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Jharkhand News: भाड़े के स्टाफ के भरोसे चल रहा सखी वन स्टाॅप सेंटर, चार साल में मात्र 82 पीड़ित महिला पहुंची

साहिबगंज के सखी वन स्टाॅप सेंटर में अपना कोई स्टाफ नहीं है जो किसी केस को सुलझा सके। यहां स्थायी रुप से न तो केस वर्कर है और न काउंसलर है न इंचार्ज है। यह सेंटर सिर्फ दो पीएलवी स्‍टाफ सुविधा देवी व प्रेम लता टुड्डू के सहारे चलता है। इस सेंटर का उद्घाटन वर्ष 2019 में हुआ था तब से लेकर अब तक 82 पीड़ित महिलाएं पहुंची हैं।

By Shiv Shankar KumarEdited By: Arijita SenUpdated: Thu, 23 Nov 2023 02:37 PM (IST)
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भाड़े के स्टाफ के भरोसे सखी वन स्टाॅप सेंटर।
शिव शंकर कुमार, साहिबगंज। केन्द्र प्रायोजित महत्वाकांक्षी योजना जिला में संचालित सखी वन स्टाॅप सेंटर में अपना स्टाफ नहीं है, जो किसी केस का निष्पादन कर सके। इस सेंटर का उद्घाटन वर्ष 2019 में ओल्ड नवोदय स्कूल के प्रांगन में हुआ था। बाद में विभाग के द्वारा अपना भवन बनाकर मुख्य सड़क सदर अस्पताल के मुख्य गेट के समक्ष खोल दिया गया है।

अब तक नहीं हो सकी है स्‍टाफ की नियुक्ति

सेंटर खुलने के बाद विभिन्न पदों के लिए बहाली होने की बात आयी थी, लेकिन आज तक गाइड लाइन नहीं मिलने की वजह से स्टाफ की नियुक्ति नहीं हो सकी।

मजबूरन डालसा (जिला विधिक सेवा प्राधिकार) ने अपने दो स्टाफ पीएलवी सुविधा देवी व प्रेम लता टुड्डू के सहारे सेंटर को चलाया जा रहा है। एक पीएलवी से माह में आठ दिन ड्यूटी लिया लिया जाता है। 

दोनों पीएलवी अलटरनेट काम करते हैं यानि माह के 15 दिन काम होता बाकी दिन छुट्टी रहती है। यही वजह है असहाय, मानसिक रूप से पीड़ित महिला व लड़कियों का निष्पादन होने में परेशानी होती है क्योंकि स्थायी रुप से न तो केस वर्कर है और न काउंसलर है न इंचार्ज है। इस सेंटर में कम से कम आठ से दस स्टाफ की जरुरत है।

सखी वन स्टाॅप सेंटर का संचालन व माॅनिटरिंग जिला समाज कल्याण विभाग से किया जाता है। एक साथ पांच पीड़िता को अधिकतम पांच दिनों तक रखने का प्रावधान है। 2023 में अब तक 15 केस मिला है और उद्घाटन से आज तक 82 केस का निष्पादन हुआ है।

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क्या हैं वन स्टाॅप सेंटर स्कीम

वन स्टाॅप सेंटर को सखी वन स्टाॅप सेंटर के नाम से भी जाना जाता है। सखी - एक वन स्टाॅप सेंटर है जो बेघर, हिंसा या विपत्तिजनक स्थिति से पीड़ित महिलाओं को आश्रय देता है।

केवल इतना ही नहीं इस एक छत के नीचे महिलाओं को पुलिस सुविधा, चिकित्सा सहायता, विधिक सहायता और परामर्श, मनो-सामाजिक परामर्श जैसे अनगिनत सेवाएं प्रदान करता है।

यहां न सिर्फ अधेड़ महिलाएं, बल्कि युवा लड़कियां और बच्चियों को भी सहारा दिया जाता है। ये बच्चियां किसी न किसी तरह से प्रताड़ित होती हैं कोई दुष्कर्म पीड़ित होती हैं तो कोई अपने ही घरवालों पर बोझ बनी होती है।

ऐसी बच्चियों को न तो घर वाले अपनाते हैं और न ही इन्हें समाज में रहने की जगह मिलती हैं। इस परिस्थिति में सखी- वन स्टाॅप सेंटर इनको मदद प्रदान करता है। इन्हें डिप्रेशन से उभरने में मनो चिकित्सक का परामर्श तक देने की सुविधा यहां मौजूद होती है।

यहां जिंदगी जीने की इच्छा छोड़ चुकी महिलाओं को जीवन जीने का हौसला मिलता है। उन्हें सखी में एक घरेलू वातावरण दिया जाता है, जिससे उन्हें अपने ज़िन्दगी में परिवार की कमी महसूस न हो। उन्हें कई सिलाई, कढ़ाई, दोना बनाने और कई आर्ट-क्राफ्ट का प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वो आत्मनिर्भर बन सकें।

क्या कहा प्रभारी केन्द्र अधीक्षक ने

जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी सह सखी वन स्टाॅप का प्रभारी केन्द्र अधीक्षक पूनम कुमारी ने बताया कि सरकार से गाइड लाइन नहीं आने से स्टाफ का बहाली नहीं हो रही है।

एक बार विज्ञप्ति निकाल था, लेकिन रद्द कर दिया गया था। निश्चित रुप से सारे स्टाफ का बहाली हो जाता तो केस का निष्पादन में सहूलियत होता।

डालसा स्टाफ के नहीं रहने पर चाइल्ड लाइन का कार्यालय अस्थाई रुप से खोला गया है। डालसा के साथ चाइल्ड लाइन का भी सहयोग लिया जाता है।

2023 में जाने माह वार केस की संख्या

जनवरी -- 00

फरवरी -- 03

मार्च -- 01

अप्रैल -- 00

मई- 03

जून -- 00

जुलाई- 02

अगस्त - 02

सितंबर- 02

अक्टूबर- 01

नवंबर- 01

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