World Photography Day 2022: जानिए, झारखंड के कुलदीप सिंह की कहानी, कैसे बने 1962 में फोटोग्राफर
World Photography Day 2022 आज विश्व फोटोग्राफी दिवस है। इस मौके पर झारखंड के फोटोग्राफर कुलदीप सिंह के बारे में जानिए जिन्होंने अपने कैरियर के दौरान कई नई बुलंदियां हासिल की। कुलदीप सिंह 1962 में कैसे फोटोग्राफर बने और इनके जीवन से जुड़ी कई अहम बातें।
By Sanjay KumarEdited By: Updated: Fri, 19 Aug 2022 11:58 AM (IST)
रांची, जागरण संवाददाता। World Photography Day 2022 कुलदीप सिंह दीपक को बचपन से ही फोटोग्राफी का शौक था। उन्होंने अपने इस इच्छा के विषय में अपने पिता को बताया, तो पिता ने अपने मित्र के सौजन्य से कुलदीप सिंह के बॉक्स कैमरा दिलवाया। कैमरा प्राप्त करने के बाद कुलदीप सिंह दीपक के मन की मुराद तो पूरी तो हो गई थे, पर चुनौती कैमरा का फिल्म हासिल करना था। 1962 मे कैमरा के एक फिल्म का मूल्य 2 रुपए चार आना हुआ करता था। उस जमाने में सिर्फ शौक पूरा करने के लिए 2 रुपए चार आना लगाना बहुत कठिन था। ऐसे में कुलदीप सिंह ने अपने दोस्तों को फिल्म खरीदने के लिए सहयोग करने को कहा। कुलदीप संदीप दीपक के दोस्तों ने सहयोग कर के कुलदीप सिंह दीपक को बॉक्स कैमरे का फिल्म दिलवाया।
1962 में कुलदीप सिंह दीपक बालकृष्ण उच्च विद्यालय में 8वी कक्षा में पढ़ाई करते थे। कैमरा का फिल्म प्राप्त करने के बाद कुलदीप सिंह ने सर्वप्रथम अपने विद्यालय के हेड मास्टर राजेश्वरी प्रसाद को फोटो खिंचवाने के लिए मनाया। हेड मास्टर की मंजूरी से कुलदीप सिंह ने हेड मास्टर राजेश्वरी प्रसाद और अन्य की तस्वीर ली।उस जमाने में कुलदीप सिंह ने अपने साथियों के साथ सेल्फी भी लिया। 1962 में खींची गई कुलदीप सिंह की पहली तस्वीर ब्लैक एंड वाइट जिस को डिवेलप करने के बाद कुलदीप सिंह ने ब्लैक एंड वाइट तस्वीर में पेंट करके उस तस्वीर को कलरफुल तस्वीर बनाया। इसी दौरान कुलदीप सिंह ने शिक्षक महिंद्रा कुमार देवघरिया की भी तस्वीर ली थी।
उनके स्टूडियो में एक ग्राहक जब भावुक होकर रोने लगेहाल ही में अपर बाजार स्थित दीपक स्टूडियो में एक ग्राहक अपने मृत पिता की पुरानी तस्वीर लेकर आए थे। ग्राहक दीपक स्टूडियो में पुराने तस्वीर को डिवेलप करने का मांग कर रहे थे। ग्राहक के पास अपने पिता की कोई और तस्वीर मौजूद नहीं थी।
ग्राहक से पिता का नाम पूछने पर ग्राहक ने बताया कि उनके पिता का नाम मनिंदर कुमार देवघरिया है, यह नाम सुन कर कुलदीप सिंह को 1962 में बालकृष्ण उच्च विद्यालय में अपने खींचे गए पहले तस्वीरों के एल्बम की याद आ गई। अपना कलेक्शन चेक करने पर कुलदीप सिंह को मनिंद्र कुमार देवघरिया एक ग्रुप फोटो में नजर आए।
कुलदीप सिंह ने इस ग्रुप फोटो से ग्राहक को अपने मृत पिता की अच्छी तस्वीर उपलब्ध करवाई। तस्वीर प्राप्त करने के बाद ग्राहक भावुक हो कर रोने लगे। कुलदीप सिंह से बात करने पर पता चला कि अपने कैरियर की कुछ बातें उन्हें गर्व महसूस करवाती है, यह घटना उन बातों में से एक है।उस जमाने में फोटोग्राफर का था अलग रुतबा 1969 में कुलदीप सिंह, दीपक बलबीर दत्त के साथ रांची एक्सप्रेस में पत्रकारिता करने लगे। कुलदीप सिंह ने बताया कि उस जमाने में फोटोग्राफर का अलग रुतबा हुआ करता था। फोटोग्राफर को फोटोशूट करवाने के लिए रातू महाराजा रांची के रॉय स्टूडियोज के फोटोग्राफर को रिसीव करने के लिया घोड़ा गाड़ी भेजा करते थे। फोटोग्राफर घोड़ा गाड़ी में बैठकर अपने घर से रातों की लाश जाया करते थे और आंतों किला में उनका स्वागत करके खानपान करवाया जाता था, जिसके बाद फोटोशूट होता था। फोटो शूट के बाद फोटोग्राफर को उपहार देकर सम्मानित किया जाता था और उनको घोड़ा गाड़ी से उनके घर तक छोड़ा जाता था।
