ऐसे कैसे बढ़ेगा झारखंड? 3 शिक्षक के भरोसे एक स्कूल; बारिश में मचान पर रखना पड़ता विद्यालय का सामान
झारखंड के साहिबगंज में एक स्कूल की स्थिति बदहाल है। वैसे राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए समय-समय पर सरकार की ओर से कई कार्यक्रम चलाए जाते हैं। बच्चों को लेसन प्लान बनाकर शिक्षा देने का निर्देश दिया जाता है। इसके बावजूद सदर प्रखंड के दियारा क्षेत्र में स्थित मध्य विद्यालय किसन प्रसाद की स्थिति खराब है। यहां तीन शिक्षकों के भरोसे स्कूल चलता है।
टूटे बेंच और चटाई पर बैठ पढ़ाई करते हैं बच्चे
प्रधानाध्यापक ने मामले में क्या कहा?
विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक राजीव कुमार का कहना है कि स्कूल जर्जर हो चुका है। छत से प्लाटर टूट-टूट कर गिरता है। दीवाल में बड़ी-बड़ी दरारें आ चुकी हैं। बाढ़ में स्कूल डूब जाता है। मचान बनाकर स्कूल का अलमीरा, अनाज आदि को रखना पड़ता है। हर दिन 270 से अधिक छात्र पढ़ने आते हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी आदेश का पालन कर कार्यक्रम कराया जाता है लेकिन तीन शिक्षक के भरोसे शिक्षा विभाग ने छोड़ दिया है। बहुत परेशानी होती है। जिला प्रशासन से अपील है कि एक बार स्कूल आकर देखे और समस्या का निदान कराए।सहायक शिक्षक ने नया भवन बनाने की मांग की
वहीं, सहायक शिक्षक ने बताया कि स्कूल सड़क से करीब सात फीट नीचे है। हर साल बाढ़ आने से कक्षा में पानी प्रवेश कर जाता है। सांप-बिच्छू निकलते रहता है। चारों तरफ केमिकल का छिड़काव किया जाता है ताकि जहरीले सांप नहीं आए। नया भवन बनाना जरूरी है। स्कूल में पांच से छह शिक्षक दिया जाए ताकि बच्चों को हर विषय की पढ़ाई करा सकें। बार-बार बैठक में स्कूल की समस्या उठाई जाती है, लेकिन कोई सुनता नहीं है। अभी रांची में मास्टर ट्रेनर का प्रशिक्षण लेने आए है। इस स्कूल में 90 प्रतिशत दलित व 10 प्रतिशत पिछड़े वर्ग के छात्र हैं।तीन शिक्षक की वजह से हर विषय की पढ़ाई नहीं हो पाती है। जिला प्रशासन को और अधिक शिक्षक देना चाहिए ताकि जिंदगी संवर सके। स्कूल का भवन काफी जर्जर है। हमेशा डर लगा रहता है कि सिर के उपर ना गिर जाए। ऊंचाई वाले स्थान पर स्कूल के नए भवन का निर्माण होना चाहिए। इस स्कूल में दूर-दूर से बच्चे बढ़ने आते हैं। बाढ़ में दक्षिण दिशा से पानी स्कूल में प्रवेश कर जाता है। शौचालय और पानी पीने के लिए नल डूब जाता है। हमारे दर्द को समझना होगा।- संध्या कुमारी, छात्रा
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