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'श्रद्धा' के बाद रूबिका के टुकड़े-टुकड़े: पहले से शादीशुदा था दिलदार, शरीर के 18 हिस्से मिले; सिर की तलाश जारी

Rabita Murder Case झारखंड के साहिबगंज में 22 वर्षीय महिला की हत्या मामले में चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। पुलिस ने मृतका के चप्पल और कपड़े बरामद किए हैं। वहीं पिता ने बताया कि दामाद दिलदार ने ही उन्हें बेटी की हत्या की खबर दी थी।

By Jagran NewsEdited By: Aditi ChoudharyUpdated: Sun, 18 Dec 2022 12:44 PM (IST)
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पहले से शादीशुदा था पति दिलदार, शरीर के 18 हिस्से मिले; सिर की तलाश जारी
साहिबगंज/बोरियो, जागरण संवाददाता। झारखंड के साहिबगंज में 22 साल की रूबिका की हत्या कर टुकड़े-टुकड़े करने के मामले में पुलिस उसके पति दिलदार और ससुराल वालों से पूछताछ कर रही है। शनिवार को रूबिका की एक अंगूली, एक कंधा, एक कूल्हा, एक हाथ, पीठ का निचला हिस्सा, फेफड़ा एवं पेट के अंश बरामद किए गए थे। रविवार की सुबह पुलिस ने दो अंगुली एंव पेट का हिस्सा आंगनबाड़ी केंद्र बोरियो संथाली से बरामद किया है। हालांकि, अबतक रूबिका का सिर नहीं मिल सका है। पुलिस ने दिलदार के मामा मोईनुल अंसारी के पड़ोसी मैनुल अंसारी के घर से मृतका के चप्पल व कपड़े बरामद किए हैं।

बताया जा रहा है कि स्टैंड किरानी मैनुल अंसारी के फाजिल टोला स्थित आवास में ही दिलदार के मामा मोईनुल अंसारी ने रूबिका की हत्या की थी। फिर लोहे काटने वाली मशीन से शव के कई टुकड़े कर फेंक दिए। घटना के वक्त दिलदार घर पर मौजदू नहीं था, जिसका उसके घरवालों ने फायदा उठाया। किराए के मकान में रह रही रूबिका को दिलदार की मां मरियम खातून अपने साथ ले गई और अपने भाई मोईनुल अंसारी के घर पर पहुंचाया, जहां उसकी निर्ममता से हत्या कर दी गई। 

दिलदार ने रूबिका से की थी दूसरी शादी

अबतक मिली जानकारी के मुताबिक, बोरियो थाना क्षेत्र के गोडा पहाड़ की पहाड़िया समुदाय की युवती 22 वर्षीय रूबिका पहाड़िन और बोरियो बेल टोला के दिलदार अंसारी ने एक-दूसरे से प्रेम विवाह किया था। दिलदार पहले से शादीशुदा था, जिस कारण उसके घरवालों को रूबिका पसंद नहीं थी। दिलदार के पिता मो. मुस्तकीम अंसारी, मां मरियम खातून, पत्नी गुलेरा, भाई अमीर अंसारी समेत अन्य घरवालों को हिरासत में लेकर पुलिस पूछताछ कर रही है। 

आदिवासियों की 32 जनजातियों में एक है पहाड़िया

बता दें कि पहाड़िया आदिवासियों की 32 जनजातियों में से एक है। यह जनजाति पहाड़ों पर रहती है। पहाड़ों पर एक जगह अधिकतम 20-25 घर होता है। दिनोंदिन इन जनजाति की संख्या घटती जा रही है जिले में इनकी आबादी 80-85 हजार के आसपास है। एक अनुमान के मुताबिक, 90 प्रतिशत पहाड़िया धर्मांतरण कर ईसाई बन चुके हैं। संताल परगना की प्रमुख आदिवासी जनजाति संताल से इनकी प्रतिद्वंद्विता है। इस वजह से यह जनजाति पारंपरिक रूप से भाजपा के समर्थक हैं।

झारखंड में भी 'श्रद्धा' जैसा हत्याकांड: लोहे काटने की मशीन से पति ने रूबिक के शव के किए टुकड़े-टुकड़े

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