Ram Mandir: मां की मनाही... आर्थिक तंगी, फिर भी सनातन की अलख जगाने पहुंच गए थे अयोध्या; कौन हैं मदनलाल? प्राण-प्रतिष्ठा में होंगे शामिल
अयोध्या में बन रहे रामलला के भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की तिथि तय होने से बोरियो निवासी मदनलाल साह खुश हैं। पेशे से मजदूर मदनलाल ने भी कारसेवा में बढ़-चढ़ कर भाग लिया था। पुरानी बातों को याद कर वे भावुक हो जाते हैं। कहते हैं कि कारसेवा के लिए बोरियो से 11 लोग तैयार हुए। अपने दोस्तों को जाते देख उनके मन में भी जाने की इच्छा जगी।
जागरण संवाददाता, साहिबगंज। अयोध्या में बन रहे रामलला के भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की तिथि तय होने से बोरियो निवासी मदनलाल साह काफी खुश हैं। पेशे से मजदूर मदनलाल ने भी कारसेवा में बढ़-चढ़ कर भाग लिया था। पुरानी बातों को याद कर वे भावुक हो जाते हैं।
कहते हैं कि कारसेवा के लिए बोरियो से 11 लोग तैयार हुए। अपने दोस्तों को जाते देख उनके मन में भी जाने की इच्छा जगी। इसकी चर्चा मां से की तो उन्होंने मना कर दिया। पिता की मौन सहमति थी। दौड़कर अपने दोस्त श्यामल चंद्र दत्ता के पास गए। उन्होंने साथ चलने की अनुमति दे दी।
सामाजिक कार्यकर्ता ने किया था आर्थिक सहयोग
मदनलाल के समक्ष अब कुछ रुपये के इंतजाम की चुनौती थी। सामाजिक कार्यकर्ता रणधीर साह ने आर्थिक सहयोग किया। उच्च विद्यालय के प्रधानाध्यापक परमानंद साह एवं शिक्षक विजय आर्य ने सभी कारसेवकों को माल्यार्पण कर स्टेशन तक विदा किया।
मदनलाल कहते हैं कि वे लोग जिस ट्रेन से जा रहे थे उसे प्रशासन ने बक्सर में रोक दिया। दो घंटा बाद ट्रेन दोबारा खुली। वे लोग अयोध्या पहुंचे तथा शबरी आश्रम में ठहरे। संगठन के निर्देशानुसार फिर दो घंटे के बाद स्थान परिवर्तन कर दिया गया। सुबह कार सेवा में शामिल हुए। करीब दो ढाई बजे मंदिर परिसर पहुंचे। वहां लाखों कारसेवक मौजूद थे।
परिवार के साथ रामलला के दर्शन के लिए अयोध्या जाएंगे
इसी क्रम में भगदड़ मच गई। एक बूढ़ी मां के घर आश्रय लिया। बूढ़ी मां ने खिचड़ी खिलाई। विवादित ढांचा के मलबा की साफ-सफाई में योगदान किया। उनके 12 साथियों में से विजय सिंह और विनोद भगत का निधन हो चुका है।
तीन भाई एवं तीन बहन में सबसे बड़े मदनलाल साह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक हैं। वे कहते हैं कि पूरे परिवार के साथ रामलला के दर्शन के लिए अयोध्या जाएंगे।