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ऐसे कैसे बढ़ेगा झारखंड? 3 शिक्षक के भरोसे एक स्कूल; बारिश में मचान पर रखना पड़ता विद्यालय का सामान

झारखंड के साहिबगंज में एक स्कूल की स्थिति बदहाल है। वैसे राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए समय-समय पर सरकार की ओर से कई कार्यक्रम चलाए जाते हैं। बच्चों को लेसन प्लान बनाकर शिक्षा देने का निर्देश दिया जाता है। इसके बावजूद सदर प्रखंड के दियारा क्षेत्र में स्थित मध्य विद्यालय किसन प्रसाद की स्थिति खराब है। यहां तीन शिक्षकों के भरोसे स्कूल चलता है।

By Pranesh KumarEdited By: Shashank ShekharUpdated: Wed, 18 Oct 2023 02:44 PM (IST)
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ऐसे कैसे बढ़ेगा झारखंड? 3 शिक्षक के भरोसे एक स्कूल; बारिश में मचान पर रखना पड़ता विद्यालय का सामान

जागरण संवाददाता, साहिबगंज। बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले इसके लिए समय समय पर कार्यशाला होती है। लेसन प्लान बनाकर बच्चों को पढ़ाने का निर्देश दिया जाता है। परीक्षा में छात्रों को अच्छा अंक न आने व फेल कर जाने पर शिक्षकों से स्पष्टीकरण मांगा जाता है, लेकिन सोचिए 320 छात्र-छात्राओं को पढ़ाने के लिए तीन शिक्षक हैं।

प्रतिदिन 260 से 280 छात्र अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। ऐसी स्थिति में पढ़ाई की गुणवत्ता क्या होगी, इसका आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं।

बात हो रही है सदर प्रखंड के दियारा क्षेत्र में स्थित मध्य विद्यालय किसन प्रसाद की। यह स्कूल 1956 से संचालित है। सरकारी उदासीनता का खामियाजा इस स्कूल के शिक्षक व छात्र भुगत रहे हैं। यहां कक्षा एक से लेकर आठ तक की पढ़ाई होती है। स्कूल का भवन जर्जर हो चुका है और बच्चे डर के साए में पढ़ाई करते हैं।

टूटे बेंच और चटाई पर बैठ पढ़ाई करते हैं बच्चे

इतना ही नहीं, आधा बच्चे टूटे बेंच और आधा बच्चे जमीन पर चटाई बिछाकर बैठते हैं। यह स्कूल सड़क से करीब सात फीट नीचे है। यही वजह है कि हर साल बाढ़ का पानी स्कूल में घुस जाता है। बरसात के मौसम में शिक्षक मचान बनाकर जरूरी दस्तावेज और मध्याह्न भोजन की सामग्री रख देते हैं। समस्या आगे भी है।

इस स्कूल के एक शिक्षक हमेशा मास्टर ट्रेनर के प्रशिक्षण में रहते है। अभी सहायक अध्यापक नुरुल हक को प्रशिक्षण लेने के लिए रांची भेजा गया है। एक शिक्षक मिड डे मील की ऑनलाइन रिपोर्टिंग में व्यस्त रहते हैं। वैसे इस स्कूल से तीन छात्रों ने नवोदय प्रवेश परीक्षा में सफलता हासिल की।

दो छात्र ने राष्ट्रीय छात्रवृति परीक्षा में सफलता प्राप्त की। प्रति छात्र हर साल 12 हजार रुपये मिलता है। स्कूल प्रबंध समिति के अध्यक्ष और ग्रामीणों ने कई बार डीएसई और जिला प्रशासन से आवेदन देकर समस्या से अवगत कराया, लेकिन आश्वासन के अलावा कुछ नहीं हुआ।

प्रधानाध्यापक ने मामले में क्या कहा?

विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक राजीव कुमार का कहना है कि स्कूल जर्जर हो चुका है। छत से प्लाटर टूट-टूट कर गिरता है। दीवाल में बड़ी-बड़ी दरारें आ चुकी हैं। बाढ़ में स्कूल डूब जाता है। मचान बनाकर स्कूल का अलमीरा, अनाज आदि को रखना पड़ता है। हर दिन 270 से अधिक छात्र पढ़ने आते हैं।

उन्होंने कहा कि सरकारी आदेश का पालन कर कार्यक्रम कराया जाता है लेकिन तीन शिक्षक के भरोसे शिक्षा विभाग ने छोड़ दिया है। बहुत परेशानी होती है। जिला प्रशासन से अपील है कि एक बार स्कूल आकर देखे और समस्या का निदान कराए।

सहायक शिक्षक ने नया भवन बनाने की मांग की 

वहीं, सहायक शिक्षक ने बताया कि स्कूल सड़क से करीब सात फीट नीचे है। हर साल बाढ़ आने से कक्षा में पानी प्रवेश कर जाता है। सांप-बिच्छू निकलते रहता है। चारों तरफ केमिकल का छिड़काव किया जाता है ताकि जहरीले सांप नहीं आए। नया भवन बनाना जरूरी है।

स्कूल में पांच से छह शिक्षक दिया जाए ताकि बच्चों को हर विषय की पढ़ाई करा सकें। बार-बार बैठक में स्कूल की समस्या उठाई जाती है, लेकिन कोई सुनता नहीं है। अभी रांची में मास्टर ट्रेनर का प्रशिक्षण लेने आए है। इस स्कूल में 90 प्रतिशत दलित व 10 प्रतिशत पिछड़े वर्ग के छात्र हैं।

तीन शिक्षक की वजह से हर विषय की पढ़ाई नहीं हो पाती है। जिला प्रशासन को और अधिक शिक्षक देना चाहिए ताकि जिंदगी संवर सके। स्कूल का भवन काफी जर्जर है। हमेशा डर लगा रहता है कि सिर के उपर ना गिर जाए। ऊंचाई वाले स्थान पर स्कूल के नए भवन का निर्माण होना चाहिए। इस स्कूल में दूर-दूर से बच्चे बढ़ने आते हैं। बाढ़ में दक्षिण दिशा से पानी स्कूल में प्रवेश कर जाता है। शौचालय और पानी पीने के लिए नल डूब जाता है। हमारे दर्द को समझना होगा।- संध्या कुमारी, छात्रा

स्कूल की समस्या सामने आयी है। निश्चित रूप से स्कूल का भवन जर्जर है। हर विषय की पढाई हो, इसके लिए दो-तीन शिक्षकों को शहरी क्षेत्र से वहां भेजने का प्रयास करता हूं। बच्चों को अच्छी शिक्षा मिले यह हमारा प्रयास रहता है। हर माह शिक्षक सेवानिवृत हो रहे हैं, लेकिन उस अनुपात में शिक्षक मिल नहीं रहे हैं। बच्चों को परेशानी न हो और उनकी पढ़ाई प्रभावित न हो, यह कोशिश की जाएगी।- राजेश पासवान, डीएसई, साहिबगंज

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