1969 में जब कुलदीप सिंह दीपक रांची एक्सप्रेस से जुड़े थे तब फोटो को अखबार में छपने में कम से कम 4 दिन लगता था। इन 4 दिनों में तस्वीर को कोलकाता भेजकर तस्वीर का ब्लॉक बनवाया जाता था। उस ब्लॉक को रांची लाकर अखबार में फोटो छापने में इस्तेमाल किया जाता था। इस पूरी प्रक्रिया को 4 से 5 दिन लगते थे।जब इमरजेंसी में कुलदीप सिंह के स्टूडियो को जला दिया गयाकुलदीप सिंह ने अपना घर का पूंजी लगाकर अपर बाजार में स्टूडियो बनवाया था। इमरजेंसी में इस स्टूडियो को जला दिया गया था। जिससे उनकी सारी पूंजी खत्म हो गई थी। पर इसके बाद भी उनका जुनून कम नहीं हुआ था। इस घटना के बाद कुलदीप सिंह ने स्टूडियो को फिर से रिपेयर करवाया और अपने कार्य की दोबारा शुरुआत की। उस वक्त कुलदीप सिंह एक पासपोर्ट फोटो का 2 रुपया चार आना और पोस्टकार्ड साइज फोटो का 5 रुपया लेते थे। पर तब त्यौहार में कुलदीप सिंह के स्टूडियो के बाहर लंबी कतार लगी रहती थी।
नई- नई बुलंदियां की है हासिल कुलदीप सिंह ने अपने कैरियर के दौरान नई बुलंदियां हासिल की है। जैसे कि कुलदीप सिंह ने रांची के रामनवमी जुलूस की पहली तस्वीर ली है। आज से 5 दशक पहले कुलदीप सिंह ने1. रामनवमी जुलूस की तस्वीर द्रोणा एंगल से ली है।2. लाल बहादुर शास्त्री की अर्धांगिनी श्रीमती ललिता शास्त्री की तस्वीर ली है।3. संत जेवियर कॉलेज में मदर टेरेसा की तस्वीर तस्वीर ली है।
4. जयप्रकाश नारायण की तस्वीर ली है।5. इंदिरा गांधी की तस्वीर ली है।6. राजीव गांधी की तस्वीर ली है।7. रातू महाराजा और पी पी साहब (जिनके नाम पर पीपी कंपाउंड है) की तस्वीर ली है।जब कुलदीप सिंह के बेटे के साथ लालू यादव के सेक्रेटरी ने किया था दूरव्यवहारकुलदीप सिंह का कहना है कि एक जमाने में पत्रकार और फोटोग्राफर का रुतबा अलग होता था। पत्रकार और फोटोग्राफर को लोग समाज का आईना समझा करते थे। पर 1995 में एक दफा तत्कालिन बिहार के मुख्यमंत्री लालू यादव के सेक्रेटरी ने उनके बेटे राजेंद्र सिंह के साथ दूरव्यवहार कर के कहा था कि ऐसे ऐसे फोटोग्राफर हमारे निवास पर कतार लगाकर खड़े रहते हैं। तो उनके बेटे को यह बात बहुत बुरी लगी थी। इस बात से कुलदीप सिंह भी आहत हुए थे।
अपनी प्रतिष्ठा को बचाने के लिए उसी वक्त से कुलदीप सिंह और उनके बेटे ने फोटोग्राफी करना छोड़ दिया था। पर फोटो के महत्व को समझते हुए कुलदीप सिंह ने मेट्रो गली में भी अपने बेटे को एक स्टूडियो बनवा कर दिया। पिछले छह दशकों से कुलदीप सिंह फोटोग्राफी से जुड़े हुए हैं।विश्व फोटोग्राफी दिवस पर कुलदीप सिंह ने नई पीढ़ी के फोटोग्राफर को दिया ये संदेश कुलदीप सिंह ने विश्व फोटोग्राफी दिवस के अवसर पर नई पीढ़ी के फोटोग्राफर को संदेश देते हुए कहा कि नई पीढ़ी के उभरते फोटोग्राफर्स को फोटो के कंपोजीशन पर ध्यान देना चाहिए। पत्रकारिता में नई पीढ़ी के फोटोग्राफर ज्यादा से ज्यादा कैंडिड फोटो लेने का प्रयास करें तो सच्ची पत्रकारिता का महत्व बनेगा।
साथ ही साथ फोटो लेने के वक्त चेहरे के भाव पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है। फोटो में सब्जेक्ट के चेहरे का भाव भी फोटो का मूड बनाता है। चेहरे के भाव को देखकर ही दर्शक के दिमाग में सब्जेक्ट का इमेज बनता है। इस गुण को अपनाने से नई पीढ़ी के फोटोग्राफर मनचाहा फोटो क्लिक कर सकते हैं। मनचाहे चेहरे के भाव के साथ फोटो कंपोजिशन पर ध्यान देने से लाजवाब फोटो आता है। सामाजिक विकास और तकनीकी विकास से नई पीढ़ी के फोटोग्राफर काफी विकसित हैं। उनके पास जैसी तकनीक और सुविधाएं मौजूद हैं। वह फोटोग्राफी के क्षेत्र में बहुमूल्य योगदान दे सकते हैं और फोटोग्राफी के माध्यम से अपना कैरियर भी बना सकते हैं।
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