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Shaibganj News: यूरोपीय देशों के कृष्णभक्त पहुंचे कन्हैयास्थान

अपने पिता की मौत के बाद पिंड दाने करने गया जाने के दौरान जहां चैतन्य महाप्रभु को ईश्वर ने बाल स्वरूप का दर्शन दिया था। आज वह कन्हैयास्थान जगमग है। यहां यूरोपीय कृष्ण भक्त लगातार कृष्ण स्थल को दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं जहां उन्होंने पूजा अर्चना की है।

By Jagran NewsEdited By: Gautam OjhaUpdated: Fri, 25 Nov 2022 10:49 PM (IST)
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साहिबगंज का कन्हैयास्थाल पहुंचे यूरोपीय कृष्ण भक्त। जागरण
संवाद सहयोगी, तालझारी (साहिबगंज) : विश्व प्रसिद्ध कन्हैयास्थान इस्कान मंदिर परिसर में शुक्रवार को भक्ति की बयार बह रही थी। गंगा में स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने श्रीकृष्ण की आराधना की और आध्यात्मिक ज्ञान के सागर में गोते लगाए। दरअसल, इंद्रद्युम्न स्वामी महाराज के नेतृत्व में अमेरिका, यूक्रेन, रूस, पोलैंड, जिम्बाब्वे , न्यूजीलैंड, लातविया, लिथवानिया, चेकोस्लोवाकिया, हंगरी समेत अन्य देशों के 80 कृष्ण भक्त दोपहर एक बजे सड़क और जलमार्ग से कन्हैयास्थान मंदिर पहुंचे। कृष्ण भक्तों ने साष्टांग प्रणाम कर परिसर में प्रवेश किया। उनकी श्रद्धा यह दर्शा रही थी कि सनातन धर्म की जड़ें कितनी मजबूत हैं।

तामाल पेड़ का परिक्रमा करते यूपोरिय कृष्ण भक्त। जागरण 

इंद्रद्युम्न स्वामी महाराज ने कृष्ण भक्तों के साथ पतित पावनी मां गंगा का दर्शन किया। स्नानादि के बाद मंदिर की ओर जाने के दौरान बिहार के पीरपैंती से आए स्कूली बच्चों को स्वामी जी ने उपदेश दिया। कहा कि हमेशा माता, पिता, गुरु व बड़ों का आदर सत्कार करना चाहिए। जीवन में भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति अति आवश्यक है। स्कूली किताबों के अलावा श्रीमद्भागवत गीता भी पढ़ें। इससे जीवन में भटकाव नहीं आएगा।

इंद्रद्युम्न स्वामी महाराज मंदिर परिसर में प्रवेश करते ही तमाल वृक्ष से भाव विभोर होकर आलिंगनबद्ध हो गए। करीब आधे घंटे तक भगवान श्रीकृष्ण के नाम की जाप करने के बाद वृक्ष से गले मिले। महाराज की भाव विह्वलता को देख मंत्रमुग्ध हो गए थे। महाराज ने यहां तमाल वृक्ष के चारों ओर सफाई की। सभी श्रद्धालुओं ने इंद्रद्युम्न स्वामी जी के साथ वृक्ष की परिक्रमा की। स्वामी जी ने कन्हैयास्थान के धार्मिक महत्वों को विस्तार से बताया। अंग्रेजी भाषा में बताए जा रहे प्रवचन को एक अन्य कृष्ण भक्त ने हिंदी में अनुवाद किया।

तामाल पेड़ को प्रणाम करते लोग। जागरण 

बताया कि वर्ष 1505 में जब चैतन्य महाप्रभु बिहार के गया धाम से अपने माता पिता का पिंडदान कर वापस लौट रहे थे। थकावट के कारण कन्हैयास्थान में तमाल वृक्ष के नीचे विश्राम कर रहे थे। उस समय यहां घना जंगल हुआ करता था। इसी बीच भगवान श्री कृष्ण बाल रूप में वहां प्रकट हुए। जैसे ही भगवान प्रकट हुए श्री चैतन्य महाप्रभु भाव विभोर हो गए। कुछ क्षण बाद भगवान श्रीकृष्ण अंतर्धान हो गए। इसका उल्लेख श्री चैतन्य चरित्रमृत ग्रंथ में है। द्वापर युग में भी श्रीकृष्ण भगवान राधारानी के साथ महारास लीला के दौरान पधारे थे। भगवान श्रीकृष्ण एवं राधारानी का चरण चिह्न मंदिर में अभी भी मौजूद है। मंदिर के प्रबंधक ब्रजराज कनाई दास ब्रह्मचारी ने भी कन्हैया स्थान मंदिर के संबंध में भक्तों को विस्तार से बताया। शाम में सभी पश्चिम बंगाल के मालदा रवाना हो गए। मालदा में रात्रि विश्राम के बाद शनिवार को सभी भक्त मायापुर चले जाएंगे। मौके पर कृष्ण कृपा सिंध, प्राण कन्हाई दास, राधा कन्हाई दास, महात्मा सेवा दास, पार्वती देवोकी दासी व अन्य कृष्ण भक्त मौजूद थे।

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