JAC Board 2023: दोस्तों से किताब उधार लेकर अलिशा बनीं जिला टॉपर, बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर चलाती खर्च
अलिशा निषाद ने 459 अंक प्राप्त कर पश्चिमी सिंहभूम जिले में टॉप किया है लेकिन यह इतना आसान नहीं था। अलिशा के पिता मछली बेचकर जैसे-तैसे परिवार का खर्च चलाते हैं। ऐसे में अलिशा के पास किताबें तक खरीदने के पैसे नहीं थे।
जागरण संवाददाता, चाईबासा। पढ़ाई की लगन और मेहनत से हर मंजिल आसान होता है। जैक बोर्ड के इंटर विज्ञान में अलिशा निषाद ने 459 अंक प्राप्त कर पश्चिमी सिंहभूम जिला टापर होने का गौरव हासिल किया है।
अलिशा के पिता बाजार में बेचते हैं मछली
संत जेवियर बालिका इंटर कालेज चाईबासा की छात्रा अलिशा विपरित परिस्थिति में भी कभी हार नहीं मानी। पिता रमेश निषाद मछली व्यापारी है, जो बाजारों में मछली बेच कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। जबकि माता शोभा देवी गृहणी है। इस संबंध में जानकारी देते हुए अलिशा ने कहा कि जिला टापर होने की खुशी है, लेकिन लक्ष्य राज्य के टाप पांच में आने का था।
सिविल सर्विस में आगे बढ़ना चाहती हैं अलिशा
अलिशा ने बताया कि माता-पिता, स्कूली शिक्षकों के बदौलत ही आज यह उपलब्धि मिली है। परिवार आर्थिक रुप से उतना मजबूत नहीं है कि दूर कहीं और रहकर पढ़ाई के बारे सोचे इसलिए आगे की पढ़ाई जमशेदपुर वुमेंस कालेज से करेंगे। लेकिन करियर बनाने के लिए यूपीएससी को लक्ष्य लिये हुए हैं।
आंखों में सपने लिए रात-रात जगकर पढ़ती थीं अलिशा
उन्होंने कहा कि मेरे परिवार में पढ़ाई का कोई माहौल नहीं था, लेकिन मां ने हर जगह मेरा साथ दिया। 12 वीं की पढ़ाई मैंने बिना किताब खरीदे की हूं। शिक्षक और दोस्त बहुत अच्छे मिले, उन्होंने पूरा सपोर्ट किया।
दोस्त से विषयवार किताब स्कूल के बाद ले जाती थी, जिसे रात में पढ़ कर सुबह वापस कर देती थी। साथ ही आनलाइन से भी बहुत पढ़ाई में मदद मिली।
अलिशा को पढ़ाई के साथ है डांस का भी शौक
अलिशा कहती हैं, किताब की कमी महसूस होने के बावजूद कुछ नहीं कर सकती थी क्योंकि किताब खरीदने के पैसे नहीं थे। अपनी पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए मोहल्ले के कुछ बच्चों को ट्यूशन क्लास भी देती थी। मैं घर में बड़ी बहन हूं तो छोटी तीन बहनों में भी पढ़ाई को लेकर लगन देख रही हूं।
वह आगे कहती हैं, रोजाना 4-5 घंटा पढ़ाई के लिए स्कूल के अतिरिक्त निकाल लेते थे। वहीं पढ़ाई के अलावा मुझे डांस का भी शौक है। खुद पढ़ाई पर मेहनत करने से सफलता जरुर मिलता है। शिक्षक मार्गदर्शन करते हैं, पर मेहनत बच्चों को ही करना पड़ता है।