ओलिपियन पर पैसों की वर्षा, तैयारी पर नहीं है ध्यान
ओलिंपिक में मेडल प्राप्त करने पर खिलाड़ियों पर पैसे की बारिश होती है लेकिन
By JagranEdited By: Updated: Tue, 10 Aug 2021 09:34 PM (IST)
सिमडेगा : ओलिंपिक में मेडल प्राप्त करने पर खिलाड़ियों पर पैसे की बारिश होती है, लेकिन ओलिपियन बनने के लिए संघर्षरत खिलाड़ियों पर ध्यान कम ही जाता है। सिमडेगा जिला भी इसकी बानगी है। दर्जनों राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ियों के साथ-साथ तीन ओलिपियन देने वाले सिमडेगा जिले में आज भी खिलाड़ी संषर्ष कर रहे हैं। दरअसल कोरोना काल में आवासीय ट्रेनिग सेंटर बंद होने के बाद खिलाड़ी लगातार अपने घरों में हैं और वे घर में रूखा-सूखा भोजन कर एवं खेतों में काम कर खुद को फिट रखने में जुटे हुए हैं। स्थिति यह है कि खिलाड़ी नमक-प्याज के साथ माड़-भात खाकर अभावों के मैदान में हॉकी का अभ्यास कर रहीं हैं। राष्ट्रीय मैचों में राज्य को गोल्ड-सिल्वर दिलाने वाली बेटियों को 17 महीने से पौष्टिक आहार की राशि नहीं मिली है। कोरोना में अप्रैल 2020 में सबको घर भेज दिया गया। फिटनेस और प्रैक्टिस के लिए खिलाड़ियों के खाते में राशि भेजनी थी। हर एक को 175 रु. प्रतिदिन मिलने थे, पर नहीं मिले। मजबूरी में माड़-भात खाने और मजदूरी करने को मजबूर हैं। सिमडेगा की दीप्ति कुल्लू राज्य को हाकी खेलों में कई गोल्ड-सिल्वर मेडल दिला चुकी हैं। दीप्ति के परिवार की आमदनी इतनी नहीं कि फिटनेस के लिए दूध, पनीर और मांसाहार भोजन की व्यवस्था कर सकें। दीप्ति के अनुसार, खुद को फिट रखना चुनौती है। जबतक शरीर में सांसें हैं, खेल के लिए समर्पित रहूंगी। वह मंगलवार को भी खेत में रोपा रोप रही थी। उसने कहा कि पौष्टिक आहार जरूरी है। लेकिन घर की हालात के आगे वह मजबूर है। किसी तरह पौष्टिक भोजन की कोशिश कर रही है।भले ही वो माड़-भात से ही मिले।
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