी वोट नहीं दे सकेंगे। जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 62 (5) के अनुसार जेल में प्रिवेंटिव डिटेंशन (निवारक निरोध अधिनियम में गिरफ्तारी ) के तहत कारावास में रह रहे लोगों के अलावा किसी भी कैदी या विचाराधीन बंदी को मतदान का अधिकार नहीं है।

By Dilip Kumar Edited By: Sanjeev Kumar Updated: Sat, 27 Apr 2024 10:22 AM (IST)
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हेमंत सोरेन से छिन जाएगा वोटिंग का अधिकार (जागरण)
 दिलीप कुमार, रांची। Jharkhand News Today Hindi:  अगर जमानत नहीं मिली तो  लोकसभा चुनाव में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) सहित राज्य की जेलों में बंद 18 हजार से अधिक कैदी और विचाराधीन बंदी वोट नहीं दे सकेंगे। जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 62 (5) के अनुसार जेल में प्रिवेंटिव डिटेंशन (निवारक निरोध अधिनियम में गिरफ्तारी ) के तहत कारावास में रह रहे लोगों के अलावा किसी भी कैदी या विचाराधीन बंदी को मतदान का अधिकार नहीं है।

जेल में बंद रहने वाले कैदी नहीं डाल सकेंगे वोट

निरोधात्मक कार्रवाई के तहत गिरफ्तार किए गए लोग जेल प्रशासन के माध्यम से आवेदन देकर मतदान की सुविधा हासिल कर सकते हैं। यानि, जेल में रहने वाले बंदी जेल से चुनाव तो लड़ सकते हैं, लेकिन वोट नहीं डाल सकते। झारखंड की जेलों में निलंबित आइएएस अधिकारी पूजा सिंघल और छवि रंजन व पूर्व मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम सहित कई चर्चित चेहरे बंद हैं।

इन सभी पर मतदान से संबंधित यह नियम लागू होगा। हालांकि, मतदान की तिथि के पूर्व अगर हेमंत सोरेन या किसी भी कैदी को जमानत मिल जाती है तो वह अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकेंगे।  

संसद व विधानसभा में कोर्ट की अनुमति के बाद जेल में बंद

एमपी-एमएलए देते हैं वोट राज्य की जेलों में बंद एमपी-एमएलए को आम चुनावों में वोट का अधिकार नहीं है, लेकिन विधानसभा व संसद के भीतर सरकार के पक्ष-विपक्ष, राज्यसभा चुनाव में वे कोर्ट की अनुमति के बाद अपना वोट दे सकते हैं। इसी अधिकार के तहत चम्पाई सरकार के शक्ति परीक्षण में हेमंत सोरेन को विधानसभा जाकर वोट देने का अधिकार मिला था। 

प्रिवेंटिव डिटेंशन के तहत जेल में रह रहे बंदियों को आवेदन करने पर मतदान (पोस्टल वोट) की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। ऐसे लोगों को वोट दिलवाने की व्यवस्था चुनाव आयोग करेगा। इनके अलावा किसी भी कैदी या विचाराधीन बंदी को मतदान का अधिकार प्राप्त नहीं है। के रवि कुमार, मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी 

सजावार या कोर्ट में विचाराधीन बंदी को वोट देने का अधिकार नहीं हैं। केवल सुरक्षा के ख्याल से हिरासत में लिए गए (प्रिवेंटिव डिटेंशन) बंदी, जिन्हें जिला प्रशासन अपने अधीन रखता है, वे ही आवेदन देकर अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकते हैं। दीपक विद्यार्थी सेवानिवृत्त सहायक कारा महानिरीक्षक झारखंड।

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