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World Rabies Day: सिर्फ कुत्‍ते ही नहीं इन जानवरों से भी है रेबीज का खतरा, काटने पर तुरंत करें ये काम

रांची सदर अस्पताल में हर दिन औसतन 80 से 100 लोग एंटी रेबीज वैक्सीन लगाने पहुंच रहे हैं। शहर में स्‍ट्रीट डॉग्‍स की संख्‍या अधिक बढ़ गई है इसलिए कुत्‍तों के काटे जाने के मामले भी अधिक सामने आ रहे हैं। कुत्‍ते के काटने पर रेबीज होने का डर रहता है इसलिए एंटी रेबीज लगवाना जरूरी है। कुत्‍तों के अलावा अन्‍य कई जानवरों के काटने से भी रेबीज होता है।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Thu, 28 Sep 2023 01:17 PM (IST)
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कुत्‍ते के काटने पर एंटी रेबीज वैक्‍सीन लेना है जरूरी।
जासं, रांची। कुत्तों को एंटी रेबीज वैक्सीन की डोज देने के बाद भी यदि वह काटे तो एंटी रैबीज वैक्सीन जरूर लें। इसे लेना इसलिए भी जरूरी है कि अगर कुत्ते में वैक्सीन का असर खत्म हो गया है तो इसकी जानकारी नहीं मिल सकेगी और एक बार रेबीज जब इंसानों में फैल जाता है तो इसका कोई इलाज नहीं है।

रांची में हर दिन 70 से 80 लोगों को काट रहे कुत्‍ते

जिले में 70 से 80 लोगों को कुत्ते प्रतिदिन काट रहे हैं। ऐसे में सजगता जरूरी है। रांची के सिविल सर्जन डा. प्रभात कुमार बताते हैं कि रेबीज एक विषाणु जनित संक्रामक बीमारी है।

यह वायरस संक्रमित पशुओं के काटने से मनुष्यों में फैलता है। यह एक जानलेवा रोग है इसलिए यह जानना जरूरी है कि कुत्ते को जो वैक्सीन दी गई है वह कोल्ड चेन के मापदंड को पूरा किया है या नहीं, इसका कहीं भी सटीक जवाब नहीं मिल सकता। इसलिए जीवन में जोखिम लेने से अच्छा है कि एंटी रेबीज वैक्सीन का पांच डोज लगवा लें।

कुत्ते के नाखून में नहीं होता रैबीज, न हों परेशान

सीएस ने बताया कि कुत्ते के नाखून में रैबीज नहीं होता है। सिर्फ खरोंचने से परेशान होने की जरूरत नहीं है। रेबीज सिर्फ कुत्ते की लार में होता है, जो जानलेवा है।

वेटनरी काॅलेज कांके में रेबीज का नि:शुल्‍क टीकाकरण होता है। दूसरी ओर सदर अस्पताल में एंटी रेबीज वैक्सीन लोगों को नि:शुल्‍क दिया जाता है।

कुत्ता, बिल्ली, बंदर के काटने से भी होता है रैबीज

डा. सुशील बीएयू के डीन वेटनरी डा. सुशील प्रसाद बताते हैं कि रेबीज से पीड़ित जानवर जैसे कुत्ता, बिल्ली, बंदर आदि की लार में मौजूद रहता है।

आंकड़ों के अनुसार, मनुष्यों के लगभग 99 प्रतिशत मामलों में रेबीज की मुख्य वजह कुत्ते का काटना होता है। रेबीज की मुख्य वजह न्यूरोट्रोपिक लाइसिसिवर्स नामक वायरस होता है। जो मनुष्य सहित सभी प्रकार के गर्म खून वाले जीवों को प्रभावित कर सकती है।

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कुत्ते के काटने से प्रदेश में हर साल 50 से ज्यादा मौतें 

डा. सुशील प्रसाद बताते हैं कि कुत्ते के काटने के 72 घंटे के अंदर एंटी रेबीज वैक्सीन लेना जरूरी है। काटने के बाद इसके घाव को तुरंत पानी और साबुन से धोना चाहिए। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, भारत में प्रत्येक साल रेबीज बीमारी से 18,000 से 20,000 लोगों की मौतें होती हैं। झारखंड में हर साल पचास से ज्यादा मौतें कुत्ता काटने से होती रही हैं।

राजधानी में बढ़ गई है लावारिस कुत्तों की संख्या

राजधानी में कुत्ते काटने की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। सदर अस्पताल में हर दिन औसतन 80 से 100 लोग एंटी रेबीज वैक्सीन लगाने पहुंच रहे हैं। बुधवार को 70 लोगों ने एंटी रेबीज वैक्सीन लगाया। डाॅक्टर बताते हैं कि स्ट्रीट डाॅग की संख्या बढ़ गई है जिस कारण डाॅग बाइट की संख्या भी बढ़ रही है।

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