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सरायकेला सीट पर मुकाबला दिलचस्प, CM हेमंत ने चंपई के खिलाफ खोल दिए पत्ते; दो बागी नेताओं के बीच कड़ी टक्कर

सरायकेला विधानसभा सीट पर चंपई सोरेन और गणेश महाली के बीच एक दिलचस्प मुकाबला होने वाला है। दोनों नेता पहले भी दो बार आमने-सामने हो चुके हैं और इस बार भी उनके बीच कांटे की टक्कर होने की उम्मीद है। चंपई सोरेन ने पहले झामुमो से चुनाव जीता था लेकिन अब वे भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं जबकि गणेश महाली झामुमो में शामिल हो गए हैं।

By Gurdeep Raj Edited By: Mukul Kumar Updated: Sun, 27 Oct 2024 10:55 AM (IST)
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CM हेमंत ने चंपई के खिलाफ खोल दिए पत्ते
जागरण संवाददाता, सरायकेला। सरायकेला विधानसभा सीट पर दो बागी नेता आमने सामने खड़े हो गए हैं। दोनों के बीच दिलचस्प मुकाबला होने वाला है। पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन झामुमो को छोड़कर भाजपा में शामिल हो चुके हैं तो वही भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो भाजपा को छोड़कर गणेश महाली झामुमो में शामिल हो गए हैं।

नामांकन वाले दिन ही झामुमो व भाजपा के कार्यकर्ताओं में जोश देखते बन रहा था। दोनों अभी से ही एक दूसरे को पछाड़ने में लगे हुए थे। वर्ष 2014 व 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में दोनों ही प्रत्याशियों के बीच आमने सामने मुकाबला हो चुका है।

चंपई व गणेश के बीच होने जा रहा मुकाबला

अब फिर एक बार 2024 के विधानसभा चुनाव में चंपई व गणेश के बीच मुकाबला होने जा रहा है। वर्ष 2014 में हुए विधानसभा चुनाव में चंपई सोरेन को 94,746 मत मिले थे तो गणेश महाली को 93631 मत मिले थे। मात्र 1,115 हजार मतों से चंपई सोरेन विजयी हुई थी।

इतने कम मत आने से चंपई सोरेन ने 2019 के विधानसभा चुनाव में बूथ मैनेजमेंट को टाइट किया और फिर झामुमो प्रत्याशी चंपई सोरेन को 1,11,556 मत मिले और भाजपा प्रत्याशी गणेश महाली को 95,887 मिले।

इस बार 15,669 मत अधिक चंपई सोरेन को मिले और फिर से वे चुनाव जीत गए, लेकिन इस बार वही झामुमो कार्यकर्ता गणेश महाली के साथ हैं, जो चंपई सोरेन को विजय का ताज पहना रहे थे।

भीतरघात होने की पूरी संभावनाएं

दूसरी ओर, चंपई सोरेन के साथ वही भाजपा कार्यकर्ता हैं, जो गणेश महाली को जीत के अंतिम पायदान तक ले जाने में अपनी भूमिका निभा रहे थे। जानकारों की मानें तो सरायकेला विधानसभा सीट पर झामुमो व भाजपा के कार्यकर्ताओं के बीच भीतरघात होने की पूरी संभावनाएं बनी हुई है।

सरायकेला विधानसभा सीट पर 1967 में पहली बार जनसंघ के रुद्र प्रताप षाडंगी को जीत मिली। 1977 में जनता पार्टी के कांटे माझी जीते फिर 1980 में भाजपा ने सीट पर कब्जा किया। फिर 1985 में झामुमो के कृष्णा मार्डी, 1990 में फिर से कृष्णा मार्डी ने जीत दर्ज की।

1991 से चंपई सोरेन ने सीट पर कब्जा जमा लिया। 2000 में भाजपा के अनंत राम टुडू ने जीत हासिल की। फिर 2005 से 2019 तक झामुमो से चंपई सोरेन के ही इस सीट पर कब्जा रहा। अब फिर एक बार 2024 में भाजपा प्रत्याशी के रुप में चंपई सोरेन का मुकाबला झामुमो के गणेश महाली से है।

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