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Jharkhand Train Accident: फिर 120 की स्पीड से दौड़ेंगी ट्रेनें, अप-डाउन और थर्ड लाइन तैयार; चल रहा ट्रायल

Jharkhand Train Accident चक्रधरपुर मंडल के पोटोबेड़ा गांव के पास हावड़ा-मुंबई मेल हादसे के बाद क्षतिग्रस्त हुई पटरियों को दुरुस्त कर लिया गया है और ट्रेन फिर से दौड़ने को तैयार है। तीनों पटरियां दुरुस्त कर लिया गया है। थर्ड लाइन की मरम्मत के बाद से ट्रेनों का परिचालन शुरू कर दिया गया है। इसके अलावा अप और डाउन लाइन की पटरियों को भी दुरुस्त कर लिया गया है।

By Gurdeep Raj Edited By: Shashank Shekhar Updated: Thu, 01 Aug 2024 04:48 PM (IST)
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हादसे के बाद दुरुस्त हुई तीनों पटरियां। फोटो- जागरण

जागरण संवाददाता, सरायकेला खरसावां। Jharkhand Train Accident चक्रधरपुर रेल मंडल के पोटोबेड़ा गांव के पास हावड़ा-मुंबई मेल ट्रेन हादसे के दो दिन बाद पटरियों पर फिर से ट्रेन दौड़ने के लिए तैयार हो चुकी है। थर्ड लाइन, अप और डाउन तीनों पटरियों को दुरुस्त कर दिया गया है।

थर्ड लाइन की मरम्मत के बाद इस पर बुधवार रात से ही ट्रेनों का परिचालन शुरू कर दिया गया। अप व डाउन लाइन दोनों ही पटरियों को दुरुस्त कर लिया गया है। अब इनमें भी परीक्षण किया गया जा रहा है। शुरुआत में इस रूट से गुजरने वाली ट्रेनों को काफी कम रफ्तार से गुजरने दिया जाएगा।

ट्रेन गुजरने के बाद दोबारा ट्रैक की जांच होगी। ठीक रहा तो ट्रेन फिर से 120 की रफ्तार गुजरेगी। सरायकेला-खरसावां के उपायुक्त रवि शंकर शुक्ला रेल परिचालन सामान्य करने के लिए किए जा रहे कार्यों के पल-पल की जानकारी ले रहे है। खरसावां बीडीओ और सीओ ने भी कार्यों के प्रगति की जानकारी ली।

अब तक कोच में ही फंसे हैं यात्रियों के चप्पल-जूते

ट्रेन हादसे के बाद करीब 18 कोच क्षतिग्रस्त हो गए थे, जिसमें से पांच एसी कोच, एक पेंट्री कार व अन्य कोच शामिल है। कई कोच एक दूसरे कोच के उपर चढ़ जाने के कारण कोच के परखच्चे उड़ गए थे। ऐसे में अंदर की स्थिति भयावह थी।

एसी कोच में लगी एसी तक उखड़ के बाहर निकल आए थे। एसी कोच की सीटें लगभग टूट चुकी है। कुछ यात्रियों के कपड़े अब भी एसी कोच में भी छूटे हुए हैं। दर्जनों चप्पल-जूते कोच में ही फंसे हैं।

मशीन के माध्यम से ट्रैक पर बिछाई जा रही गिट्टी

हादसे के बाद तीनों ट्रेक अपनी जगह से उखड़ गए थे, जिसके बाद क्रेन और लिफ्टिंग मशीन से क्षतिग्रस्त कोच को पटरियों से उठाकर अलग रखा गया। सबसे पहले थर्ड लाइन को दुरुस्त किया गया। मशीन के जरिये ट्रैक पर गिट्टी बिछाई गई। दो सौ से ज्यादा रेलवे कर्मचारी और मजदूर ट्रैक दुरुस्त करने के लिए दो दिन से दिन-रात लगे हैं।

ट्रैक में नई लाइन बिछाई गई, जिसके बाद एक-एक कर तीनों लाइन को गुरुवार शाम तक दुरुस्त कर लिया गया। लाइन दुरुस्त करने के बाद ओएचई (ओवरहेड) का कनेक्शन भी जोड़ दिया गया है ताकि परिचालन में दिक्कत न हो।

ट्रेन परीक्षण के दौरान पटरियों के दोनों ओर रहते हैं रेलकर्मी

पटरियों को दुरुस्त करने के बाद जैसे ही ट्रेन उन पटरियों पर चलाई जाती है। दोनों ओर रेलकर्मी रहते हैं। वे निगाह जमाए रहते हैं कि कहां से पटरियां हिल रही है। उसके बाद उसे दुरुस्त किया जा रहा है।

घटनास्थल पर अब भी संचालन हो रहा हेल्पलाइन

घटनास्थल पर अब भी जिला प्रशासन और रेलवे की ओर से हेल्पलाइन का संचालन हो रहा है। बकायदा कर्मचारी दिन रात हेल्पलाइन नंबर पर आने वाले फोन रीसिव कर रहे हैं और जानकारी उपलब्ध करा रहे हैं।

15 से ज्यादा हेलोजन घटनास्थल पर लगाए गए

घटनास्थल पर दिन रात काम हो रहा है इस कारण करीब 15 से ज्यादा हेलोजन को यहां लगाया गया है ताकि रात में भी दिन की तरह उजाला रहे और यहां नजर आए, जिससे काम करने में कर्मचारी को दिक्कत न हो।

शौचालय लगा वाहन का इस्तेमाल कर रहे कर्मचारी

दो दिनों से लगातार यहां पटरियों को दुरुस्त करने का काम किया जा रहा है। यहां शौच के लिए कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण रेलवे ने यहां शौचालय युक्त वाहन मंगा कर रखा गया है, जिससे काम करने वाले कर्मचारी इसका इस्तेमाल कर सके।

साथ ही यहां बारिश के दौरान आराम करने के लिए पंडाल का निर्माण भी कराया गया है ताकि कर्मचारी बारिश में भींगने से बच सके। इतना ही नहीं, रेलवे कर्मचारी बरसाती पहनकर बारिश आने के बाद भी काम में जुट रहे।

राहत कार्य में ग्रामीणों का मिला भरपूर सहयोग

रेल पटरियों से दुर्घटनाग्रस्त ट्रेन के मलबे को हटाने के दौरान स्थानीय लोगों का भी भरपूर सहयोग मिला। स्थानीय लोग युवा रेल कर्मियों की हर तरह से सहायता कर रहे है। किसी तरह के छोटे-मोटे सामान उपलब्ध कराने में खासकर युवा वर्ग आगे आ रहे हैं।

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