इस कारण रुकी झामुमो विधायक जोबा के मंत्रीपद की राह, अब सामने आई सच्चाई; राबड़ी मंत्रीमंडल का भी रह चुका है अनुभव
Champai Cabinet Expansion प्रबुद्धजन कहते हैं राजनीति में कब क्या हो जाए कहना मुहाल है। बात सोलह आना सच भी है। अब राज्य मंत्रीमंडल के शुक्रवार को हुए विस्तार को ही ले लें। कुछ दिन पहले तक सीएम की रेस में शामिल जोबा माझी हो आदिवासी कार्ड के सामने पस्त होती दिखीं। पहली बार विधायक बनने के बाद से ही लगातार मंत्री बनती रही हैं।
दिनेश शर्मा, चक्रधरपुर। प्रबुद्धजन कहते हैं राजनीति में कब क्या हो जाए, कहना मुहाल है। बात सोलह आना सच भी है। अब राज्य मंत्रीमंडल के शुक्रवार को हुए विस्तार को ही ले लें। कुछ दिन पहले तक सीएम की रेस में शामिल जोबा माझी हो आदिवासी कार्ड के सामने पस्त होती दिखीं।
वह भी इस कदर कि एक मंत्री पद तक नहीं मिला, जबकि वे पहली बार विधायक बनने के बाद से ही लगातार मंत्री बनती रही हैं। सिर्फ एक बार रघुवर सरकार के समय जब वे झामुमो में शामिल होकर झामुमो के टिकट पर विधायक बनीं, विपक्ष में होने के कारण मंत्री पद से वंचित रहीं।
शपथ ग्रहण के साथ ही गोलबंद हुए आदिवासी विधायक
सीएम के तौर पर चंपई सोरेन के शपथ लेते ही क्षेत्र के आदिवासी विधायक गोलबंद हो गए। स्वयं के लिए प्रयास करने के बजाए सभी से समवेत स्वर में हो आदिवासी विधायक को प्रतिनिधित्व देने की बात जोर-शोर से की। उरांव समुदाय से आने वाले जिलाध्यक्ष सुखराम उरांव इस मुहिम की अगुवाई करते दिखे।उन्होंने मुखर होकर हो आदिवासी विधायक को प्रतिनिधित्व देने की पैरवी की। साथ ही रायशुमारी में जिले के अधिकांश विधायकों ने दीपक बिरूवा का मंत्री पद के लिए नाम लिया।
कहीं पर कतरने का प्रयास तो नहीं
जोबा का नाम सीएम पद की रेस में आने के बाद संभवत: वे कइयों की निगाह में खतरे के रूप में आ चुकी थीं। अपनी सादगी के लिए जानी जाने वाली जोबा की वरीयता कई लोगों को खटकने लगी। ऐसे में उनके समर्थकों का यह दावा कि उनके पर कतरने का यह प्रयास है, सच भी हो सकता है।हालांकि, सौम्यभाषी जोबा ने मीडिया से बातचीत में नाराजगी तो दूर की बात है, जुबानी तल्खी तक नहीं दिखाई, बल्कि सहज स्वर में इसे सोच विचार कर लिया गया फैसला बताया। उनके समर्थक इसे भी उनका बड़प्पन बता रहे हैं।
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