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Alamgir Alam: कौन हैं आलमगीर आलम, जो दूसरी बार बने मंत्री; झारखंड की इस सीट पर शुरुआत से रहा है दबदबा

पाकुड़ विधानसभा से कांग्रेस के चार बार विधायक रहे कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने झारखंड में दूसरी बार मंत्री पद का शपथ लिया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के इस्तीफे के बाद शुक्रवार को झामुमो विधायक चंपई सोरेन झारखंड के 12वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। इससे पहले आलमगीर आलम 20 अक्टूबर 2006 से 12 दिसंबर 2009 तक झारखंड विधानसभा अध्यक्ष पद पर आसीन थे।

By Shankar Lal Ghose Edited By: Shashank ShekharPublished: Fri, 02 Feb 2024 04:28 PM (IST)Updated: Fri, 02 Feb 2024 04:36 PM (IST)
Alamgir Alam: कौन हैं आलमगीर आलम, जो दूसरी बार बने मंत्री;

संवाद सहयोगी, बरहड़वा(साहिबगंज)। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के इस्तीफे के बाद शुक्रवार को झामुमो विधायक चंपई सोरेन झारखंड के 12वें मुख्यमंत्री के साथ पाकुड़ विधानसभा से चार बार विधायक बने कांग्रेस के विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने झारखंड में दुसरी बार मंत्री पद का शुक्रवार को शपथ ली।

आलमगीर आलम झारखंड में पहली बार साल 2019 के विधानसभा चुनाव में पाकुड़ विधानसभा से चुनाव जीतने के बाद 29 दिसंबर 2019 को महागठबंधन के हेमंत सोरेन की सरकार में मंत्री पद का शपथ लिया था। आलमगीर आलम झारखंड सरकार में संसदीय कार्य सह ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री बने।

इसके पूर्व आलमगीर आलम 20 अक्टूबर 2006 से 12 दिसंबर 2009 तक झारखंड विधानसभा अध्यक्ष पद पर आसीन थे। उन्होंने अपनी राजनीतिक कैरियर की शुरुआत 1978 में गृह पंचायत महराजपुर से सरपंच पद का चुनाव जीतने के बाद शुरू किया। उनके सरल स्वभाव और न्याय विचार के कारण धीरे-धीरे लोकप्रियता बढ़ती गई।

आलमगीर के चाचा भी रहे हैं कांग्रेस से विधायक

उनके चाचा हाजी एनुल हक कांग्रेस के विधायक थे। इसलिए, शुरू से ही आलमगीर आलम कांग्रेस के विचारधारा से प्रेरित होकर कांग्रेस के संगठन में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे थे। राजनितिक में बढ़ते सक्रियता को देख उनके चाचा हाजी एनुल हक ने पाकुड़ विधानसभा का उत्तराधिकारी सौंपते हुए 1995 में आलमगीर आलम को कांग्रेस का प्रत्याशी बनाया गया, लेकिन भाजपा प्रत्याशी बेणीप्रसाद गुप्ता से हार की मुंह देखनी पड़ी।

आलमगीर आलम ने इस हार को जीत में बदलने के लिए क्षेत्र में लगातार मेहनत किया, उनका मेहनत रंग लाई और 2000 में पाकुड़ विधानसभा से बेणीगुप्ता को हरा कर पहली बार विधायक बना। उस समय झारखंड एकीकृत बिहार राज्य में था।

चार बार कांग्रेस से रहे विधायक

बिहार सरकार में आलमगीर आलम को पहली बार विधायक के साथ लघु सिंचाई मंत्री बने। मंत्री आलमगीर आलम पाकुड़ विधानसभा से वर्ष 2000, 2005, 2014 एवं 2019 चार बार कांग्रेस से विधायक बना है। वहीं, वर्ष 1995 एवं 2009 के विधानसभा चुनाव में हार का स्वाद भी चखा है।

आलमगीर आलम झारखंड राज्य के साहिबगंज जिला के बरहड़वा प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत इस्लामपुर गांव का रहने वाला है। उनका जन्म 1954 में हुआ था। उनके पिता का नाम स्व. सनाउल हक, माता अमीना खातुन, पत्नी निशात आलम, बेटा तनवीर आलम एवं एक बेटी है। आलमगीर आलम तीन भाई हैं, रैसुल आलम और अमीरूल आलम, अमीरुल आलम का कोरोना महामारी से 2022 में उनकी मौत हो गई है।

कांग्रेस नेता ने BSC तक कर रखी है पढ़ाई

आलमगीर आलम ने बीएससी तक पढ़ाई की। उनका बेटा तनवीर आलम कांग्रेस के झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रदेश महासचिव है।

आलमगीर आलम को दोबारा मंत्री बनने पर कांग्रेस जिला अध्यक्ष बरकत खान, बीस सूत्री प्रखंड अध्यक्ष अशोक कुमार दास, कांग्रेस प्रखंड अध्यक्ष रंजीत टुडू, ओबीसी विभाग के प्रदेश महासचिव अश्विनी कुमार आनंद, यूवा कांग्रेस के जिला उपाध्यक्ष तपेश्वर प्रसाद साहा सहित अन्य दर्जनों कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बधाई दी है।

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