झारखंड के खूंटी उपकारा में बंद एक महिला कैदी का पत्र वायरल होने के बाद पूरा जेल प्रबंधन ही कटघरे में खड़ा हो गया है। 11 मई को राष्ट्रीय महिला आयोग को प्रेषित पत्र की सत्यता स्पष्ट नहीं है और दैनिक जागरण पत्र की सत्यता की पुष्टि नहीं करता है। उक्त वायरल पत्र की प्रतिलिपि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग आइजी जेल उपायुक्त खूंटी व गृह विभाग को भेजी गई है।
राज्य ब्यूरो, रांची। एक महिला बंदी के वायरल पत्र से उपकारा खूंटी का पूरा प्रबंधन ही कटघरे में खड़ा हो गया है। 11 मई की तिथि में राष्ट्रीय महिला आयोग को प्रेषित पत्र की सत्यता स्पष्ट नहीं है और दैनिक जागरण पत्र की सत्यता की पुष्टि नहीं करता है।
उक्त वायरल पत्र की प्रतिलिपि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, आइजी जेल, उपायुक्त खूंटी व गृह विभाग को भेजी गई है।वायरल पत्र के अनुसार खूंटी जेल में बंद महिला बंदी पंजाब के लुधियाना की रहने वाली है, उसका पुश्तैनी घर खूंटी जिला में है।
उसने आरोप लगाया है कि वह जब जेल में आई तो उसे जेल से छोड़ने का प्रलोभन देकर क्लर्क सह प्रभारी कारापाल और जेल जमादार ने जबरन उससे जेल कार्यालय में शारीरिक संबंध बनाया। उससे एक महीने तक संबंध बनाया गया, जिससे वह गर्भवती हो गई।इसकी जानकारी जब दोनों को मिली तो उनलोगों ने उसे मुंह बंद रखने की धमकी दी और कहा कि किसी को बताई तो वे जेल में सड़ा देंगे। इसके बाद आनन-फानन में उनलोगों ने कारा अस्पताल कर्मचारियों की मिलीभगत से उसका गर्भपात करवा दिया।
गर्भपात भी तीन महीने पहले के बैक डेट में दिखाया गया है। पीड़िता ने राष्ट्रीय महिला आयोग से आग्रह किया है कि उसकी मेडिकल रिपोर्ट की उच्च स्तरीय जांच कराकर दोषियों पर उचित कार्रवाई की जाय।
पीड़िता ने बंदी पत्र नहीं मिलने का लगाया आरोप
पीड़िता ने अपने आवेदन में लिखा है कि खूंटी जेल में बंदियों को बंदी आवेदन पत्र नहीं दिया जाता है। उसने यह पत्र एक अन्य महिला बंदी के माध्यम से जेल से छुपाकर बाहर भेजा है। वह महिला बंदी जेल से छूटकर बाहर आई है, जिसके माध्यम से यह पत्र वायरल किया गया है।
उसने आरोप लगाया है कि जेल क्लर्क सह प्रभारी कारापाल लगातार छह वर्षों से व जेल जमादार आठ वर्षों से वहां कार्यरत हैं। उसने राष्ट्रीय महिला आयोग से दोनों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई का आग्रह किया है, ताकि महिला बंदियों से हो रहे शोषण को बंद किया जा सके।
महिला बंदियों को दिखाया जाता है गलत वीडियो
पीड़िता ने वायरल पत्र में लिखा है कि दोनों ही आरोपित पदाधिकारी महिला बंदियों को गलत वीडियो दिखाते हैं। वे किसी भी महिला बंदी को गलत तरीके से छूते हैं, पकड़ते हैं। उनकी हरकतों से महिला बंदी परेशान हो गई हैं।
एक आरोपित के मोबाइल में वॉट्सऐप पर करीब दस महिलाओं से किए गए चैट को देखा जा सकता है। वे वर्दी का धौंस दिखाकर महिलाओं से लगातार संबंध बना रहे हैं।
पत्र पर है कथित महिला का हस्ताक्षर, जेल की मुहर भी नहीं
वायरल पत्र एक साधारण पत्र की तरह है। उसपर पीड़िता का कथित हस्ताक्षर है। पत्र पर जेल की मुहर ही नहीं है। किसी भी बंदी का पत्र जेल से बाहर जाता है तो वह जेल प्रशासन की मुहर से जाता है।
यहां आरोप जेल प्रशासन पर ही है और पीड़िता ने स्पष्ट किया है कि उसे बंदी पत्र नहीं दिया जाता था, जिसके चलते उसने अपनी एक अन्य महिला बंदी जो जेल से छूट रही थी, उसके माध्यम से जेल से बाहर भेजा है।
पत्र की नहीं है जानकारी : आइजी जेल
आइजी जेल सुदर्शन प्रसाद मंडल ने कहा कि उन्हें वायरल किसी भी पत्र के बारे में कोई जानकारी नहीं है। अगर उन तक शिकायत आएगी तो वे निश्चित ही उसकी जांच कराएंगे। फिलहाल ऐसी कोई सूचना उन्हें नहीं है।
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