Hul Diwas 2023: आज ही के दिन वीर आदिवासियों ने फूंका था अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल, तीर-धनुष से छुड़ाए थे छक्के
हूल दिवस पर 30 हजार से अधिक आदिवासियों के बलिदान को याद किया जाता है जिन्होंने अंग्रेजी शासन कर नींव हिला दी थी। झारखंड के संथाल परगना में आदिवासियों ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया था। भोगनाडीह के सिदो-कान्हु चांद-भैरव व फूलो-झानो इन छह भाई-बहनों ने तीर-धनुष से अंग्रेजों का मुकबला किया था। ये अंग्रेजी हुकूमत व महाजनी प्रथा से नाखुश थे।
By Jagran NewsEdited By: Arijita SenUpdated: Fri, 30 Jun 2023 09:59 AM (IST)
डा. प्रणेश, साहिबगंज। जिला मुख्यालय से करीब 55 किलोमीटर दूर है बरहेट प्रखंड का भोगनाडीह। कई दिनों से यहां खूब चहल पहल है। प्रशासनिक अधिकारियों की टीम निरीक्षण में जुटी है। राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता भी अपने-अपने तरीके से समारोह की तैयारी में जुटे हैं। स्टेडियम में विशाल पंडाल बनवाया जा रहा है। सिदो-कान्हु पार्क की सफाई कराई गई है। कारण, 30 जून को हूल दिवस पर यहां भव्य कार्यक्रम होगा।
सरकार से नाखुश हैं सिदो कान्हु के वंशज
गुरुवार शाम तक तैयारी अंतिम चरण में थी। सबसे अहम है कि झारखंड बनने के बाद यहां कई दलों की सरकारें बनीं, लेकिन जिनके सम्मान में लगातार यह समारोह आयोजित होता रहा उनके वंशज व्यवस्था से संतुष्ट नहीं हैं। उन्हें रोजगार नहीं मिल पाया, न ही अभी तक यथोचित सम्मान मिला। ग्रामीण असुविधाओं की भी चर्चा करते नहीं थकते।
क्रांतिकारी भाई-बहनों ने हिला दी थी अंग्रेजी शासन की नींव
गुरुवार को सिदो कान्हु के वंशज मंडल मुर्मू भोगनाडीह में दो दिवसीय फुटबाल टूर्नामेंट का उद्घाटन करने पहुंचे। मंडल उनके वंशज में इकलौते हैं, जिन्होंने इंजीनियरिंग की डिग्री ली है। फिर भी बेरोजगार हैं। उन्होंने कहा कि पूर्व की सरकारों को भी कई बार नौकरी के लिए आवेदन दिया, लेकिन कोई पहल नहीं हुई।अंग्रेजी हुकूमत व महाजनी प्रथा के खिलाफ 30 जून, 1855 को आंदोलन का बिगुल फूंकने वाले वीर शहीद सिदो-कान्हु, चांद-भैरव व फूलो-झानो की जन्मस्थली भोगनाडीह का आज तक समुचित विकास नहीं हुआ। सिदो कान्हु पार्क में फूलो मुर्मू व झानो मुर्मू की प्रतिमा नहीं लगी।
अप्रैल व जून में खुलता पार्क
मंडल मुर्मू कहते हैं कि अप्रैल में सिदो-कान्हु की जयंती व हूल दिवस पर ही पार्क खुलता है। सफाई होती है। उसके बाद ताला लटका रहता है। इस वजह से पार्क देखने की इच्छा दबी रह जाती है। ग्रामीण रामू मरांडी ने बताया कि गांव में लोग कृषि पर ही निर्भर हैं, पर इसके लिए भोगनाडीह गांव में कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है।गांव में डीप बोरिंग नहीं है। शिक्षा की भी स्थिति ठीक नहीं है। भोगनाडीह में सिदो-कान्हु के नाम पर बड़े-बड़े शिक्षण संस्थान बनाए गए हैं, पर यहां के लोगों को लाभ नहीं मिल पा रहा है। हल्की आंधी पानी आने पर दो-तीन दिनों के लिए बिजली गायब हो जाती है। अभी सरकार को बलिदानियों की धरती के लिए काफी कुछ करना शेष है।
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