Bhopal Gas Tragedy: दशकों से पीड़ितों के लिए लड़ रहे 'सतीनाथ' कौन हैं? भयावह थी 2 दिसंबर की वो रात, आज भी अपाहिज बच्चे ले रहे जन्म
Bhopal Gas Leak दो दिसंबर 1984 में हुई भोपास गैस त्रासदी में पंद्रह हजार से अधिक जानें गई थी। प्रभावितों की संताने अब तक अपाहिज जन्म ले रही हैं। गैस त्रासदी से पीड़ित लोगों को सतीनाथ सारंगी दशकों से इंसाफ दिलाने के लिए आवाद बुलंद कर रहे हैं। झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम के चक्रधरपुर में ही सतीनाथ का जन्म हुआ था। आइए उनके जीवन के बारे में जानते हैं।
दिनेश शर्मा, चक्रधरपुर। भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों के रियल हीरो डॉक्टर सतीनाथ सारंगी ने अपना सम्पूर्ण जीवन उनके नाम कर दिया है। अपने जीवन के चार दशक गैस प्रभावितों के हक की आवाज बुलंद करने व सेवा सुश्रुशा में बिता दिए। ऐसे में, चक्रधरपुर की पावन धरा को सतीनाथ पर रश्क होना लाजिमी है।
झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम के चक्रधरपुर में ही सतीनाथ का जन्म हुआ। 25 सितंबर 1954 को जन्मे सतीनाम के परिजन चक्रधरपुर शहरी क्षेत्र के पुरानी बस्ती में रहते हैं। पुरानी बस्ती सतीनाथ का ननिहाल है। ओडिशा के बड़े कांग्रेस नेता रहे विजय कुमार पाणि इनके मामा एवं कान्हू कुमार पाणि नाना हैं।
सतीनाथ के पिता फणीभूषण पाणि आरपीएफ में इंस्पेक्टर थे। अक्सर उनका तबादला हो जाता था, इसलिए उनकी शिक्षा दीक्षा कई शिक्षण संस्थानों में हुई। उनके ममेरे भाई डा. बीके पाणि जमशेदपुर में जाने माने नेत्र रोग विशेषज्ञ हैं।
आरपीएस इंटर कालेज चक्रधरपुर के प्राचार्य रहे प्रोफेसर कणाद त्रिपाठी व उनकी बहन श्रीमती शिखा त्रिपाठी सतीनाथ के भौसेरे भाई-बहन हैं। शिखा त्रिपाठी सतीनाथ की सहपाठी भी रहीं, जिससे शिखा को उनकी जिंदगी के कई अनछुए पहलुओं की जानकारी है।
सतीनाथ की शिक्षा कई जगह हुई, लेकिन चक्रधरपुर में उनके जीवन का बचपन गुजरा। बचपन से ही अत्यंत कुशाग्र रहे सतीनाथ ने 1980 में इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय वाराणसी से मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग में एमटेक किया।
इसी साल पीएचडी के लिए इनरोलमेंट किया, लेकिन भोपाल गैस त्रासदी के बाद ड्राप आउट कर गए। 2-3 दिसंबर 1984 की रात भोपाल में यूनियन कार्बाइड के संयंत्र से जहरीली गैस मिथाइल आइसो सायनाइट का रिसाव हुआ और पूरी दुनिया इस व्यापक हादसे से अवाक रह गई।
सेवा को संगठन बना आंदोलन को दी धार
भोपाल त्रासदी के बाद दिसंबर 1984 में ही सतीनाथ में यूनियन कार्बाइड विकटिम्म के लिए जहरीली गैस कांड संघर्ष मोर्चा का गठन किया। 1986 में बड़े पैमाने पर मोर्चा संभालने के लिए भोपाल पुष फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन नामक संगठन की स्थापना की।
इसके बाद 1989 में भोपाल गैस पीड़ितों की आवाज बुलंद करने व हक दिलाने को विदेशों में कैपेन दूर की राह पकड़ी। यूनाईटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका, यूनाईटेड किंगडम, आयरलैंड एवं नीदरलैंड में कैपेन दूर कर प्रभावितों के हक में आवाज उठाई।
