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Jharkhand: कोल्हान विवि की लापरवाही, नौकरी से हाथ धोने को मजबूर छात्र, बार-बार गुहार लगाने के बाद भी नहीं सुन रहा प्रशासन

कोल्हान विश्वविद्यालय चाईबासा की गलती का खामियाजा हजारों विद्यार्थियों को भुगतना पड़ेगा। विश्वविद्यालय की ओर से जारी उनकी डिग्री को अमान्य किया जा रहा है। इससे विद्यार्थियों की मुश्किलें बढ़ने लगी है। विश्वविद्यालय की इस गलती के कारण कोई नौकरी पाने से वंचित रह सकता है तो किसी की नौकरी भी जा सकती है। इस संबंध में कोल्हान छात्र संघ का प्रतिनिधिमंडल विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति के पास पहुंचे।

By Triveni Sahay Awasthi Edited By: Mohit Tripathi Updated: Fri, 05 Jan 2024 06:13 PM (IST)
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बार-बार गुहार लगाने के बाद भी नहीं सुन रहा कोल्हान विवि प्रशासन। (फाइल फोटो)

जागरण संवाददाता, चाईबासा। कोल्हान विश्वविद्यालय चाईबासा की गलती का खामियाजा हजारों विद्यार्थियों को भुगतना पड़ेगा। विश्वविद्यालय की ओर से जारी उनकी डिग्री को अमान्य किया जा रहा है। इससे विद्यार्थियों की मुश्किलें बढ़ने लगी है। विश्वविद्यालय की इस गलती के कारण कोई नौकरी पाने से वंचित रह सकता है तो किसी की नौकरी भी जा सकती है।

कोल्हान विश्वविद्यालय छोड़कर झारखंड के अन्य विश्वविद्यालय में हो रही विशेष जेनेरिक पेपर की परीक्षा आयोजित हो रही है। उपरोक्त विषय की मांग को लेकर शुक्रवार को कोल्हान छात्र संघ का प्रतिनिधिमंडल कोल्हान विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति मनोज कुमार के पास पहुंचे।

उन्होंने इस विषय पर जल्द समाधान निकालने की बात कही। मौके पर कोल्हान विश्वविद्यालय छात्र संघ सचिव सुबोध महाकुड़, उपसचिव बिरेंद्र कुमार, राहुल कुमार, सूरज ओझा, अजय होनाहागा, अनंत कुमार, विकाश व अन्य छात्र-छात्राएं मौजूद थे।

दो की जगह कराई गई एक विषय की पढ़ाई

चाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम प्रणाली के तहत झारखंड-बिहार राज्य में सर्वप्रथम अपने वाला विश्वविद्यालय में कोल्हान विश्वविद्यालय भी शामिल था लेकिन विश्वविद्यालय ने विषय चयन में गलती कर दी।

इस वजह से विद्यार्थियों को जहां दो जेनेरिक पेपर की पढ़ाई करनी थी वहां सिर्फ एक ही विषय पढ़कर विद्यार्थियों को उत्तीर्ण होने का प्रमाण पत्र भी जारी कर दिया गया।

प्रतियोगी परीक्षा में फॉर्म भरने से विद्यार्थियों को रोका

सत्र 2017- 2020, 2018-21 एवं 2019-22 से नई प्रणाली के तहत कोल्हान विश्वविद्यालय में स्नातक में नामांकन लिया गया था। यूजीसी नियम के तहत इन 3 सालों में दो जेनेरिक पेपर पढ़ना अनिवार्य था भूल वश एक ही जेनेरिक पेपर के विषयों को चारों सेमेस्टर में पढ़ाया गया।

विश्वविद्यालय को इस केस की जानकारी तब हुई जब विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षा में फॉर्म भरने से रोका गया तथा दो जेनेरिक पेपर नहीं होने के कारण फार्म भरने की पात्रता से वंचित किया गया।

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