World Snake Day: झारखंड के इस जिले में है सांपों की भरमार, हर घर से निकलते हैं सैंकड़ों सांप
World Snake Day हर साल 16 जुलाई को वर्ल्ड स्नेक डे मनाया जाता है और यह दिन साल 1970 से मनाया जा रहा है। ऐसे में झारखंड के सरायकेला खरसावां जिले में जहरीले सांपों की भरमार है और हर महीने यहां 20-25 लोग सांप के काटने से सदर अस्पताल पहुंचते हैं। इसको देखते हुए सदर अस्पताल में करीब 380 से 400 एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन उपलब्ध कराए गए हैं।
जागरण संवाददाता, सरायकेला। World Snake Day इंसानों के साथ साथ कई जीव-जंतुओं भी इस पृथ्वी में निवास करते हैं। पृथ्वी में कई प्रकार के कीट-पतंगे, जानवर, पक्षी और जीव-जंतु आदि पाए जाते हैं।
सांप इन्हीं में से एक है। सांप एक ऐसा जीव है, जिसे देखते ही लोग डर से कांपने लगते हैं। लेकिन साल में एक दिन ऐसा भी है, जो खासतौर पर सांपों के लिए समर्पित है।
16 जुलाई को मनाया जाता है वर्ल्ड स्नेक डे
प्रत्येक वर्ष 16 जुलाई को वर्ल्ड स्नेक डे मनाया जाता है। इस दिन को मनाने की शुरुआत सबसे पहले साल 1970 हुई है। ऐसा माना जाता है कि साल 1967 में टेक्सास में सांपो के लिए एक फर्म की शुरुआत हुई, जो धीरे-धीरे 1970 तक काफी मशहूर हो गई।इस फर्म ने लोगों को सांपो के प्रति जागरूक करने का भी काम किया। इस दौरान फर्म ने ही 16 जुलाई को सांपों को लेकर विशेष आयोजन किए, जिसे देख बाद में अन्य एनजीओ ने भी सांपों के बारे जागरूकता फैलानी शुरू कर दी।सरायकेला खरसावां जिले में जहरीले सांपों की भरमार हैं। प्रत्येक माह 20-25 लोग सांप के काटने से सदर अस्पताल पहुंचे हैं। जिसको देखते हुए सदर अस्पताल में करीब 380 से 400 एंटी स्नेक वेनम इंजेक्शन उपलब्ध रखे गए हैं।
सांप को मारते ही पश्चाताप की आग में झुलसने लगा था सरायकेला का स्नैक मैन
सरायकेला धोबी साई वार्ड नंबर चार निवासी राजा बारिक की जब उम्र करीब 14 वर्ष थी तो वह अपने छोटे भाई के साथ जमीन पर मच्छर दानी लगा कर सोया था। इसी दौरान जब उसकी नींद खुली तो उसने देखा की कभी सांप उसके भाई के छाती पर तो कभी उसके छाती पर रेंग रहा था।लेकिन राजा ने अपने भाई को नहीं उठाया और खुद किसी तरह चुपचाप लेटे रहा। थोड़ी देर में सांप मच्छरदानी से बाहर निकल कर जैसे ही चौखट पार करने लगा। राजा ने उस सांप को अपने हाथों से मार दिया। सांप के मरते ही उसे पश्चाताप होने लगा और उसी दिन से उसके अंदर जीव जंतू के प्रति प्रेम उमड़ने लगा।
उसने ठान लिया कि किसी भी जीव जंतू को वह नही मारेगा और न ही मारने देगा। फिर वह जीव जंतु की सेवा में ही लीन हो गया। इस दौरान उसने देखा कि कई लोग सांपों को भयवश मार रहे हैं। तब 2010 में राजा बारिश ने रांची के मोहरावादी मैदान में तीन माह तक सांप पकड़ने की प्रशिक्षण लिया।प्रशिक्षण लेने के बाद उसे निश्शुल रुप से सांप पकड़कर जंगल में छोड़ना शुरु किया। वर्ष 2023 में राजा बारिक की नौकरी वन विभाग में हुई। राजा ने बताया कि अब तक उसने 13 से 14 हजार जहरीलें सांपों का रेस्क्यू कर जंगल में छोड़ने का काम किया है।
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