Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Sahebganj News: 250 साल पुराना है राजमहल का पगली दुर्गा मंदिर, यहां पूरी होती है हर मुराद; जानिए इस चमत्कार का रहस्य

झारखंड के साहिबगंज में मां पगली दुर्गा मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। यहां 250 सालों से ज्यादा समय से पूजा-अर्चना होती आ रही है। बताया जा रहा है कि यहां पर दुर्गा पूजा में कई राज्यों से भक्त पहुंचते हैं। दुर्गा पूजा के दौरान मंदिर में काफी भीड़ होती है। ऐसी मान्यता है कि यहां सच्चे मन से मुराद मांगने पर माता रानी पूरी करती हैं।

By Ratan Kumar RayEdited By: Shashank ShekharUpdated: Mon, 09 Oct 2023 03:48 PM (IST)
Hero Image
250 साल पुराना है राजमहल का पगली दुर्गा मंदिर, यहां पूरी होती है हर मुराद

रतन कुमार राय, राजमहल। शक्तिपीठ के रूप में प्रसिद्ध राजमहल प्रखंड के मंडई स्थित मां पगली दुर्गा सिर्फ साहिबगंज जिला ही नहीं, बल्कि संपूर्ण झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल व ओडिशा के साथ-साथ अन्य प्रदेशों में भी प्रवास कर रहे श्रद्धालुओं के लिए भी आस्था का केंद्र है।

250 सालों से भी अधिक समय से यहां पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि सच्चे मन से यहां मांगी गई मन्नत पूर्ण होती है। क्षेत्र के बुजुर्गों की मानें तो पहले राजमहल की आबादी का एक बड़ा हिस्सा मंडई में ही निवास करता था, जो मंड के नाम से जाना जाता था।

लगभग सभी प्रकार के वस्तुओं के व्यापारी उक्त क्षेत्र में अपना व्यवसाय करते थे। इसी क्रम में वहां प्लेग नामक बीमारी फैल गई। स्थिति यह बनी कि लोग वहां से पलायन करने लगे।

ब्राह्मण को सपने में दिखाई दी थी माता- किवदंती 

किवदंती के अनुसार, एक ब्राह्मण परिवार भी इसी क्रम में मंडई छोड़कर जाने की तैयारी कर रहा था। इसी क्रम में एक रात माता ने उसे सपने में बताया कि उस गांव में उनकी बेदी बनाकर अच्छी तरह स्थापित कर पूरे भक्ति भाव से पूजा-अर्चना करो तो सबके कष्ट समाप्त हो जाएंगे।

इसके बाद ब्राह्मण परिवार ने कुछ ऐसा ही किया। इसके बाद वहां स्थिति सामान्य हो गई। इसके बाद यहां धूमधाम से पूजा अर्चना की जाने लगी।

नवमी को मंदिर में पड़ती है बलि

नवमी को प्रत्येक साल एक हजार से अधिक पाठा की बलि यहां दी जाती है। मां पगली दुर्गा मां को दशमी के दिन ही बिना किसी प्रकार की शोभा यात्रा निकाले मंदिर से सटे तालाब में विसर्जित कर दिया जाता है।

मंदिर के पुरोहित सपन अवस्थी बताते हैं कि पूर्व में कई बार भक्तों ने शोभा यात्रा निकालकर प्रतिमा विसर्जन करने का प्रयास किया लेकिन कोई न कोई विघ्न उत्पन्न हो गया। इसलिए माता की प्रतिमा का विसर्जन मंदिर परिसर में ही स्थित तालाब में कर दिया जाता है।

प्रत्येक वर्ष दशमी के दिन यहां ग्रामीण मेला का आयोजन किया जाता है। हालांकि, इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि मेला में किसी भी प्रकार की अश्लीलता से जुड़ा कोई कार्यक्रम न हो। हरेक साल साहिबगंज जिला के साथ-साथ झारखंड व अन्य कई प्रदेशों के भक्त जनों का समागम मां के दरबार में होता है।- संजीव डे, सचिव पूजा कमेटी

यह भी पढ़ें: Jharkhand News: आचार संहिता उल्‍लंघन मामले में सीएम सोरेन की याचिका पर 17 अक्‍टूबर को अगली सुनवाई, 2014 का है मामला

मां पगली दुर्गा के प्रति भक्तों की श्रद्धा का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि सप्तमी पूजन से ही यहां भक्तों की भारी भीड़ लगी रहती है। एक ओर जहां स्थानीय पुलिस प्रशासन द्वारा सुरक्षा के प्रबंध किए जाते हैं। वहीं, पूजा कमेटी के सदस्यों के द्वारा भी सुरक्षा को लेकर काफी चौकसी बरती जाती है।- सुबोध महतो, अध्यक्ष, पूजा कमेटी

यह भी पढ़ें: Train News: एक घंटा लेट चलेगी खड़गपुर- गोमो एक्सप्रेस, इस हफ्ते 6 ट्रेनें रद्द तो 10 ट्रेनों के बीच में ही थम जाएंगे पहिए

आपके शहर की तथ्यपूर्ण खबरें अब आपके मोबाइल पर