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साहिबगंज में खरगे करेंगे 'हाथ से हाथ जोड़ो' अभियान की शुरुआत, BJP का मिशन 2024 फेल करने की तैयारी में कांग्रेस

Hath Se Hath Jodo Abhiyan कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे शनिवार को विशेष सेवा विमान से दिल्ली से दुमका पहुंचें। वे दुमका से साहिबगंज के लिए रवाना हो गए जहां वे हाथ से हाथ जोड़ो अभियान की शुरुआत करेंगे।

By Jagran NewsEdited By: Roma RaginiUpdated: Sat, 11 Feb 2023 02:17 PM (IST)
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साहिबगंज में मल्लिकार्जुन खरगे करेंगे 'हाथ से हाथ जोड़ो' अभियान की शुरुआत
राजीव रंजन, दुमका। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे शनिवार को विशेष सेवा विमान से दिल्ली से दुमका पहुंचें। दुमका एयरपोर्ट पर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने उनका जोरदार तरीके से स्वागत किया। इसके बाद, मल्लिकार्जुन यहां से साहिबगंज जिले के लिए चौपर से रवाना हो गए।

मल्लिकार्जुन खरगे साहिबगंज के बड़हरवा प्रखंड के श्रीकुंड गुमानी में 'हाथ से हाथ जोड़ो' अभियान की शुरुआत करेंगे। यहां वह एक जनसभा को भी संबोधित करेंगे। साहिबगंज जिले के बड़हरवा प्रखंड का श्रीकुंड पंचायत का गुमानी स्थित प्लस टू मिल्लत उच्च विद्यालय श्रीकुंड का मैदान सज-धज कर तैयार है।

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार झारखंड आए मल्लिकार्जुन झारखंड के साहिबगंज जिले के श्रीकुंड से ही 'हाथ से हाथ जोड़ो' अभियान की शुरुआत करेंगे। डेढ़ से तीन बजे तक वहां आयोजित जनसभा को संबोधित करेंगे और 'हाथ से हाथ जोड़ो' अभियान की लांचिंग करेंगे।

राजमहल संसदीय क्षेत्र का महत्वपूर्ण इलाका है गुमानी व श्रीकुंड

अमर शहीद सिदो-कान्हु की धरती साहिबगंज के श्रीकुंड से 'हाथ से हाथ जोड़ो' अभियान के पीछे कांग्रेस के कई राजनीतिक मकसद हैं। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि झारखंड का साहिबगंज जिला आने वाले दिनों सबके लिए खास होगा। यहां बंदरगाह के निर्माण और गंगा पर सेतु बन जाने के बाद इस क्षेत्र की कनेक्टिविटी सीधे तौर पर नॉर्थ-ईस्ट से हो जाएगी।

वहीं, राजनीतिक दृष्टिकोण से राजमहल संसदीय सीट को भाजपा ने मिशन 2024 में प्रतिष्ठा से जोड़ कर शीर्ष प्राथमिकता में रखा है। बीते दो चुनावों में मोदी लहर के बाद भी इस सीट पर झामुमो का कब्जा है। इस बार किसी भी कीमत पर भाजपा यह सीट जीतने की जुगत में है। इसको लेकर भाजपा के रणनीतिकार माइक्रो लेबल पर प्लान बना रहे हैं। कांग्रेस और झामुमो के रणनीतिकारों को भी भाजपा के इस रणनीति की भनक है।

बता दें कि श्रीकुंड पंचायत अल्पसंख्यक बाहुल्य है। इसके अलावा श्रीकुंड के आसपास के कई गांवों में अल्पसंख्यक, दलित और आदिवासी बाहुल्य गांव हैं। श्रीकुंड से कुछ ही दूरी पर इस्लामपुर पंचायत है। इसी पंचायत में कांग्रेसी नेता और सूबे के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम का पैतृक आवास है। कांग्रेस के रणनीतिकारों की मंशा भाजपा विरोधी मतदाताओं को हरहाल में गोलबंद रखने की है। जिससे 2024 के चुनाव में भाजपा के मंसूबों पर पानी फेरा जा सके।

जातीय समीकरणों पर बदल सकती है रणनीति

झारखंड में प्रखर हिंदुत्व, बांग्लादेशी घुसपैठ, अवैध खनन, मतांतरण जैसे मुद्दों को लेकर भाजपा 2024 के चुनावी लहर को अपने पक्ष में मोड़ने की तैयारी में है। राजमहल सीट पर जीत हासिल करने में भाजपा को कठिनाई हो रही है। इस सीट से भाजपा कभी झामुमो के दिग्गज नेता और बरहेट से झामुमो के विधायक रहे हेमलाल मुर्मू को अपने पाले में कर चुनावी मैदान में उतार चुकी है लेकिन फिर भी जीत नहीं मिल पाई। जबकि भाजपा में शामिल होने से पहले हेमलाल 2004 में झामुमो की टिकट पर राजमहल से लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं।

वहीं, बरहेट विधानसभा सीट पर भी अब झामुमो का कब्जा है। सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बरहेट से विधायक हैं। जानकारों का कहना है कि इस बार के चुनाव में भाजपा के रणनीतिकार जातीय समीकरणों को ध्यान में रखकर रणनीति बदल भी सकते हैं, हालांकि, अभी यह दूर की कौड़ी है।

इस इलाके में हाल के दिनों में यह चर्चा लगातार हवा में तैर रही है कि बोरियो से झामुमो के विधायक लोबिन हेंब्रम अभी बगावती तेवर में हैं और लगातार हेमंत सरकार पर हमलावर हैं। लोबिन की गतिविधियों पर झामुमो के विरोधी दलों की पैनी निगाह है। जबकि एक दूसरा नाम अकील अख्तर है, जो कभी पाकुड़ से झामुमो की टिकट पर विधायक बने थे। बाद में पाकुड़ सीट पर कांग्रेस के आलमगीर आलम चुनाव जीत कर विधायक बन गए हैं। अकील अभी आजसू में हैं।

अकील की इस इलाके के अल्पसंख्यक समुदाय पर जबरदस्त पकड़ है। ऐसे में भाजपा-आजसू गठबंधन की सूरत में इस विकल्प पर भी लोग अभी से चर्चा कर रहे हैं। वैसे राजमहल सीट पर सबसे अधिक छह बार कांग्रेस और दूसरे नंबर पर पांच बार झामुमो का कब्जा रहा है। भाजपा इस सीट पर दो बार चुनाव जीत पाई है।

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