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Sahibganj investigation news राजमहल में प्रत्येक तीसरे दिन एक व्यक्ति सर्पदंश के हो रहे शिकार

राजमहल के इलाके में इन दिनों सर्पदंश के मामले बढ़े हैं। दरअसल बारिश के दिनों में सांप जैसे विषैले जीवों के आशियाने में पानी भर जाता है। जिस वजह से सांप दलदलीय इलाके में विचरण को मजबूर होते हैं। इस के तरह के मरीजों को चिकित्सक इलाज दे रहे हैं।

By Gautam OjhaEdited By: Updated: Wed, 14 Sep 2022 03:55 PM (IST)
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साहिबगंज के राजमहल इलाके सांप में काटने वालों का निशान का प्रतिकात्मक तस्वीर।
संवाद सूत्र, राजमहल (साहिबगंज) ः चिकित्सकों को यूं ही ईश्वर का दर्जा दिया नहीं जाता है। यह बात राजमहल अनुमंडलीय अस्पताल में बीते ढाई माह में सर्पदंश से ठीक होने से साबित होती है। बीते करीब 75 दिनों में अनुमंडलीय अस्पताल राजमहल में सांप काटने के कुल 26 मामले सामने आए। यहां पहुंचे सभी लोगों को चिकित्सकों ने बेहतर इलाज की मदद से बचा लिया। जुलाई व अगस्त में आठ-आठ तो 12 सितंबर तक सर्पदंश के 10 मरीज अनुमंडलीय अस्पताल में आए। एक मरीज को छोड़कर सभी का इलाज यहीं पर किया गया। मनसिंहा के नाजिर शेख को बीते पांच अगस्त को सांप के काटने पर नाजुक स्थिति में अनुमंडलीय अस्पताल लाया गया था। उस समय मौजूद चिकित्सक ने प्राथमिक उपचार के बाद उसे काफी हद तक स्वस्थ कर दिया गया था, परंतु एहतियात के तौर पर उसे बेहतर इलाज हेतु रेफर कर दिया गया था। अभी वह भी स्वस्थ हैं। यहां आनेवाले कुल 26 मामलों में सात उधवा तथा 19 राजमहल प्रखंड क्षेत्र के थे। अधिकतर मामलों में सांप काटने की सूचना मिलने पर स्वजनों ने जहां सांप काटा उससे उपर बांध दिया और तत्काल अस्पताल लेकर पहुंचे।

घबराना नहीं चाहिए : उपाधीक्षक डा. उदय टुडू ने बताया कि सांप के काटने पर मरीज और उनके स्वजनों को घबराना चाहिए। स्वजनों को घबराते देख मरीज भी घबरा जाता है और ऐसी स्थिति में धमनियों को रक्त संचरण की प्रक्रिया तेज होने से जहर के फैलने का खतरा बढ़ जाता है, जिससे मरीज को बचा पाना मुश्किल हो सकता है। सांप काटने के बाद तत्काल सांप ने जहां काटा है उससे उपर किसी कपड़े से कसकर बांध देना चाहिए। इससे रक्त के प्रवाह को रोकने में मदद मिलती है। इससे जहर शरीर में नहीं फैल पाता है। सांप काटने के बाद ओझा-गुनी के चक्कर में पड़े बिना मरीज को अस्पताल पहुंचाना चाहिए। मरीज के लिए तीन घंटे अहम होते हैं। इस दौरान

मरीज को सोने नहीं देना चाहिए तथा उसकी इच्छाशक्ति को भी मजबूत बनाए रखने की जरूरत है। बताया एक ही दिन में सबसे अधिक तीन मामले बीते चार सितंबर को आए थे। एक जुलाई से अबतक अबतक 10 महिला तथा 16 पुरुष सर्पदंश से पीड़ित हुए। मरीजों को सर्प दंश के मामले में एंटी वेनम इंजेक्शन का डोज देने के संबंध में बताया कि जरूरत पड़ने पर एक मरीज को छह से सात डोज भी दिया गया है।

अस्पताल में पर्याप्त मात्रा में एंटी वेनम इंजेक्शन : शीत श्रृंखला कक्ष के कर्मी विजय कुमार व सुनील कुमार ने बताया कि अस्पताल में उचित मात्र में एंटी वेनम इंजेक्शन मौजूद हैं। जुलाई, अगस्त एवं सितंबर में अबतक 50 से अधिक एंटी वेनम इंजेक्शन का उपयोग किया जा चुका है। वर्तमान में 48 डोज अस्पताल में मौजूद है। जरूरत पड़ने पर आवश्यकता के अनुसार उसकी उपलब्धता भी हो जाएगी।

अधिकतर सांप जहरीले : फुलवरिया निवासी अब्दुल शेख ने बताया कि क्षेत्र में गेहुंवन, ढोड़वा, खरीश, बहराबोरी, करैया, मछुवालाक सांप पाए जाते हैं। इनमें से ढोड़वा सांप छोड़कर सभी काफी जहरीले हैं। बताया कि बारिश के दिनों में जंगल-झाड़ अधिक उग जाते हैं, जो सांपों के लिए सबसे अच्छी जगह होती है। बच्चे खेलने के क्रम में या बड़ों द्वारा जंगल-झाड़ साफ करने के क्रम में सर्प दंश के शिकार होते हैं। इसी प्रकार खेत से पानी में जाकर पटसन काटने और तालाब में पटसन धोने के क्रम में भी सांप काटने की संभावना अधिक रहती है।

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