कालांतर में आदोलन जारी रखते हुए वर्ष 2006 एवं 2008 में दिल्ली में भूख हड़ताल पर बैठे। 2009 में एक बार फिर दुनिया को गैस पीड़ितों की भयावहता से रूबरू कराने के लिए सतीनाथ ने भोपाल-यूरोप बस टूर किया।
रायल्टी से बना गायनाकोलॉजी सेंटर
डॉक्टर सतीनाथ की मौसेरी बहन श्रीमती शिखा त्रिपाठी ने बताया कि चमकदार कैरियर त्याग कर जहरीली गैस पीड़ितों की मदद के लिए सतीनाथ को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। बीबीसी लंदन के ब्रिटिश पत्रकार यह साहित्यकार डोमिनिक लेपिअर सतीनाथ की प्रतिबद्धता से प्रभावित हुए।
ब्रिटिश पत्रकार ने सतीनाथ की गैस पीड़ितों की मदद के लिए आर्थिक मदद की। अपनी सुप्रसिद्ध रचना सिटी ऑफ जॉय की रायल्टी पीड़ितों की मदद को दे दी। सिटी ऑफ जॉय की रॉयल्टी से ही बाद में गायनाकोलॉजी सेंटर का निर्माण हुआ, जहां प्रभावित महिलाओं का इलाज व रिसर्च किया जा रहा है।
सतीनाथ को प्राप्त अवार्ड्स
- यूनिवर्सिटी गोल्ड मेडल टॉपिंग एमटेक-बोएचयू।
- डिस्टिंगुईस अल्युमिनस अवार्ड 2008 बीएचयू।
- ऑनरी पीएचडी 2009 क्वीन मार्गरेट यूनिवर्सिटी
- ग्राउंड जीरो पेट्रिएट 2009- तहलका मैगजीन।
- मैन ऑफ द ईयर 2010- द वीक मैगजीन।
- अवार्ड ऑफ एक्सीलेंस 2010-11- एसोसिएशन ऑफ आइटी बीएचयू अलुमिनी नई दिल्ली।
- संभावना ट्रस्ट को 1999 में जापानी तजिरी म्यूनिकी प्राइज।
- राष्ट्रीय इनर फ्लेम अवार्ड 2001
- इंटरनेशनल मार्गरेट मीड अवार्ड 2002
- रीजेनेटिव हेल्थ केयर अवार्ड, क्लीमेड 2009
- हेल्थ केयर विद आउट हार्म यूएसए- 2009
सतीनाथ की प्रकाशित रचनाएं
- मिथाइल आइसोसायनाइट, एक्सपोजर एंड ग्रोव पैटर्नस ऑफ एडोलसेंट इन भोपाल- 2003
- द भोपाल ऑपमैथ-जनरेशस ऑफ वीमेंस एफेक्टेड।
- साइलेंट इनवार्ड्स पेस्टीसाइड्स लाइवलीहुड एंड वीमेंस हेल्थ-2003
- ली डिजास्टर इम्पुनी दी भोपाल, फाेर क्यू वाइव ला टेरेरी-2003
- क्राइम फार भोपाल एंड द ग्लोबल कैंपेन फार जस्टिस-2002
- द भोपाल गैस ट्रेजेडी 1984 टू ?
- द एवेसन आफ कारपोरेट रिस्पांसिबिलिटी, इनवायरमेंट एंड अर्बनाईजेशन-2002
- एन इंडस्ट्रियल डिजास्टर बिकम्स ए मेडिकल नाइटमेयर
- इश्यूज इन मेडिकल इथिक्स-2001
- भोपाल गैस ट्रेजेडी, इंडियन डिजास्ट रिपोर्ट, इंवाडर्स ए पालिसी इनिशिएटिव-2000
राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी इनके प्रयासों को काफी सराहा जा रहा है। इनके इस प्रयास कायों के कारण राष्ट्रीय स्तर की चर्चित अंग्रेजी पत्रिका द वीक के अलावा अन्य प्रमुख पत्र पत्रिकाओं ने पिछले कुछ वर्षों में उन पर आमुख स्टोरी पेश करते हुए मुखपृष्ठ पर उन्हें स्थान दिया था। कई विदेशी पत्र पत्रिकाओं में भी ये मुख पृष्ठ पर स्थान बना चुके हैं।
आज भी अपाहिज जन्म ले रहे बच्चे
भोपाल गैस कांड में सरकारी आंकड़ों के अनुसार पंद्रह हजार से अधिक जानें गई थी। जबकि इसकी भयावहता का दंश अब तक लोग इस कदर उठा रहे हैं कि प्रभावितों की संताने अब तक अपाहिज जन्म ले रही हैं।