Jharkhand News: बांग्लादेशी अफजल शेख को भारतीय नागरिकता दिलाने वाला गिरफ्तार, पूर्व उप मुखिया है आरोपित
झारखंड में तेजी से बढ़ रही बांग्लादेशियों की तादात चिंता का विषय तो है ही। वहीं इन लोगों को स्थानीय लोगों के समर्थन से नागरिकता भी दिलवाने में मदद की जा रही है जिससे इनकी पहचान कर पाना मुश्किल है। जिले के पूर्व उप मुखिया को गिरफ्तार किया गया है।
By Jagran NewsEdited By: Ritu ShawUpdated: Fri, 23 Dec 2022 01:38 PM (IST)
जागरण संवाददाता, साहिबगंज: कथित बांग्लादेशी नागरिक अफजल शेख को भारत की नागरिकता दिलाने के आरोपित उत्तर पियारपुर पंचायत के पूर्व उप मुखिया और वर्तमान में वार्ड सदस्य बाबुल अख्तर को राधानगर पुलिस ने गुरुवार की रात हिरासत में ले लिया। शुक्रवार को कोर्ट में पेश किया जाएगा जिसके बाद उसके भविष्य का निर्णय होगा।
इस मामले के मुख्य आरोपित अफजल शेख को 27 जुलाई 2022 को कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था। इस वजह से कुछ महीने पहले पुलिस ने इस मामले के आरोपित तत्कालीन बीएलओ सफरुद्दीन शेख को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया था तो वहां उसे कड़ी फटकार लगायी गयी थी। इसके बाद सफरुद्दीन शेख को पुलिस ने छोड़ दिया था। वैसे इसी केस में सपन मंडल को पिछले सप्ताह राधानगर पुलिस ने जेल भेजा था। पुलिस सूत्रों की मानें तो फरार आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए एसपी ने एसआइटी का गठन किया है। उसी ने दोनों आरोपितों को गिरफ्तार किया।
क्या है मामला?
राधानगर थाना क्षेत्र के रहनेवाले अफजल शेख के खिलाफ 18 मार्च 2016 को उधवा के तत्कालीन बीडीओ विजय कुमार ने स्थानीय थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी। पर्यवेक्षण के क्रम में तत्कालीन एसपी ने भी मामले को सही करार दिया था। बीडीओ ने पुलिस को दिए बयान में बताया था कि अखबारों में गलत तरीके से भारत की नागरिकता प्राप्त करने की सूचना पर वे तत्कालीन सीओ जामुन रविदास, थाना प्रभारी राजेंद्र कुमार दास एवं सशस्त्र बल के साथ दक्षिण पियारपुर स्थित सादेक अली टोला, प्राथमिक विद्यालय दक्षिण पियारपुर पहुंचे।बीएलओ सफीरूद्दीन शेख से पूछताछ की। उसे आरोपित अफजल शेख को बुलाने को कहा। अफजल शेख वहां आया तो ग्रामीणों के समक्ष उससे पूछताछ की। उसने अपने पिता का नाम अब्दुल सुभान उर्फ सब्दुल सुयान बताया। उसने बताया कि वह बांग्लादेश के ठाकुरगंज जिले के मीरगंज थाना क्षेत्र के ठाकुरगंज गांव का रहनेवाला है। वह पांच भाई हैं तथा सभी बांग्लादेश में रहते हैं। 10-12 साल पूर्व वह बांग्लादेश छोड़कर चचेरे भाई सौकत अली के यहां आ गया। सौकत अली उस समय दक्षिण पियारपुर का डीलर था। 2011 में उसने वोटर कार्ड, आधार कार्ड व पैन कार्ड भी बनवा लिया। इसके बाद से वह वहां रह रहा है। इसके बाद उसे उसी दिन गिरफ्तार कर लिया गया था।
हालांकि, 8 महीने बाद ही वो हाईकोर्ट से जमानत पर छूट गया था। 27 जुलाई 2022 को प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी महबूब आलम ने उसे बरी कर दिया। इसी मामले में सपन मंडल, बाबुल अख्तर आदि का नाम भी आया था। जानकारों की मानें तो इस मामले के कई गवाह कोर्ट में पेश ही नहीं हुए। पर्याप्त सबूत न मिलने की वजह से उसे कोर्ट ने रिहा कर दिया।
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